आपको याद होगा जब कुछ महीनों पहले देश में लॉकडाउन था. तब देश की सड़कें सूनी हो गई थीं और सड़क दुर्घटनाओं में भी बहुत कमी आई थी. लेकिन लॉकडाउन हटते ही देश की सड़कें एक बार फिर दुर्घटनाओं का केंद्र बन गई हैं.
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नई दिल्ली: आपको याद होगा जब कुछ महीनों पहले देश में लॉकडाउन था. तब देश की सड़कें सूनी हो गई थीं और सड़क दुर्घटनाओं में भी बहुत कमी आई थी. लेकिन लॉकडाउन हटते ही देश की सड़कें एक बार फिर दुर्घटनाओं का केंद्र बन गई हैं. लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद और इसके समाप्त होने के बाद देश की राजधानी दिल्ली में 1 मई से 31 जुलाई के बीच 794 सड़क दुर्घटनाएं हुईं जिसमें 248 लोगों की मौत हो गई.
मरने वालों में सबसे बड़ी संख्या उन लोगों की थी जो सड़क पर पैदल चल रहे थे. 1 जनवरी से 31 जुलाई के बीच पैदल चलने वालों के साथ 239 हादसे हुए, जिनमें 243 लोगों की मौत हो गई. इस मामले में मुंबई की स्थिति ठीक नहीं है. मुंबई जून और जुलाई के महीने में कुल 5 हजार 49 लोग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हुए. पूरे महाराष्ट्र में कुल मिलाकर 1 अगस्त से 19 अगस्त के बीच 5 हजार 717 लोग सड़क हादसे में मारे गए हैं.
लापरवाही और नियमों का उल्लंघन
सड़क हादसों का सबसे बड़े कारण है लापरवाही और नियमों का उल्लंघन. दरअसल लॉकडाउन में सड़कें पूरी तरह से खाली थीं क्योंकि लोगों की आवाजाही पर पाबंदी थी. केवल जरूरी सेवाओं से जुड़ी गाड़ियां ही सड़क पर दिखती थीं. लेकिन अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होते ही लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर आने लगे जिससे दुर्घटनाएं भी बढ़ने लगी.
जून से अनलॉक शुरू हुआ तो सड़कें खाली देखकर लापरवाही से वाहन चलाने वालों की संख्या बढ़ गई और गाड़ियों की रफ्तार तेज हो गई. इसी वजह से अनलॉक में सड़क हादसों की संख्या तेजी से बढ़ी है.
नोएडा में 18 अगस्त को सेक्टर 168 में एक हादसा हुई जिसका सबसे बड़ा कारण था खाली सड़क मिलने पर तेज रफ्तार से वाहन चलाना.
ड्यूटी से घर लौट रहे नीरज को एक बाइक सवार ने टक्कर मार दी. सीसीटीवी फुटेज हादसे की पूरी कहानी बयां करती है. सड़कों पर कम ट्रैफिक देखकर तेज रफ्तार से रॉन्ग साइड से आ रही एक बाइक से उनकी टक्कर हो गई थी. नीरज का परिवार इस बात से दुखी है कि नीरज सही समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाया.
दिल्ली के शक्ति सिंह की पत्नी के साथ भी ऐसा ही एक सड़क हादसा हुआ. अस्पताल में भर्ती बेटी के इलाज के लिए प्लटेलेट्स की जरूरत पूरी करने वो पत्नी के साथ जा रहे थे. अचानक गलत दिशा से आ रही एक कार ने जोरदार टक्कर मार दी जिसमें उनकी पत्नी को गंभीर चोटें आईं. हादसे की वजह से वो समय पर प्लेटलेट्स लेकर अस्पताल नहीं पहुंच पाए जिससे उनकी बेटी की भी मौत हो गई.
हादसे की ऐसी ही एक कहानी बेंगलुरु से भी आई है. श्रीरामलु भी वाहन चलाने में बरती जाने वाली लापरवाही का शिकार बन गए. श्रीरामलू को खाली सड़क पर एक तेज रफ्तार बाइक वाले टक्कर मार दी थी.
सड़क खाली देख लोग तेजी से गाड़ियां चला रहे
लॉकडाउन में हादसे कम हुए लेकिन जून जुलाई और अगस्त में लॉकडाउन नहीं था इसलिए हादसे हो रहे हैं. सड़क खाली देखकर लोग तेजी से गाड़ियां चला रहे हैं. ट्रैफिक ज्यादा नहीं है लेकिन लोग खाली सड़क देखकर तेजी से गाड़ी चला रहे हैं.
अनलॉक में सड़कों पर गाड़ियों की संख्या पहले के मुकाबले कम है लेकिन उनकी रफ्तार कहीं ज्यादा है. यही वजह है कि बेंगलुरू शहर में हादसों के आंकड़े चौंकाते हैं. बेंगलुरु में 31 जुलाई 2020 तक 1 हजार 818 सड़क हादसे हुए जिनमें 356 लोगों की मौत हो गई. इन हादसों में 1579 लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं.
सड़क हादसों का सबसे बड़ा कारण है खाली सड़क देखकर तेज रफ्तार से गाड़ी निकालने की कोशिश. दरअसल, लॉकडाउन के खत्म होने के बाद से धीरे-धीरे शहरों में ढील दी जा रही है ऐसे में लोग भी सड़कों पर कम वाहन देखकर लापरवाही से गाड़ियां चला रहे हैं. इसी लापरवाही की कीमत दूसरों को अपनी जान से चुकानी पड़ रही है.
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