Early Monsoon news: शनिवार को मॉनसून केरल में पहुंच गया जो अपने तय से समय से 8 दिन पहले पहुंचा है. भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक 16 साल के बाद पहली बार मॉनसून इतनी जल्दी आया है. इससे पहले 2009 में मॉनसून 9 दिन पहले पहुंचा था. जबकि 2024 में केरल में मॉनसून 30 मई को पहुंचा था.
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Early Monsoon in India: भारत के मशहूर कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक एम.एस. स्वामीनाथन ने कहा था- 'खेती दुनिया का सबसे जोखिम भरा पेशा है क्योंकि फसल का भाग्य मॉनसून (Monsoon) के व्यवहार से जुड़ा हुआ है.' इसीलिए अक्सर भारतीय कृषि को मॉनसून का जुआ भी कहा जाता है. अच्छा मॉनसून (Monsoon) होने से देश में फसल की रिकॉर्ड पैदावार होती है और मॉनसून खराब होता है तो देश की इकोनॉमी बिगड़ जाती है. इस बार मॉनसून के मोर्चे पर अच्छी खबर आई है. इसका हमारे जीवन पर, खेती-बाड़ी पर क्या असर होगा इसका विश्लेषण करेंगे.
सबके काम की खबर
हमारी इस खबर में गांव की मिट्टी की खुशबू भी है और शहर की जलजमाव वाली परेशानी भी है. इसीलिए आप किसान है या कारोबारी, नौकरीपेशा हैं या स्टूडेंट, इस खबर को ध्यान से पढ़िए. शनिवार को मॉनसून केरल में पहुंच गया जो अपने तय से समय से 8 दिन पहले पहुंचा है. भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक 16 साल के बाद पहली बार मॉनसून इतनी जल्दी आया है. इससे पहले 2009 में मॉनसून 9 दिन पहले पहुंचा था. 2024 में केरल में मॉनसून 30 मई को पहुंचा था.
सामान्य से ज्यादा बारिश
अगले एक हफ्ते में देश के दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में और 4 जून तक मध्य और पूर्वी भारत में मॉनसून पहुंच जाएगा. मौसम विभाग ने दावा किया है कि इस साल मॉनसून में अल नीनो की संभावना नहीं है. इसका मतलब है कि इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश होगी.
आज पूरी दुनिया चाहे वो हमारा पड़ोसी कंगाल पाकिस्तान हो या सुपरपावर अमेरिका सभी देश बढ़ती महंगाई से परेशान है. ऐसे में भारत में समय से पहले मॉनसून का आना, सोने पर सुहागा है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इसे अब आंकड़ों से समझते हैं.
अर्ली मॉनसून के फायदे
अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन- हमारे देश में 42 फीसदी (42.3) से ज्यादा आबादी यानी 61 करोड़ से ज्यादा लोग (61.7) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जीवन यापन के लिए कृषि पर निर्भर पर है. 2022-23 में देश में 33 करोड़ मीट्रिक टन से ज्यादा अनाज का उत्पादन हुआ था. पिछले साल 378 लाख हेक्टेयर से ज्यादा खरीफ फसल की बुआई हुई थी जो 2023 के मुकाबले 14 फीसदी ज्यादा थी. सामान्य तौर से 1 जून से खरीफ फसलों की बुआई शुरू होती है. जल्दी मॉनसून आने से खरीफ फसलें जिसमें चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, अलग-अलग दालें, सोयाबीन, कपास शामिल है की समय से बुआई होगी. अच्छी बुआई होने से फिर से रिकॉर्ड अनाज का उत्पादन होगा.
कम होगी मंहगाई- अभी देश में खाद्य महंगाई दर 2 फीसदी से (1.78%) कम है. अनाज-फल-सब्जियों का ज्यादा उत्पादन होने से महंगाई कम रहेगी और इसका नतीजा होगा कि इस साल और ब्याज दरें घट सकती है. इस साल अब तक आधा परसेंट ब्याज दरें घट चुकी है. इस बात की संभावना है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ब्याज दरों में आधा परसेंट की और कटौती कर दें. यानी आपके लिए घर, गाड़ी खरीदना और सस्ता हो सकता है.
