लगातार अपनी उपेक्षा से निराश होकर मैंने BJP छोड़ने का लिया फैसला: सांसद श्यामाचरण
सांसद श्यामाचरण गुप्त ने ZEE DIGITAL से बातचीत में बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नजरअंदाज करने के बाद मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था, इसीलिए मैंने बीजेपी को छोड़कर सपा में जाने का फैसला किया है.
- स्थानीय नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व को किया मेरे खिलाफ
- डेढ़ साल से मेरा टिकट काटने की कही जा रही थी बात
- बांदा के प्रत्याशी मुझ पर पहले भी जता चुके हैं भरोसा
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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी (सपा) की टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहे सांसद श्यामाचरण गुप्त ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर उपेक्षा का आरोप लगाया है. ZEE DIGITAL से बातचीत में प्रयागराज संसदीय सीट से बीजेपी के सांसद रहे श्यामाचरण गुप्त ने आरोप लगाया है कि बीते कई वर्षों से पार्टी की राज्य इकाई और केंद्रीय नेतृत्व उनकी लगातार उपेक्षा कर रहा था.
प्रयागराज जैसी प्रमुख सीट से सांसद होने के बावजूद संगठन अपने किसी भी फैसले में उन्हें शामिल नहीं कर रहा था. बीते कई वर्षों से उपेक्षा का दंश झेलने के बाद उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ने का फैसला किया. उल्लेखनीय है कि 2014 में बीजेपी की टिकट पर श्यामाचरण गुप्त ने प्रयागराज से न केवल लोकसभा चुनाव लड़ा था, बल्कि जीत हासिल करने में भी कामयाब रहे थे.
स्थानीय नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व को किया मेरे खिलाफ
ZEE DIGITAL से बातचीत में सांसद श्यामाचरण गुप्त ने बताया कि प्रयागराज और उत्तर प्रदेश की बीजेपी इकाई शुरू से उनके खिलाफ रही है. जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण बीते उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने जिन प्रत्याशियों को टिकट देने पर ऐतराज जताया था, पार्टी ने उन्हीं उम्मीदवारों को टिकट देकर मैदान में उतारा.
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विधानसभा चुनाव के बाद यही नेता लगातार केंद्रीय नेतृत्व और संगठन के विभिन्न पदाधिकारियों को मेरे खिलाफ बरगलाते रहे थे. उन्होंने बताया कि अपने खिलाफ चल रहे षडयंत्र के बाबत पता चलने पर उन्होंने कई बार केंद्रीय नेतृत्व से समक्ष अपना पक्ष रखना चाहा, लेकिन उनकी बात किसी ने नहीं सुनी. उन्होंने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नजरअंदाज करने के बाद मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था, इसीलिए मैंने बीजेपी को छोड़ने का फैसला किया है.
डेढ़ साल से मेरा टिकट काटने की कही जा रही थी बात
सांसद श्यामाचरण गुप्त ने ZEE DIGITAL से बातचीत में आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद संगठन की मुझको लेकर उपेक्षा स्पष्ट होने लगी थी. संगठन की तरफ से आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में लगातार उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा था. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद संगठन के एक बड़े वर्ग ने उनके खिलाफ अभियान छेड़कर उनका टिकट कटवाने की कोशिश शुरू कर दी थी.
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जब उन्हें लगा कि संगठन के स्थानीय नेताओं की बातों में आकर उनका टिकट काटना बिल्कुल तय है, जब उन्होंने पार्टी को छोड़ने का मन बना लिया था. हालांकि उस समय मुझे यह आशा थी कि कभी न कभी उनकी बात केंद्रीय नेतृत्व सुनेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पूरी तरह से हताश होने के बाद उन्होंने बीजेपी का दामन छोड़कर, समाजवादी पार्टी का हाथ थामने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि समाजवादी पार्टी ने मुश्किल वक्त पर उनका साथ दिया और उन्हें बांदा संसदीय सीट से अपनी प्रत्याशी बनाया.
बांदा के मतदाता मुझ पर पहले भी जता चुके हैं भरोसा
प्रयागराज की प्रमुख सीट छोड़कर बांदा से चुनाव लड़ने को लेकर सांसद श्यामाचरण गुप्त ने ZEE DIGITAL से कहा कि बांदा संसदीय क्षेत्र उनके लिए नया नहीं है. वह बांदा के मतदाता पहले भी उन पर अपना भरोसा जता चुके हैं. उन्होंने बताया कि 2004 में वह बांदा संसदीय सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल कर चुके हैं.
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2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी (समाजवादी पार्टी) ने उन्हें फूलपुर से चुनाव लड़ने का आदेश दिया था. पार्टी का आदेश मानते हुए उन्होंने बांदा की सीट छोड़कर फूलपुर से चुनाव लड़ा था. उनकी पार्टी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताते हुए बांदा से चुनाव लड़ने का आदेश दिया है. लिहाजा, पार्टी के आदेश को मानते हुए वह एक बार फिर अपनों के बीच बांदा लौटें हैं. उन्होंने विश्वास जताया है कि 2004 के भांति एक बार फिर बांदा संसदीय क्षेत्र के मतदाता उनपर भरोसा जताकर उन्हें जीत दिलाने में मदद करेंगे.