"सेनाओं की सिर्फ एक विचारधारा होती है और वो है देश का हित सर्वोपरि. इसके ऊपर कुछ नहीं है."
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नई दिल्ली: जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने बुधवार को देश के नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का पदभार संभाल लिया है. देश के पहले सीडीएस को लेकर जनरल जनरल वीके सिंह ज़ी न्यूज़ से खास बातचीत की. उन्होंने CDS की नियुक्ति का स्वागत करते हुए इसका विरोध करनेवालों को नसीहत दी की सेना का अपमान न करें. पढ़ें जनरल जनरल वीके सिंह से बातचीत के खास अंश...
पूर्व सेनाध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने पूरे देश को नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि देश आगे बढ़े और हम सब मिलकर इसे और आगे लेकर जाएं.
सवाल: CDS की नियुक्ती को लेकर आप क्या कहेंगे?
जवाब: सीडीएस की जरूरत बहुत सालों से चली आ रही है. अब जाकर इसकी स्थापना हुई है. इसके लिए प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं और हमारे पहले सीडीएस बिपिन रावत जी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं. मुझे आशा है यह प्रक्रिया जो शुरू हुई है, इससे सशस्त्र सेना बलों में बढ़िया समन्वय होगा.
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सवाल: सीडीएस से सेना का काम कैसे आसान होगा?
जवाब: सीडीएस का जो अपॉइंटमेंट है वह धीरे-धीरे विकसित होगा. कुछ नई चीजें लाई जाएंगी, कुछ और चीजें जोड़ी जाएंगी. यह प्रोसेस चलता रहेगा. अभी सीडीएस बना है. उसको काम करने दीजिए. सेनाओं को उसके साथ काम करने दीजिए. देखेंगे कि इस तरीके से एक उत्कृष्ट अपॉइंटमेंट बनेगा जिसे सेनाओं को लाभ होगा.
सवाल: क्या सीडीएस एक विजन है?
जवाब: हर एक देश के अंदर सीडीएस का अलग-अलग रूप है. यूके में कुछ है तो ऑस्ट्रेलिया में कुछ और है. बांग्लादेश का हायर डिफेंस स्ट्रक्चर कुछ अलग है. सब अपनी-अपनी जरूरतों के हिसाब से अपने-अपने संदर्भ में स्थापित करते हैं. हमने भी अपने संदर्भ में इसे स्थापित किया. आप देखेंगे कि समय के साथ इसमें सुधार होगा. इसे और अच्छा बनाने का प्रयत्न किया जाएगा.
सवाल: कांग्रस CDS के खिलाफ है. इसे लेकर आपका क्या कहना है?
जवाब: एक ऐसी पार्टी जो इतनी पुरानी है, सारी बातें आजादी की लड़ाई से शुरू करती है. हालांकि उस समय की कांग्रेस और अब कि कांग्रेस में बहुत फर्क है. "अगर वह ऐसा कहते हैं तो" तुच्छ" शब्द भी बहुत छोटा है उनके लिए.'' सिर्फ इसलिए आप विरोध की बात कर रहे हैं कि आप विपक्ष में हैं. बिना सोचे समझे बोले चले जा रहे हैं. मैंने मनीष तिवारी का कमेंट देखा. जल्दबाजी नहीं है सोच समझ कर फैसला लिया गया है. "अगर उनका बस चले शायद वह चाहेंगे कि 100 साल और निकल जाए और हमारी सेनाएं जैसे चली आ रही हैं जिन खामियों के साथ, वैसे ही चलती रहें. उनको कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वह सत्ता भोगी हैं. सेवा करने वाली मानसिकता नहीं है.
"यह एक विचारधारा की चीज नहीं है. विपक्ष के लोग जो अपने आप को बुद्धिजीवी समझते हैं मैं उन सबसे ये कहना चाहता हूं कि सेना सिर्फ एक विचारधारा से चलती है वह ये कि देश का हित सर्वोपरि है. इसके ऊपर और कुछ नहीं है.'' राजनीतिक विचारधारा कोई मायने नहीं रखती और अगर किसी को लगता है कि छींटाकशी करेंगे तो आप सेनाओं का अपमान कर रहे हैं तो यह उनकी गलत सोच है.
सवाल: पीओके को लेकर आपका क्या कहना है?
जवाब: जब सब कुछ फेल हो जाता है तब लड़ाई होती है. सेना तब काम करती है. अभी तो बहुत कुछ करने को है. आपकी कूटनीति क्या होगी आपकी रणनीति क्या होगी. आप किस तरहे से विश्व में राजनीतिक दवाब बनाकर अलग माहौल खड़ा करते हैं. लड़ाई की बात तो हम कर ही नहीं रहे.
"पीओके तो वैसे भी हमारा है." अपने आप चले जाएंगे वो. आप देखते रहिए. पीओके आ जाएगा.