'रजिस्ट्रार जनरल' का खुलासा- 'NRC ड्रॉफ्ट SC के सामने पेश करेंगे, उसके बाद फाइनल लिस्ट जारी होगी'
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'रजिस्ट्रार जनरल' का खुलासा- 'NRC ड्रॉफ्ट SC के सामने पेश करेंगे, उसके बाद फाइनल लिस्ट जारी होगी'

नेशनल रजिस्‍टर ऑफ सिटीजन्‍स (एनआरसी) मुद्दे पर रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया शैलेश से जी मीडिया ने खास बातचीत की.

रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया शैलेश से जी मीडिया ने खास बातचीत की

(अश्विनी कुमार गुप्ता), नई दिल्ली: नेशनल रजिस्‍टर ऑफ सिटीजन्‍स (एनआरसी) मुद्दे पर रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया शैलेष से जी मीडिया ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह एक ड्रॉफ्ट है और ड्रॉफ्ट को ड्रॉफ्ट ही समझना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये एक ड्राफ्ट है और इसके ऊपर किसी भी तरह का एक्शन कोई अथॉरिटी नहीं लेगी. उन्होंने आगे की प्रक्रिया पर बातचीत करते हुए यह भी बताया कि इसके बाद हमें इस ड्रॉफ्ट को सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रस्तुत करना होगा, उसके बाद फाइनल लिस्ट जारी होगी.

  1. यह एक ड्रॉफ्ट है और ड्रॉफ्ट को ड्रॉफ्ट ही समझना चाहिए: शैलेष
  2. हमें इस ड्रॉफ्ट को सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रस्तुत करना होगा: शैलेष
  3. पश्चिम बंगाल भेजे गए थे करीब 1 लाख 20 हजार डॉक्यूमेंट्स: शैलेष

6.5 करोड़ डॉक्यूमेंट्स पहुंचे
आपत्तियों पर बातचीत करते हुए रजिस्ट्रार जनरल ने कहा कि हालांकि उस लिस्ट को लेकर भी अगर किसी को कोई आपत्ति है तो foreigners tribunal में 60 दिन के अंदर अपील फाइल कर सकते हैं. प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बात करते हुए शैलेष ने कहा, "इस प्रक्रिया में 6.5 करोड़ डाक्यूमेंट्स 3.29 करोड़ आवेदकों के साथ आए थे. 90-95 फीसदी डाक्यूमेंट्स असम के ही थे जिनका वेरिफिकेशन वहां की सरकार ने करवाया. इसके अलावा करीब 6 लाख डाक्यूमेंट्स बाकी राज्यो में गए हैं. जिसमें काफी संख्या में डाक्यूमेंट्स पश्चिम बंगाल, बिहार, मेघालय, नागालैंड जैसे कई राज्यों में भेजे गए."

पश्चिम बंगाल भेजे गए थे करीब 1 लाख 20 हजार डॉक्यूमेंट्स
जी मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि वेरिफिकेशन के लिए सबसे ज्यादा डाक्यूमेंट्स 3-4 स्टेट्स में भेजे गए थे जिनमें से एक पश्चिम बंगाल है. उन्होंने कहा, "पश्चिम बंगाल में करीब 1 लाख 20 हजार डाक्यूमेंट्स भेजे गए थे, और 14 से 15 हजार डाक्यूमेंट्स ही वापस मिले हैं. जो कि सिर्फ 10 से 11 फीसदी है. पश्चिम बंगाल ने इस काम के लिए मैन पावर का सपोर्ट मांगा था इसलिए मैंने कोलकाता ऑफिस के कुछ अधिकारियों को उनकी मदद के लिए लगाया था."

पश्चिम बंगाल में अपनानी पड़ी वैकल्पिक प्रक्रिया
शैलेष ने आगे कहा, "सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही हमें अपने अधिकारियों को मदद के लिए लगाना पड़ा, क्योंकि काफी समय हो गया था और वहां से कोई रिजल्ट नहीं आया थाय लेकिन उसके बाद भी हमें 12-13 हजार डॉक्यूमेंट ही मिल पाए. हमें कई लोगों के डाक्यूमेंट्स नहीं मिल पाए. इसलिए वैकल्पिक प्रक्रिया अपनानी पड़ी. डीएम इंवेस्टिगेशन के जरिए अपने तौर पर वेरिफिकेशन करना पड़ा कि इनका सिटीजनशिप है या नहीं."

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