तमिलनाडु: मौत के 11 महीने बाद एक कब्र से निकाली गई डॉक्टर की बॉडी, दूसरी में दफनाई गई
मरीजों का ध्यान रखने वाले एक डॉक्टर के साथ चेन्नई में जो हुआ, वो इंसानियत को शर्मसार करने वाला था. डॉक्टर की पत्नी को मलाल है कि वो और उनके बच्चे दफनाने से पहले उनका चेहरा भी नहीं देख पाए. डॉक्टर के घरवालों को ये भी नहीं पता कि उन्हें कहां ले जाकर दफनाया गया.
चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने एक डॉक्टर की मौत के 11 महीने बाद उनकी बॉडी को एक कब्र से निकालकर दूसरे कब्र में दफनाने का आदेश दिया है. दरअसल, ये मामला एक डॉक्टर से जुड़ा हुआ है. डॉक्टर बीते साल कोरोना मरीजों का इलाज करते हुए खुद कोरोना संक्रमित हो गए थे जिसके बाद उनकी मौत हो गई.
कोर्ट ने डॉक्टर साइमन हरक्यूलस (Dr Simon Hercules) की मौत के 11 महीने बाद उनके शव को कब्र से निकालने का आदेश दिया है. डॉ हरक्यूलस, कोविड-19 (Covid-19) संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे थे और पिछले साल अप्रैल में इस वायरस संक्रमित हो गए थे. अदालत ने हरक्यूलस की पत्नी आनंदी की रिट याचिका को स्वीकार करते हुए निर्देश दिया है कि शव के अवशेषों को वेलंगडू कब्रिस्तान की कब्र में से निकाला जाए और किलपुक कब्रिस्तान में दफनाया जाए.
कोरोना प्रोटोकॉल का हो पालन: कोर्ट
अदालत ने कहा कि शव को एक कब्रिस्तान से निकाल कर दूसरे कब्रिस्तान में दफन करने के दौरान तथा परिवार के सदस्यों द्वारा धार्मिक रीति रिवाजों के पालन के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन किया जाए. अदालत ने नगर निगम के 24 अप्रैल 2020 के उस आदेश को रद्द कर दिया. जिसमे आनंदी की उस अर्जी को खारिज खारिज कर दिया गया था जिसके तहत उन्होंने पति के शव को कब्रिस्तान से निकाल कर किलपुक कब्रिस्तान में दफन किए जाने का निवेदन किया था.
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डॉ साइमन के साथ हुआ क्या था?
मरीजों का ध्यान रखने वाले एक डॉक्टर के साथ चेन्नई में जो हुआ, वो इंसानियत को शर्मसार करने वाला था. डॉक्टर की पत्नी को मलाल है कि वो और उनके बच्चे दफनाने से पहले उनका चेहरा भी नहीं देख पाए. डॉक्टर के घरवालों को ये भी नहीं पता कि उन्हें कहां ले जाकर दफनाया गया. 55 साल के न्यूरोसर्जन डॉ साइमन हरक्युलिस अप्रैल के शुरू में COVID-19 पॉजिटिव पाए गए. हालत खराब होने पर उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया. 19 अप्रैल को डॉ साइमन की मौत हो गई. डॉ साइमन के शव को जब दो कब्रिस्तानों में दफनाने की कोशिश की गई तो वहां लोग इकट्ठा हो गए.
लोगों ने डॉक्टर के शव को दफनाने नहीं दिया. जिस एम्बुलेंस से शव ले जाया जा रहा था उसपर पथराव भी किया गया. एम्बुलेंस का शीशा टूट गया और ड्राइवर को चोट भी आई. डॉ साइमन के सहयोगी और दोस्त डॉ प्रदीप ने किसी तरह रात के अंधेरे में पुलिस को साथ ले जाकर दूर के कब्रिस्तान में उन्हें खुद अपने हाथों से दफनाया.
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