भूकंप के झटकों से हिला नासिक, 2 दिनों में 3 बार थर्राई धरती
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भूकंप के झटकों से हिला नासिक, 2 दिनों में 3 बार थर्राई धरती

रविवार की शाम 7 बजकर 15 मिनटपर यहां के बिलवाड़ी, देवलीवणी, जामेलवणी और बोरगांव मे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे

1993 में लातूर में आए भूकंप की यादें अब भी महाराष्ट्र के जनता के मन मे ताजा हैं.

नासिकः नासिक के कलवण तालुका मे पांच गांव ऐसे है जहां के लोग पिछले दो दिनों से सोए नही हैं. दरअसल, कलवण तालुका में दो दिनों में तीन बार भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं, जिसके चलते लोगों में चिंता बनी हुई है. यह सभी झटके 2 से 3 रिक्टर स्केल के थे. जिसकी वजह से लोगों की नींद हराम हो चुकी है. लोग रात रात भर जागते हैं और सोचते रहते हैं कि पता नहीं कब क्या हो जाए. लोगों में भूकंप की दहशत इस कदर घर कर गई है कि अब तो ठंड में भी गांव वाले रात भर बाहर ही सोते हैं. रविवार की शाम 7 बजकर 15 मिनटपर यहां के बिलवाड़ी, देवलीवणी, जामेलवणी और बोरगांव मे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. तब लोगों को इतना डर नहीं लगा था, लेकिन सोमवार की सुबह फिर से सुबह 10 बजे और 10 बजकर 15 मिनिट पर भूकंप के दो झटके महसूस किए गए, जिसके बाद से लोग डरे हुए हैं और घर के बाहर ही बने हुए हैं.

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गांव के एमडी गायकवाड़ ने कहा की चंद सेकेंड के लिए ऐसे लगा कि मानो अब सब खत्म हो गया. सबकुछ हिलता नजर आया, तो सब लोग भागने लगे. एमडी के पडोसी लक्ष्मण गायकवाड़ नें आपबीती सुनाते हुए कहा कि 'वह घर पर काम कर रहे थे कि तभी भूकंप के झटके महसूस होने लगे. ऐसे में वह काम छोड़कर पुरे परिवार के साथ बाहर रास्ते पर आ गए. पुरा गांव रास्तेपर था. ग्रामीण जगन सावले ने बताया की गांव में पिछले 20 सालों से छोटे-बड़े भूकंप के झटके महसूस किए जा रहें हैं. तब कभी भी ऐसे नही लगा था, लेकिन दो दिन से जमीन थोडी ज्यादा ही हिल रही है. 

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बात प्रशासन तक पहुंची तो इलाके में आकर उन्होंने लोगो को भरोसा दिलाना शुरू कर दिया है. मंडलाधिकारी यानी जिला परीषद के स्थानीय अधिकारी डी जे सोनावणे ने बताया की यह पुरा इलाका भूंकप प्रवण क्षेत्र है. जिसके चलते यह झटके महसूस किए जा सकते हैं, लेकिन लोगों को डरने की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि लोगों में डर बना हुआ है. इतने ठंड में भी लोग पुरे परिवार के साथ घर के बाहर खुले मे सोते हैं. 1993 में लातूर में आए भूकंप की यादें अब भी महाराष्ट्र के जनता के मन मे ताजा हैं, इसलिए वह फिर से कीसी भी प्राकृतिक आपदा का शिकार नहीं बनना चाहते. इसलिए वह खुले में ही सोना पसंद कर रहें है.

 

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