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नई दिल्ली: भारत ने बिहार के चर्चित शाही लीची (litchi) की पहली खेप का एक्सपोर्ट ब्रिटेन को किया है. इस मौसम की पहली खेप को हवाई मार्ग के जरिये आज (सोमवार) भेजी गई, कॉमर्स मंत्रालय ने यह जानकारी दी. मुख्य रूप से बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर और चंपारण जिले तथा उसके आसपास के क्षेत्र में उगाई जाने वाली शाही लीची अपनी खास मिठास और स्वाद के लिये जानी जाती है.
GI सर्टिफाइड है बिहार का लीची
बिहार का लीची GI यानी किसी खास जगह की पहचान वाला Certified product है. जीआई सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट की कीमत थोड़ी अधिक होती है क्योंकि कोई भी उत्पादक उसी प्रकार के सामान के लिये बाजार में नाम का दुरूपयोग नहीं कर सकता. एक जीआई कैटेगरी का उपयोग एक निश्चित क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले कृषि, प्राकृतिक या मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट के लिए किया जाता है. आमतौर पर, ऐसा नाम क्वालिटी और Specialty की गारंटी देता है, जो मुख्यत: इसके मूल स्थान के कारण होता है.
लीची के अलावा ये प्रोडक्ट भी हैं खास
दार्जिलिंग चाय, तिरुपति लड्डू, नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना कुछ ऐसे उत्पाद हैं जिन्हें GI का दर्जा मिला हुआ है. मंत्रालय ने कहा कि चूंकि लीची खाने लायक कुछ ही समय तक रह सकता है, अत: उसके Processed और Value added products के लिये एक्सपोर्ट के अवसर टाटोलने की जरूरत है. बयान के अनुसार, ‘बिहार में शाही लीची चौथा कृषि उत्पाद है जिसे जीआई दर्जा 2018 में मिला. इससे पहले जर्दालु आम, कतरनी चावल और मगही पान को यह दर्जा मिला था.’
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इन क्षेत्रों में अधिक होता है लीची
मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, चंपारण, बेगुसराय जिले और उसके आसपास के क्षेत्र का क्लाइमेट शाही लीची के लिये काफी अनुकूल है. चीन के बाद भारत दुनिया में लीची का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. भारत में जहां लीची को ताजे फल के रूप में खाना और खिलाना पसंद करते हैं, वहीं चीन और जापान में इसे सूखे या डिब्बाबंद रूप में पसंद किया जाता है. देश में लीची उत्पादन में बिहार शीर्ष पर है.
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