Dr Kalam Untold Childhood Stories: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम किसी पहचान के किसी पहचान के मोहताज नहीं है. अपनी सादगी, संघर्ष और प्रेरणा से वे दुनिया भर के लोगों के लिए मिसाल बने है. 15 अक्टूबर को उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनके बचपन के अनसुने किस्से बताएंगे.
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Dr Kalam Birthday: भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का आज जन्मदिन है. उनके जन्मदिन के मौके पर 15 अक्टूबर को वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे के नाम पर मनाया जाता है. अब्दुल कलाम को "मिसाइल मैन" और "बच्चों के राष्ट्रपति" के नाम से भी जाना जाता हैं. उनका जीवन सादगी, संघर्ष और प्रेरणा की मिसाल रहा है. कलाम की व्यक्तित्व ने ना जाने कितने लोगों को प्रभावित किया है. वे बचपन से ही बाकी बच्चों से अलग थे, तो उनके बचपन की भी कई ऐसी कहानियां, जो आपका दिल छू लेंगी. ऐसे में इस खबर में हम आपको डॉ. कलाम की बचपन की कहानियां बताएंगे...
कलाम के पिता ने दिखा अध्यात्म का ज्ञान
डॉ. कलाम का जन्म रामेश्वरम के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनके पिता जैनुलाबुद्दान पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन वे बहुत ज्ञानी और धार्मिक इंसान थे. उनके अच्छे दोस्त मंदिर के पुजारी लक्ष्मण शास्त्री थे. दोनों की घंटों धर्म और अध्यात्म पर चर्चा होती थी. ऐसे में जब एक दिन कलाम ने अपने पिता से प्रार्थना का मतलब पूछा तो उन्होंने कहा, "प्रार्थना से आत्माएं जुड़ती हैं. इससे इंसान को कोई भेदभाव महसूस नहीं होता. प्रार्थना के सभी एक जैसे हो जाते हैं." इसके बाद जब कलाम को पढ़ाई के लिए रामेश्वरम छोड़ना पड़ा, तो पिता ने कहा, "जिस तरह पंछी अकेले उड़ान भरता है, तुम्हें भी अपने सपनों के लिए आगे बढ़ना होगा."
क्लाम में टोपी पहनने पर पीछे बैठाया गया
कलाम को एक बार बचपन में टोपी पहनने के लिए क्लास के पीछे बैठाया गया था. दरअसल कलाम और उनके दोस्त रामानाधा शास्त्री, (जो कि उनके पिता के दोस्त मंदिर के पुजारी के बेटा) क्लास में पहली बेंट पर बैठते थे. कलाम टोपी पहनते थे और रामानाधा जनेऊ धारण करते थे. एक दिन एक टीचर ने दोनों को साथ बैठा देखा और कलाम को टोपी पहनने के कारण क्लास के पीछे बैठा दिया. कलाम चुपचाप पीछे चले गए, लेकिन उनका दोस्त रामानाधा फूट-फूटकर रोने लगा. ये बात जब घर तर पहुंची, तो कलाम के लिए पुजारी लक्ष्मण शास्त्री खड़े हुए और टीचर को बुलाकर कहा कि, "बच्चों के दिमाग में भेदभाव का जहर मत भरो. या तो माफी मांगो या यहां से चले जाओ." फिर टीचर ने माफी मांगी.
ब्राह्मण टीचर की पत्नी से खाना परोसने से इनकार किया
बचपन में उनके साथ धर्म को लेकर कई बार भेदभाव हुआ है. एक बार उनके ब्राह्मण टीचर की पत्नी ने उन्हें खाना परोसने से इनकार कर दिया था. साइंस टीचर सिवासुब्रमणिया अय्यर ने उन्हें एस दिन घर खाने पर बुलाया था. लेकिन उनके धर्म को देखकर उनकी पत्नी ने रसोई में उन्हें खाना देने से मना कर दिया. हालांकि ये बात उनके टीचर को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी, लेकिन उन्होंने बिना नाराज हुए, खुद कलाम को खाना परोसा और साथ में बैठकर खाया. हालांकि अगली बार जब कलाम उनके घर आए, तो उनकी पत्नी उनके लिए खुद खाना परोस रही थी, तब अय्यर ने कहा, "बदलाव लाना है तो रुकवटें झेलनी ही पड़ती है."