दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा, क्या आईबी को RTI के तहत भ्रष्टाचार पर सूचना देनी होती है
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दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा, क्या आईबी को RTI के तहत भ्रष्टाचार पर सूचना देनी होती है

ब्यूरो को अपना रुख बताने के लिए सात मार्च तक की मोहलत देते हुए पीठ ने साफ कर दिया कि एकल पीठ के फैसले पर कोई अंतरिम रोक नहीं रहेगी.

दिल्ली उच्च न्यायालय. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार (12 दिसंबर) को खुफिया ब्यूरो (आईबी) से सवाल किया कि क्या वह उन मामलों में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे में आता है, जिसमें इससे भ्रष्टाचार या मानवाधिकार हनन के मुद्दों पर जानकारी मांगी गई हो. अब तक खुफिया ब्यूरो का रुख रहा है कि वह और उससे जुड़ी सूचनाएं आरटीआई कानून के दायरे में नहीं आतीं. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और एस पी गर्ग की पीठ ने कार्मिक मंत्रालय के 2007 के एक कार्यालय ज्ञापन का अध्ययन किया जिसमें आरटीआई कानून से छूट प्राप्त करने वाली ऐसी सभी एजेंसियों से कहा गया था कि वे भ्रष्टाचार और मानवाधिकार हनन के मुद्दों पर जानकारी मुहैया कराने के लिए केंद्रीय लोक सूचना अधिकारियों की नियुक्ति करे.

कार्यालय ज्ञापन पर खुफिया ब्यूरो के रुख के बारे में इसकी अपील पर सुनवाई के दौरान पूछा गया. अपील में ब्यूरो ने एकल पीठ के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें केंद्रीय सूचना आयोग की ओर से एजेंसी को दिए गए इस निर्देश को बरकरार रखा गया था कि वह भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के खिलाफ फर्जी मुकदमों और उनकी कथित प्रताड़ना पर अपनी रिपोर्ट सौंपे.

ब्यूरो को अपना रुख बताने के लिए सात मार्च तक की मोहलत देते हुए पीठ ने साफ कर दिया कि एकल पीठ के फैसले पर कोई अंतरिम रोक नहीं रहेगी. सुनवाई के दौरान चतुर्वेदी ने अदालत को बताया कि उनकी जान को खतरा बताने वाली ब्यूरो की रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने उनका कैडर हरियाणा से बदलकर उत्तराखंड कर दिया. उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी में वह वन संरक्षक के पद पर तैनात हैं.

चतुर्वेदी ने दलील दी कि प्रताड़ना और उनके खिलाफ गलत आरोप का सीधा संबंध हरियाणा सरकार और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उनकी ओर से भ्रष्टाचार के खुलासे से है. उन्होंने अपने खिलाफ दायर कथित फर्जी मुकदमों के बाबत ब्यूरो की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट की एक प्रति आरटीआई के जरिए मांगी थी.

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