भारतीय रेल के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट डीएफसी पर गुड्स ट्रेन के ट्रायल के बाद अब कमर्शियल रन की तैयारी है.
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नई दिल्ली: भारतीय रेल के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट डीएफसी पर गुड्स ट्रेन के ट्रायल के बाद अब कमर्शियल रन की तैयारी है. महत्वपूर्ण बात यह है कि आज डबल डेकर गुड्स ट्रेन का ट्रायल डीएफसी ने किया. खास बात यह है कि इस कॉरिडोर के जरिए गुड्स ट्रेन की जो अभी लंबाई 650 से 700 मीटर होती है. अब डीएफसी कॉरिडोर पर तकरीबन 15 सौ मीटर लंबी गुड्स ट्रेन चलाना संभव होगा यानी ठीक दो गुना सामान सिर्फ एक ही बार में एक ही मालगाड़ी में.
एक ही गुड्स ट्रेन में डीएफसी के एमडी एके सचान के मुताबिक वेस्टर्न कॉरिडोर में 350 किलोमीटर का हिस्सा बनकर तैयार हो गया है और साल 2020 तक पंद्रह सौ किलोमीटर लंबा कॉरिडोर बनकर तैयार हो जाएगा. 82 हजार करोड़ की लागत से तैयार हो रहे डीएफसी कॉरिडोर में सिर्फ और सिर्फ माल गाड़ियां चलेंगी लेकिन यह कॉरिडोर रेलवे की तस्वीर पूरी तरह से बदल कर रख देंगे. पहले फेज में दो कॉरिडोर पर काम हो रहा है.
ईस्ट कॉरिडोर जो लुधियाना से कोलकाता तक बन रहा है और दूसरा वेस्टर्न कॉरिडोर दादरी से मुंबई के जेएनपीटी बंदरगाह तक बन रहा है. रेल मंत्रालय में DFC के जीएम ऑपरेशन वेद प्रकाश का कहना है कि कई मायनों में यह कॉरिडोर ना सिर्फ देशभर की इंडस्ट्री की माल ढुलाई को एक रफ्तार देगा बल्कि ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों तक भी इसका अप्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंचेगा.
भारतीय अर्थव्यवस्था में भी एक पिलर के रूप में काम करेगा डीएफसी कॉरिडोर क्योंकि इस कॉरिडोर पर जगह-जगह मल्टी ट्रांजिशन पार्क बनाए जा रहे हैं जहां पर हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा. DFC ने अभी पहले चरण में 350 किलोमीटर के हिस्से में ट्रायल रन शुरू किया है. 31 मार्च 2020 तक 650 किलोमीटर का हिस्सा तैयार होगा और पालघर कनेक्टविटी मिलेगी और दिसम्बर 2020 तक पूरा 1500 किलोमीटर लंबा ये कररीडोरे बन जाएगा.