अन्ना हजारे के आंदोलन में शामिल होंगे कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त संतोष हेगड़े
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अन्ना हजारे के आंदोलन में शामिल होंगे कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त संतोष हेगड़े

भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हेगड़े वर्ष 2011 में हजारे के नेतृत्व में हुए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का अहम हिस्सा थे. 

अन्ना हजारे (फाइल फोटो)

हैदराबाद: लोकपाल के मुद्दे पर अन्ना हजारे के प्रस्तावित अनशन को बुधवार को उस समय बल मिला, जब उच्चतम न्यायालय के( सेवानिवृत्त) न्यायाधीश एवं कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त एन संतोष हेगड़े ने कहा कि वह सामाजिक कार्यकर्ता के इस आंदोलन में शामिल होंगे. भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हेगड़े वर्ष 2011 में हजारे के नेतृत्व में हुए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का अहम हिस्सा थे. उन्होंने इस अनशन के प्रति समर्थन जताते हुए कहा कि उनकी 23 मार्च को नई दिल्ली में अन्ना के आंदोलन में शामिल होने की योजना है.

'मैं उनके साथ बना रहूंगा'
हेगड़े ने कहा कि हाल में अपनी बेंगलूरू यात्रा के दौरान हजारे ने उन्हें आमंत्रित किया था. हेगड़े ने बताया, ‘‘उन्होंने( हजारे ने) मुझे कहा कि मुझे उनके साथ आना चाहिए. फिर उन्होंने किसी दूसरे से भी यही बात कहलवाई. इसके बाद मैं राजी (उनके साथ जुड़ने पर) हो गया. जहां तक इसकी (आंदोलन की) बात है तो यह अराजनीतिक है. मैं उनके साथ बना रहूंगा.’’ हेगड़े ने कहा कि हजारे ने संकेत दिया कि उनका आंदोलन अराजनीतिक बना रहेगा.

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हाल में हजारे बार बार यह कहते रहे हैं कि अगर लोकपाल, लोकायुक्त और चुनावी सुधार के लिए ‘‘ उचित’’ विधेयक पारित करने की उनकी मांग को पूरा नहीं किया जाता, तो वह दिल्ली में 23 मार्च से अनशन पर बैठेंगे. हेगड़े ने कहा कि वह हजारे के नेतृत्व में होने वाले आंदोलन में और अधिक सक्रियता से हिस्सा लेंगे जो‘‘ उनके द्वारा उठायेजाने वाले मुद्दों पर निर्भर करेगा.’’ 

'एनडीए सरकार लोकपाल नियुक्ति के मुद्दे पर पूरी सक्रियता से कार्रवाई नहीं कर रही है'
पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि इसमें कोई‘‘ संदेह’’ नहीं है कि एनडीए सरकार लोकपाल नियुक्ति के मुद्दे पर पूरी सक्रियता से कार्रवाई नहीं कर रही है. हेगड़े ने कहा कि लोकपाल नियुक्ति के मामले में देरी को लेकर हाल में उन्होंने रोष जताया था. उन्होंने कहा, ‘‘ सत्तारूढ़ पार्टी( भाजपा) भ्रष्टाचार निरोधकनिकाय नहीं चाहती है क्योंकि उसे डर है कि कहीं लोकपाल कार्यालय से सच बाहर न आ जाये, जिससे वह परेशानी में आ जायेगी.’’ 

मौजूदा प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने वहां लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की थी. आखिरकार गुजरात उच्च न्यायालय ने लोकायुक्त नियुक्त करने का निर्देश दिया. यहां( केंद्र में) भी यही रवैया प्रतीत हो रहा है.

(इनपुट - भाषा)

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