Bihar polls: चुनाव आयोग ने सोमवार को बिहार विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी. 243 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में 6 नवंबर और 11 नवंबर को मतदान होगा और मतगणना 14 नवंबर को होगी.
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DNA: चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है. इस बीच बिहार में सत्ता के लिए सियासी घमासान जारी. बता दें, राजद (RJD) लंबे समय से बिहार की सत्ता से दूर है. बीच-बीच में कुछ वर्षों के लिए नीतीश कुमार के साथ RJD की गठबंधन सरकार को छोड़ दें तो 20 साल से RJD बिहार की सरकार से दूर है. लेकिन 20 साल के बाद भी बिहार में जंगलराज का मुद्दा छाया हुआ है. NDA के तमाम नेता लोगों को लालू-राबड़ी सरकार की याद दिलाकर जंगलराज का आरोप लगाते हैं. 1990 से लेकर 2005 तक के 15 वर्षों के लालू-राबड़ी शासन की तुलना जंगलराज से की जाती है. इसी कथित जंगलराज को खत्म करने का वादा करके नीतीश कुमार सरकार में आए थे. नवंबर 2005 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने जंगलराज खत्म करने और कानून का शासन बहाल करने का वादा किया था. जनता ने इस वादे पर भरोसा किया और NDA को पूर्ण बहुमत सौंपा तब से लेकर आज तक NDA इस मुद्दे को RJD और लालू यादव के खिलाफ ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल कर रहा है. भले ही लालू यादव अब राजनीति में उतने सक्रिय नहीं हैं. भले ही तेजस्वी यादव के पास पार्टी की कमान आ गई हो लेकिन इसके बावजूद NDA के नेता जंगलराज को मुद्दा बनाने से पीछे नहीं हटते.
#DNAWithRahulSinha : बिहार चुनाव की तारीखों का एलान, 6 और 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे, चुनाव के एलान से पहले पटना में मेट्रो का उद्घाटन, 21 लाख महिलाओं को 10-10 हजार ट्रांसफर#DNA #BiharElections2025 #NDA #Politics #CMNitish | @RahulSinhaTV pic.twitter.com/AXcDxY5Ys9
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बिहार की कानून व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल
हाल के महीनों में तेजस्वी यादव कानून व्यवस्था को लेकर नीतीश सरकार पर निशाना साधते रहे हैं. पटना के अस्पताल में घुसकर गैंगस्टर चंदन मिश्रा की हत्या हो या कारोबारी गोपाल खेमका का मर्डर हो तेजस्वी यादव नीतीश सरकार पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं चूके और जंगलराज के मुकाबले उन्होंने महाजंगलराज का मुद्दा उछाला. अभी हाल ही में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने 2023 के आंकड़े जारी किए हैं. इसके मुताबिक बिहार हत्या के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है. बच्चों के खिलाफ अपराध में भी बिहार दूसरे नंबर पर है. महिलाओं के खिलाफ अपराध में बिहार तीसरे नंबर पर है. अपहरण के मामले में बिहार तीसरे नंबर पर है. अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध के मामले में बिहार चौथे नंबर पर है. जबकि सरकारी कर्मचारियों पर हमले के मामले में बिहार पहले नंबर पर है.
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बिहार की राजनीति में बाहुबली भी एक बड़ा फैक्टर रहे हैं. इस बार भी चुनाव से पहले कई बाहुबली चुनावी मैदान में उतरने का एलान कर चुके हैं. इनमें अनंत सिंह JDU के टिकट पर मोकामा से चुनाव लड़ सकते हैं. अनंत सिंह के खिलाफ एक और बाहुबली सूरजभान चुनाव लड़ सकते हैं. अभी ये तय नहीं है कि वो किसी पार्टी से चुनाव लड़ेंगे या निर्दलीय. इसके अलावा कुछ बाहुबली ऐसे भी हैं जिनके परिवार के लोग चुनाव लड़ सकते हैं. इनमें सीवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन का बेटा ओसामा शहाब रघुनाथपुर सीट से RJD के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
सीएम नीतिश कुमार ने पटना को दिया मेट्रो का तोहफा
आज बिहार में चुनाव की घोषणा से केवल 5 घंटे पहले पटना के लोगों को एक बड़ा उपहार मिला है. जानकारी के अनुसार, मेट्रो के लिए पटना के लोगों का इंतजार आज खत्म हो गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट पटना मेट्रो के पहले कॉरिडोर का उद्घाटन किया. इसके साथ ही पटना देश का 24वां शहर बन गया है जहां मेट्रो सेवा चल रही है. पटना मेट्रो का पहला कॉरिडोर साढ़े 4 किलोमीटर लंबा है. जिसमें 3 स्टेशन हैं. मेट्रो पाटलिपुत्र बस डिपो यानी ISBT टर्मिनल से शुरू होकर जीरो माइल होते हुए भूतनाथ स्टेशन तक जाएगी. इस रूट पर न्यूनतम किराया 15 और अधिकतम किराया 30 रुपये होगा.