पिछले साल हमने 36 हजार करोड़ से ज्यादा कृषि और उससे जुड़े उत्पादों का एक्सपोर्ट किया था. बेहतर मॉनसून होने से इस साल हम एक बार फिर से कृषि से जुड़े प्रोडक्ट्स का रिकॉर्ड एक्सपोर्ट कर पाएंगे.
देश में 55 फीसदी कृषि जमीन ऐसी है जहां सिंचाई की सुविधा है लेकिन 45 फीसदी कृषि जमीन ऐसी है जो सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर है. ऐसे में अगर जल्दी मॉनसून आने से किसानों का सिंचाई का खर्च भी बचेगा और समय पर फसलों को पानी भी मिलेगा.
#DNAWithRahulSinha | मानसून जल्दी आया, खुशखबरी लाया ! घटेगी महंगाई, मिलेगा सस्ता लोन !
ज्यादा बारिश तो शहरों में 'मुसीबत' गारंटी !#DNA #Monsoon #Weather @RahulSinhaTV pic.twitter.com/PPXrmH57Ea
— Zee News (@ZeeNews) May 24, 2025
जल संकट जैसी समस्याएं कम होंगी-विकास दर बढ़ेगी
पाकिस्तान पानी के लिए तरस रहा लेकिन मॉनसून समय से पहले आने से भारत के 19 हजार (19,370) से ज्यादा जलाशयों मे पानी जल्दी भरेगा नतीजा ये होगा कि Ground Water का स्तर भी बढ़ेगा और देश में जल संकट जैसी समस्याएं कम होंगी. अभी हमारी इकोनॉमी 4 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की है. इस साल विकास दर 6 फीसदी से ज्यादा रहने की संभावना है. ऐसे में बेहतर मॉनसून हमारी इकोनॉमी को नई रफ्तार देगा क्योंकि उत्पादन बढ़ने से गांवों में और छोटे शहरों में लोगों की आमदनी बढ़ेगी और वो ज्यादा खर्च करेंगे.
भरपूर फसल से ग्रामीण समृद्धि बढ़ती है और मोटरसाइकिल से लेकर मोबाइल फोन तक हर चीज की मांग बढ़ती है. कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि अब गांवों और छोटे शहरों में लोग ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं.
ज्यादा बारिश हुई तो ये नुकसान तय!
वैसे इस बार जल्दी मॉनसून आने और ज्यादा बारिश होने से शहरों में मुसीबत बढ़ेगी. आपने पिछले हफ्ते बेंगलुरु में बारिश के बाद की डराने वाली तस्वीरें जरूर देखी होगी. कैसे 2 दिन की बारिश में बेंगलुरु डूब गया था.
पिछले साल एक सर्वे (LocalCircles) में दावा किया गया कि दिल्ली-NCR के 86 फीसदी लोगों ने माना कि भारी बारिश और उसके बाद के जल-जमाव से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इसी सर्वे में दावा किया गया था कि 71 फीसदी लोगों को जलजमाव और उससे हुई दिक्कतों की वजह से आर्थिक नुकसान हुआ. SBI की एक रिसर्च में 2023 में बारिश और बाढ़ की वजह से 10000-15000 करोड़ रु का नुकसान का अनुमान जताया गया था. इसी तरह राज्यसभा में सरकार ने बताया था कि 2012 से 2021 के दौरान भारी बारिश और बाढ़ की वजह से 17 हजार लोगों ने जान गंवा दी थी.
एक और रिसर्च रिपोर्ट (factly) के मुताबिक 1953 से लेकर 2021 के बीच भारी बारिश और फिर बाढ़ की वजह से 4 लाख 86 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था. इसमें 53% सार्वजनिक सेवा से जुड़ी थी जैसे सड़क, पुल, गाड़ियां शामिल थीं. 1953 से लेकर 2021 के बीच भारी बारिश और बाढ़ की वजह से 32% फसलों को और 13% घरों को नुकसान हुआ था. समय से पहले मॉनसून आने से हमारी इकोनॉमी को रफ्तार मिलेगी. लेकिन बाढ़-जलजमाव जैसी समस्याओं से देश के सभी बड़े शहरों में लोगों की जीवन रफ्तार जरुर धीमी हो जाएगी.