PACS: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने 2029 तक देश की हर पंचायत में पैक्स की स्थापना का फैसला लिया है. इस फैसले के अंतर्गत 2 लाख नई पैक्स और डेयरी रजिस्टर्ड की जाएंगी. सरकार ने अलग-अलग प्रकार की लगभग 22 गतिविधियों को पैक्स के साथ जोड़ने का काम किया है.
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Amit Shah: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ( Amit Shah ) ने रविवार को अहमदाबाद में गुजरात राज्य सहकारी संघ ( Gujarat State Cooperative Union ) के 'विकसित भारत के निर्माण में सहकारिता की भूमिका' पर आयोजित महासम्मेलन को खिताब किया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने त्रिभुवन कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी ( Tribhuvan Cooperative University ) की स्थापना की है, जो नेशनल लेवल पर काम करेगी. देश के हर राज्य में सहकारिता से जुड़े सभी क्षेत्रों में कोऑपरेटिव के कॉन्सेप्ट के साथ पढ़ने की व्यवस्था बनाई गई है. केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने इसे लेकर क्या कहा? इससे पहले ये जान लेते हैं कि पैक्स क्या होता है?
पैक्स क्या होता है?
पैक्स ( PACS ) का मतलब है Primary Agricultural Credit Society यानी प्राथमिक कृषि ऋण समिति, जो ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को लोन और अन्य वित्तीय सर्विस प्रदान करने वाली सहकारी समितियां हैं. ये स्टेट लेवल पर राज्य सहकारी बैंकों (State Cooperative Banks- SCB) की अगुआई वाली त्रि-स्तरीय सहकारी लोन स्ट्रक्चर में आखिरी कड़ी के रूप में काम करती हैं. PACS अलग-अलग एग्रीकल्चर और एग्रीकल्चर एक्टिविटीज के लिए किसानों को शॉर्ट टर्म और मीडियम टर्म के एग्रीकल्चर लोन मुहैया करते हैं. पहला PACS साल 1904 में बनाया गया था.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब तक हम प्राथमिक कृषि ऋण समिति ( Primary Agricultural Credit Society ) यानी पैक्स को मजबूत नहीं करते तब तक सहकारी ढांचा मजबूत नहीं हो सकता है, इसीलिए मोदी सरकार ने 2029 तक देश की हर पंचायत में पैक्स की स्थापना का फैसला लिया है. इस फैसले के अंतर्गत 2 लाख नई पैक्स और डेयरी रजिस्टर्ड की जाएंगी. सरकार ने अलग-अलग प्रकार की लगभग 22 गतिविधियों को पैक्स के साथ जोड़ने का काम किया है. सरकार जल्द ही लिक्विडेशन में गई पैक्स के निपटारे और नए पैक्स के लिए भी नीति लेकर आने वाली है.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ( United Nations ) ने 2025 को 'अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष' के तौर पर मनाने का फैसला लिया है. सहकारिता शब्द पूरे विश्व में आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना साल 1900 में था. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में 2021 से सहकारिता आंदोलन को पुनर्जीवित करने का एक बहुत बड़ी कोशिश शुरू की और सहकारिता साल की शुरुआत भारत में करने का फैसला लिया गया.
उन्होंने आगे कहा कि 2021 में पीएम मोदी के नेतृत्व में हुई शुरुआत के तहत 'सहकार से समृद्धि' और 'विकसित भारत में सहकारिता की भूमिका' के दो सूत्रों को देश के सामने रखा गया. उसी शुरुआत के अंतर्गत आज गुजरात में इस सहकारिता सम्मेलन का आयोजन किया गया है. सहकारिता क्षेत्र में हुए परिवर्तन के लाभ जब तक निचले स्तर पर पैक्स और किसानों तक नहीं पहुंचेंगे तब तक सहकारिता क्षेत्र मजबूत नहीं हो सकता. इसीलिए यह बहुत जरूरी है कि हम सहकारी संस्थाओं को आगे बढ़ाएं. हमें सभी प्रकार की सहकारी संस्थाओं में जागरूकता, ट्रेनिंग और पारदर्शिता लाने की कोशिश करनी होगी.
'सहकारिता आंदोलन धीरे-धीरे लगभग खत्म हो चुका था'
गृह मंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष ( International Year of Cooperatives ) के दौरान साइंस ऑफ कोऑपरेशन और साइंस इन कोऑपरेशन पर भारत सरकार ने बल दिया है. आजादी के आंदोलन के वक्त देश में शुरू हुआ सहकारिता आंदोलन धीरे-धीरे देश के एक बड़े हिस्से में लगभग खत्म हो चुका था. यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस आंदोलन के तहत हर राज्य और जिले तक सहकारिता का विस्तार हो. साथ ही हर राज्य में प्राथमिक सहकारी समितियों की हालत सुधरे, जिलास्तरीय संस्थाएं मजबूत हो और उनके माध्यम से राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर का सहकारी ढांचा भी मजबूत बने.
'पूरे देश में सहकारिता को पहुंचाना जरूरी'
उन्होंने कहा कि कई सालों से चली आ रही वैश्विक त्रि-स्तरीय सहकारिता ढांचे की कल्पना में हमने चौथे स्तर को जोड़ा है. सहकारिता के ढांचे की हर सहकारी गतिविधि से जुड़े राष्ट्रीय संस्थानों, राज्यस्तरीय सहकारी संस्थाओं, जिलास्तरीय संस्थाओं और हर क्षेत्र की प्राथमिक सहकारी समितियों को मजबूत करते हुए पूरे देश में सहकारिता को पहुंचाना जरूरी है. इसके लिए हमें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष का उपयोग करना चाहिए.
सहकारिता मंत्रालय
उन्होंने कहा कि यह पूरा अभियान तीन पिलर्स पर आधारित है, सहकारिता को शासन के मुख्य प्रवाह का हिस्सा बनाना, सहकारिता आंदोलन में टेक्नोलॉजी के माध्यम से पारदर्शिता एवं प्रमाणिकता लाना और अधिक से अधिक नागरिकों को सहकारिता आंदोलन के साथ जोड़ने की प्रक्रिया को गति देना. इन तीनों स्तंभों के आधार पर सहकारिता वर्ष के दौरान कार्य करने की जरूरत है और इसके लिए अनेक प्रकार के लगभग 57 इनीशिएटिव अब तक भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय ने किए हैं.
इनपुट- IANS