मेट्रो के उद्घाटन के बाद बिहार में चुनाव की तारीख का एलान हो गया लेकिन पिछले कुछ महीनों में नीतीश सरकार ने बिहार के लोगों के लिए अपना खजाना खोल दिया है. नीतीश सरकार ने मुख्यमंत्री रोजगार योजना के तहत 3 चरणों में 1 करोड़ 21 लाख महिलाओं को 10-10 हजार रुपये ट्रांसफर किए हैं. इस योजना पर 12 हजार 100 करोड़ रुपये खर्च हुए. महिलाओं को इतनी बड़ी रकम एक साथ इससे पहले किसी राज्य में नहीं भेजी गई है. इसके अलावा बिहार के घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए 125 यूनिट बिजली मुफ्त कर दी गई है. इससे सरकार के खजाने पर 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च आएगा. महिलाओं, दिव्यांगों और बुजुर्गों की पेंशन 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये कर दी गई है. इस पर 9 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च आएगा. बेरोजगार ग्रेजुएट नौजवानों को 2 साल तक 1 हजार रुपये प्रति माह देने का एलान किया गया है. इस पर 6 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च आएगा. जीविका, आंगनवाड़ी और आशा वर्कर के मानदेय में भी बढ़ोतरी की गई है. इस बीच, विपक्ष का आरोप है कि नीतीश कुमार की मुफ्त की घोषणाओं और वादों पर साल में 33 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे जबकि बिहार सरकार पर पहले से ही 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है. माना जा रहा है कि इन योजनाओं से नीतीश सरकार ने एंटी इनकम्बेंसी को कम करने का प्रयास किया है.
बिहार में ओवैसी किसका खेल बिगाड़ेंगे?
बिहार के चुनाव में इस बार असदुद्दीन ओवैसी भी एक बड़ा फैक्टर बने हुए हैं. चुनाव की घोषणा के पहले से ही ओवैसी पूरे दम-खम के साथ बिहार में चुनाव अभियान में जुटे हुए हैं. ओवैसी बिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल में पूरा जोर लगा रहे हैं. पिछले महीने 4 दिनों तक सीमांचल न्याय यात्रा निकालने के बाद ओवैसी कल एक बार फिर बिहार के दौरे पर पहुंचे. इस बार वो सीमांचल के साथ-साथ मिथिलांचल के दौर पर भी हैं. ओवैसी यहां खुद को मुसलमानों के सबसे बड़े नेता के तौर पर पेश करने में लगे हैं. मुस्लिम कार्ड खेलकर वो बिहार के मुसलमानों को महागठबंधन से दूर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही पिछले विधानसभा चुनाव के बाद अपने 4 विधायकों को तोड़े जाने पर जवाब भी दे रहे हैं.
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पिछले चुनाव में AIMIM के 5 विधायक बने थे लेकिन उनमें से 4 बाद में RJD में शामिल हो गए थे. जिन्हें गद्दार बताकर ओवैसी 24 सीट जीतने का दावा कर रहे हैं. ओवैसी अपनी हर रैली में बीजेपी से भी ज्यादा तेजस्वी यादव या RJD को निशाने पर लेते हैं. इसका एक कारण गठबंधन से तेजस्वी का इनकार भी है. ओवैसी की पार्टी ने खुद को महागठबंधन में शामिल करने की मांग रखी थी. ओवैसी सीमांचल की 6 सीटों पर दावा ठोक रहे थे. लेकिन RJD ने कोई जवाब नहीं दिया. इसी वजह से वो तेजस्वी से नाराज हैं. वो बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान आई लव मोहम्मद विवाद और वक़्फ कानून को भी जोर-शोर से उठा रहे हैं. अगर बिहार के मुस्लिम वोटर ने ओवैसी पर भरोसा जताया तो महागठबंधन की राह मुश्किल हो सकती है.