नई दिल्‍ली: यूपी की राजनीति देश की राजनीति की दिशा-दशा तय करती है. एक बार फिर ऐसा होने का समय आ गया है. उत्‍तर प्रदेश के 2022 के विधानसभा चुनाव शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं. इसके साथ ही यूपी के पुराने राजनीतिक किस्‍सों की उलटबासी भी जोरों पर है. यूपी के राजनीति किस्‍सों की श्रृंखला में आज हम एक ऐसे सीएम की बात करेंगे, जिन्‍हें पहले तो कांग्रेस का चाणक्‍य कहा गया लेकिन फिर कांग्रेस आलाकमान ऐसी नाराज हुई कि उन्‍हें पार्टी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. 


पकड़ने पर रखा था 5 हजार का इनाम 


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हेमवती नंदन बहुगुणा वैसे तो उत्तराखंड के पौड़ी जिले के बुधाणी गांव में जन्‍मे थे लेकिन यूपी की राजनीति में ऐसे नेता बने, जिनके हारने की कोई कल्‍पना नहीं कर सकता था. हेमवती का विरोध इतना तगड़ा था कि भारत छोड़ो आंदोलन में ब्रिटिश सरकार भी उनसे तंग आ गई थी और उन्‍हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 5 हजार रुपये का इनाम तक रख दिया था. लेकिन हेमवती के तेवर बरकरार रहे. 


बीएचयू से कदम रखा था राजनीति में 


हेमवती बहुगुणा पढ़ाई के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी आए थे और यहीं से छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए. इसी दौरान लाल बहादुर शास्त्री के सम्पर्क में आए और कांग्रेस के सदस्‍य बन गए. वे संगठन से लेकर सरकार तक कई पदों पर रहे. हालात ये थे कि यूपी में कांग्रेस चाहकर भी हेमवती की अनदेखी नहीं कर सकती थी. तभी 1969 में ऐसा समय आया कि कांग्रेस 2 धड़ों में बंट गई. कमलापति त्रिपाठी और हेमवती नंदन बहुगुणा इंदिरा गांधी के साथ बने रहे. 


बस, चमक गई किस्‍मत 


कांग्रेस का 2 धड़ों में बंटना बहुगुणा के लिए काम आ गया. यूपी के सीएम त्रिभुवन नारायण सिंह पद पर रहते हुए उपचुनाव हार गए. उसके बाद कमलापति त्रिपाठी यूपी के सीएम बने तो उन्‍हें भी पीएसी विद्रोह और भ्रष्टाचार के आरोप में पद छोड़ना पड़ गया. बस, यहीं बहुगुणा की किस्‍मत चमक गई. वे उस वक्‍त सांसद थे और इंदिरा गांधी सीएम के लिए नया चेहरा तलाश रही थीं. हेमवती बहुगुणा के नाम पर सहमति बन गई और उन्‍हें 8 नवंबर 1973 में सीमए बना दिया गया. 1975 तक वे सीएम रहे. 


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बॉलीवुड सुपरस्‍टार से हार गए 


80 के दशक में हुए एक चुनाव ने बहुगुणा का करियर दांव पर लगा दिया. बहुगुणा तब तक कांग्रेस छोड़ चुके थे और लोकदल की टिकट पर मैदान में थे. 1984 के इस चुनाव में इलाहाबाद लोकसभा सीट से उनके खिलाफ सुपर स्‍टार अमिताभ बच्‍चन उतरे थे. किसी के रहमोगुमान में भी नहीं था कि अंग्रेजों तक की नाक में दम करने वाले बहुगुणा एक बॉलीवुड सुपरस्‍टार से हार जाएंगे. लेकिन ऐसा हुआ और अमिताभ बच्चन ने हेमवती नंदन बहुगुणा को 1 लाख 87 हजार वोटों से शिकस्‍त दे दी. 



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इस हार ने बहुगुणा को ऐसा झटका दिया कि उन्‍होंने राजनीति से संन्यास ही ले लिया. इसके 5 साल बाद 17 मार्च 1989 को हेमवती नंदन बहुगुणा दुनिया से विदा हो गए. हालांकि उनके बच्‍चों ने उनकी राजनीतिक विरासत आगे बढ़ाई. बेटे विजय बहुगुणा उत्तराखंड के सीएम रह चुके हैं. वहीं उनकी बेटी रीता बहुगुणा जोशी सांसद रह चुकी हैं और फिलहाल भाजपा में हैं.