Road Accidents India: सड़क हादसों में हर घंटे होती है 18 लोगों की मौत, जान बचानी है तो रोड पर निकलें तो ये याद रखें
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Road Accidents India: सड़क हादसों में हर घंटे होती है 18 लोगों की मौत, जान बचानी है तो रोड पर निकलें तो ये याद रखें

ऋषभ पंत की कार के एक्सीडेंट (Rishabh Pant Accident) की खबर जिसने भी सुनी, वो हैरान रह गया. लेकिन ऐसे सड़क हादसे हमारे देश में आम बात हैं. क्या आप जानते हैं कि देश में हर घंटे 18 लोग सड़कों पर बे वक्त अपनी जान गंवा देते हैं.

Road Accidents India: सड़क हादसों में हर घंटे होती है 18 लोगों की मौत, जान बचानी है तो रोड पर निकलें तो ये याद रखें

Road accident India: ऋषभ पंत की कार के एक्सीडेंट (Rishabh Pant Accident) की खबर जिसने भी सुनी, वो हैरान रह गया. लेकिन ऐसे सड़क हादसे हमारे देश में आम बात हैं. क्या आप जानते हैं कि देश में हर घंटे 18 लोग सड़कों पर बे वक्त अपनी जान गंवा देते हैं. यानी ये लोग कभी भी अपना सफर पूरा नहीं कर पाते, अपनी मंज़िलों तक नहीं पहुंच पाते क्योंकि उनकी जगह पहुंचती है तो सिर्फ एक दुखद खबर. 

हादसों... मौत और घायलों का आंकड़ा चिंताजनक

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने वर्ष 2021 के लिए जो रिपोर्ट जारी की है, उसके अनुसार देश में हर घंटे क़रीब 47 सड़क हादसे होते हैं और इन हादसों में औसतन 18 लोग अपनी जान गंवा देते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में देश भर में क़रीब 4 लाख 12 हजार 432 सड़क हादसे हुए थे. और इन हादसों में 1 लाख 53 हजार 972 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. जबकि 3 लाख 84 हजार 448 लोग इन सड़क हादसों में घायल हो गए.

हादसों की मेन वजह

क्योंकि रिपोर्ट के अनुसार इन हादसों की सबसे बड़ी वजह है ओवर स्पीडिंग. यानी रफ़्तार का शौक. ये रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2021 में जितने भी सड़क हादसे हुए उनमें 69.6 प्रतिशत यानी दो तिहाई से भी ज्यादा ओवर स्पीडिंग की वजह से हुए. ओवर स्पीडिंग की वजह से इसी एक साल में  1 लाख, 7, 236 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. जबकि 8,122 लोगों की जान ग़लत दिशा में गाड़ी चलाने की वजह से गई. इसी तरह शराब पीकर या नशे में गाड़ी चलाने की वजह से 3,314 और ड्राइविंग के वक़्त फ़ोन इस्तेमाल करने की वजह से भी 2,982 लोगों की जान चली गई.

लापरवाही और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी भारी

ये रिपोर्ट बताती है कि कार हादसों में जितने भी लोग मारे गए, उनमें से 83 प्रतिशत लोगों ने सीट बेल्ट नहीं लगाई थी. जबकि दोपहिया वाहनों के साथ हुए हादसों में जितने लोगों की जानें गईं, उनमें से 67 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिन्होने हेल्मेट नहीं पहना था. यानी अगर इन लोगों ने हेल्मेट और सीट बेल्ट पहनी होती तो आज वो शायद अपने परिवार के साथ होते. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि इन हादसों के लिए सिर्फ़ सड़क पर चलने वाले ही जिम्मेदार हों. हादसों की कुछ और वजहों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है.

देश को चलाने वाला सिस्टम भी ज़िम्मेदार

हादसों को लेकर देश को चलाने वाला सिस्टम भी कम ज़िम्मेदार नहीं है. सरकारी आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि पूरे देश में एक साल के अंदर गड्ढों ने 1481 लोगों की सांसे छीन लीं. जबकि अंडर कंस्ट्रक्शन सड़कों की वजह से भी 4,014 लोगों की जान चली गई, यानी काम चालू है का बोर्ड इन लोगों की ज़िन्दगियों पर भारी पड़ गया. गलती चाहे सड़क पर चलने वाले की हो या फिर सिस्टम की, उस दर्द की कोई भरपाई नहीं हो सकती जो इन हादसों में जान गंवाने वालों के परिवारों को भुगतना पड़ता है.

आप भी जब सड़क पर निकलें तो ये याद रखें

ऐसे में आप भी जब सड़क पर निकलें तो अपने पीछे घर पर मौजूद अपने परिजनों को याद रखें, और कम से कम उनके लिए ही सही, ट्रैफिक नियमों का पालन करें और सुरक्षित घर पहुंचने की कोशिश करें. क्योंकि आज हम इन हादसों के लिए सरकारों को और देश के सिस्टम को भले ही कोस लें, लेकिन इन हादसों के लिए सबसे ज़्यादा जिम्मेदार अगर कोई है, तो वो है हमारी ड्राइविंग और आज हम आपसे यही उम्मीद करते हैं कि आप जब सड़क पर निकलें तो ट्रैफिक नियमों का पालन करें और सुरक्षित घर पहुंचे.

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