DNA with Sudhir Chaudhary: राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाने के मायने? ऐसे समझें BJP की रणनीति
DNA on Yashwant Sinha and Draupadi Murmu: बीजेपी ने आखिरकार लंबे सोच-विचार के बाद झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है. उसके इस चयन के पीछे गहरी रणनीति छिपी हुई है. जिसे आपको जानना चाहिए.
DNA on Yashwant Sinha and Draupadi Murmu: विपक्षी दलों ने मंगलवार को वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को राष्ट्रपति पद (Presidential Election 2022) के लिए विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार घोषित कर दिया है. वहीं बीजेपी ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल और मूल रूप से ओडिशा निवासी द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को अपना कैंडिडेट बनाया है. इसके साथ ही दोनों तरह से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सामने आ गए हैं.
वाजपेयी सरकार में विदेश-वित्त मंत्री रह चुके हैं यशवंत सिन्हा
यहां बड़ी बात ये है कि विपक्ष को राष्ट्रपति पद के लिए यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) के रूप में उम्मीदवार मिल गया है. यशवंत सिन्हा पहले बीजेपी में ही थे और वाजपेयी सरकार में वो देश के वित्त मंत्री और विदेश मंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने वर्ष 2018 में बीजेपी छोड़ दी थी और वो मोदी का विरोध करने वाले नेताओं में शामिल हो गए थे.
इससे पहले विपक्षी दलों ने शरद पवार, फारुख अब्दुल्लाह और महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी को विपक्ष का राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन इन नेताओं ने इससे इनकार कर दिया. ये नेता जानते हैं कि विपक्ष के पास राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त वोट है ही नहीं. वोटों का गणित हम आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले आपको संक्षेप में ये बताते हैं कि राष्ट्रपति का चुनाव (Presidential Election 2022) कैसे होता है?
ऐसे बनाई जाती है राष्ट्रपति चुनाव की वोटर लिस्ट
राष्ट्रपति के चुनाव के लिए लोक सभा सांसद, राज्य सभा सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोटिंग करते हैं. ये चुनाव बाकी चुनावों से इसलिए अलग होता है क्योंकि इसमें हर वोट की Value अलग-अलग होती है. ये Value हर राज्य की जनसंख्या के आधार पर निकाली जाती है. जनसंख्या के लिए 1971 की जनगणना को आधार माना जाता है. उत्तर प्रदेश आबादी के मामले में भारत का सबसे बड़ा राज्य है. इसलिए उत्तर प्रदेश के विधायकों के वोट की Value सबसे ज्यादा है.
उत्तर प्रदेश के हर विधायक के वोट की Value 208 है. यानी इस हिसाब से उत्तर प्रदेश के 403 विधायकों के वोट की Value हुई 83 हजार 824. लेकिन दूसरी तरफ सिक्किम के एक विधायक के वोट की Value सिर्फ 7 है. 1971 की जनगणना के मुताबिक, सिक्किम की आबादी सिर्फ दो लाख है. यानी इस हिसाब से सिक्किम के 32 विधायकों के वोट की Value हुई सिर्फ 224.
सभी निर्वाचित सांसद और विधायक करते हैं वोटिंग
अब जो विधायक इस चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेते हैं, उनकी संख्या हमारे देश में 4 हजार 33 है. इन सबके Vote की Value होती है, 5 लाख 43 हजार 231. जबकि लोक सभा और राज्यसभा के 776 सांसदों के वोट की Value है, 5 लाख 43 हजार 200. यानी हर एक सांसद के Vote की Value हुई 708.
ये Value निकालने के लिए सभी विधायकों के Total Vote की Value को सभी सांसदों की संख्या से भाग किया जाता है. तब 708 की ये Value आती है. सभी सांसदों और विधायकों के Vote की कुल Value बनती है, 10 लाख 86 हजार.
द्रौपदी मुर्मू का अगला राष्ट्रपति बनना तय
अब राष्ट्रपति का चुनाव (Presidential Election 2022) जीतने के लिए 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट चाहिए होते हैं. इस समय बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों के पास लगभग 48 प्रतिशत वोट हैं. कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों के पास 24 प्रतिशत वोट हैं, TMC के पास 5.4 प्रतिशत वोट हैं, जगनमोहन रेड्डी की YSR कांग्रेस के पास 4 प्रतिशत और नवीन पटनायक की बीजू जनता दल के पास लगभग तीन प्रतिशत वोट हैं. अब अगर YSR कांग्रेस या बीजू जनता दल में से कोई भी एक पार्टी NDA को अपना समर्थन दे देती है तो उसका उम्मीदवार राष्ट्रपति के चुनाव में जीत जाएगा.
यहां बड़ी बात ये है कि YSR कांग्रेस के अध्यक्ष जगहमोहन रेड्डी इसी महीने प्रधानमंत्री मोदी से मिले हैं और नवीन पटनायक ने भी 30 मई को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी. इसलिए सम्भव है कि ये दोनों पार्टियां राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी का साथ दें.
पहली आदिवासी महिला बनेगी देश की राष्ट्रपति
बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार (Presidential Election 2022) घोषित किया है. वो पहली आदिवासी महिला हैं, जिन्हें राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया गया है. उनकी उम्र 64 वर्ष है और वो ओडिशा राज्य से आती हैं. इसके अलावा झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं.
राष्ट्रपति के चुनाव में उम्मीदवारों की जाति, क्षेत्र और धर्म काफी मायने रखते हैं. सरकार को जब देश में कोई संदेश देना होता है, नागरिकों तक कोई बात पहुंचानी होती है तो वो उसी हिसाब से राष्ट्रपति का चयन करती है. जैसे पिछली बार बीजेपी ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार चुना था, जो दलित हैं. अब बीजेपी ने एक आदिवासी महिला नेता को इस पद के लिए चुना है.
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बीजेपी को असेंबली चुनावों में हो सकता है फायदा
इसी साल गुजरात में विधान सभा के चुनाव होने हैं. इसके बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी चुनाव होंगे, जहां आदिवासी समुदाय की आबादी काफी ज्यादा है. इसलिए द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार (Presidential Election 2022) बनाना काफी बड़ा फैसला माना जाएगा. एक और बात, वो महिला हैं, इसलिए ये फैसला देश की महिलाओं के बीच भी लोकप्रिय हो सकता है.