शुक्रवार को उस समय एक विवाद पैदा हो गया जब मुंबई में ईडी ने नीरव मोदी से जुड़े धनशोधन मामले में मुख्य जांच अधिकारी को उनके प्रभार से मुक्त कर दिया.
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नई दिल्ली: शुक्रवार को उस समय एक विवाद पैदा हो गया जब मुंबई में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नीरव मोदी से जुड़े धनशोधन मामले में मुख्य जांच अधिकारी को उनके प्रभार से मुक्त कर दिया. हालांकि यहां एजेंसी मुख्यालय ने कुछ ही मिनटों में उस फैसले को पलट दिया.
संयुक्त निदेशक सत्यव्रत कुमार को ईडी के मुंबई जोन यूनिट-1 के प्रभार से हटाने का आदेश पश्चिमी जोन के शीर्ष अधिकारी विशेष निदेशक विनीत अग्रवाल ने शुक्रवार को जारी किया. कुमार अभी प्रत्यर्पण मामले में नीरव मोदी की जमानत याचिका पर सुनवाई के सिलसिले में लंदन में हैं.
सूत्रों ने बताया कि यह खबर जैसे ही आई, ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा ने दिल्ली में आदेश को रद्द कर दिया और कुमार का प्रभार बहाल कर दिया.
अग्रवाल ने भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी कुमार को इस तकनीकी आधार तथा नियम के अनुसार प्रभार से मुक्त किया था कि कोई भी जांच अधिकारी एक पद पर पांच साल से ज्यादा अवधि तक नहीं रह सकते. इसके अलावा ईडी मुख्यालय ने उनके पद पर बने रहने के संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया था.
सूत्रों ने बताया कि आदेश रद्द करने के फैसले के बाद कुमार के कार्यकाल के विस्तार को मंजूरी प्रदान करने के लिए प्रस्ताव पहले ही संबंधित विभाग को भेजे जा चुके हैं.
ईडी ने इस संबंध में अपने ट्विटर हैंडल पर स्पष्टीकरण भी जारी किया और कहा, ‘कुछ मीडिया खबरों में कहा जा रहा है कि नीरव मोदी मामले में जांच कर रहे संयुक्त निदेशक को हटा दिया गया है. यह रिपोर्ट गलत है.’