Indian President Draupadi Murmu: भारत को अपनी अगली राष्ट्रपति मिल गई है. देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू शपथ लेंगी. एक छोटे से जगह से रायसीना हिल का, उनका यह सफर आसान नहीं रहा. जीवन में काफी सारी मुश्किलें आईं. कई विपदाओं का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी, एक वक्त ऐसा भी आया, जब उन्होंने अपने परिवार को खो दिया था. वह काफी डिप्रेशन में चली गईं थी, लेकिन आगे की किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था. मुश्किल घड़ियों से लड़कर आखिरकार वह बाहर आ गईं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

शुरुआती सफलता के बाद आया मुश्किलों का दौर


द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज में जन्म हुआ था. वह साल 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत की पार्षद चुनी गईं. वर्ष 2000 में ओडिशा के रायरंगपुर से विधायक बनीं. इसी  साल ओडिशा सरकार में परिवहन, वाणिज्य मंत्री बनीं. हालांकि, इसके बाद उनके जीवन में ऐसा कुछ हुआ कि वह बुरी तरह से टूट गईं.


पति और बेटों की मौत के बाद डिप्रेशन


उनके जीवन का सबसे कठिन समय वर्ष 2009 में आया. उनके बड़े बेटे की एक रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई. उस समय उनकी उम्र सिर्फ 25 वर्ष थी. इससे उनको काफी सदमा लगा. हालांकि, उनको क्या पता था कि अभी तो मुश्किलों से और भी सामना होना है. अभी काफी कुछ देखना बाकी है. साल 2013 में उनके दूसरे बेटे की मृत्यु हो गई. 2014 में उनके पति का भी देहांत हो गया. अब मुर्मू काफी टूट गईं थी और डिप्रेशन में चली गईं. ऐसे में उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्थान से जुड़ने का फैसला किया.



2015 में राज्यपाल


संस्थान से जुड़ने के बाद वो मेडिटेशन करने लगीं. इससे उन्हें काफी फायदा हुआ. आखिरकार उन्होंने डिप्रेशन को मात दिया और वापस मुख्यधारा में लौट आईं. इसके बाद वर्ष 2013 में उनको BJP एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य चुना गया. वर्ष 2015 में झारखंड की 9वीं राज्यपाल नियुक्त की गईं.


इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज


संथाल आदिवासी तबके से राष्ट्रपति के पद तक का सफर तय करने वाली वे अकेली महिला हैं. राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित होने के बाद उनका नाम इतिहास के सुनहरे पन्नों पर दर्ज हो गया है. 
ये खबर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर