विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, 'इराक में लापता 39 भारतीयों की तलाश जारी रखेगी केंद्र सरकार'
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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, 'इराक में लापता 39 भारतीयों की तलाश जारी रखेगी केंद्र सरकार'

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में कहा कि केंद्र सरकार इराक के मोसुल शहर में लापता हुए 39 भारतीयों की तलाश उन सूत्रों की वजह से जारी रखेगी जो एक देश के प्रमुख और एक विदेश मंत्री हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि भविष्य में ठोस सबूत मिलने के बाद ही पीड़ितों के परिजनों को ताजा स्थिति की जानकारी दी जाएगी.

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं कहा कि वे जिंदा हैं और न ही मैंने कभी यह कहा कि वे मारे गए हैं (फाइल फोटो)

नयी दिल्ली: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में कहा कि केंद्र सरकार इराक के मोसुल शहर में लापता हुए 39 भारतीयों की तलाश उन सूत्रों की वजह से जारी रखेगी जो एक देश के प्रमुख और एक विदेश मंत्री हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि भविष्य में ठोस सबूत मिलने के बाद ही पीड़ितों के परिजनों को ताजा स्थिति की जानकारी दी जाएगी.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उच्च सदन में दिए अपने बयान में कहा, ‘‘ सरकार इन भारतीयों की तलाश जारी रखेगी .’’ बहरहाल उन्होंने ‘‘राजनयिक गोपनीयता’’ का हवाला देते हुए इन सूत्रों का खुलासा नहीं किया.

इस मामले को लेकर देश को गुमराह करने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं कहा कि वे जिंदा हैं और न ही मैंने कभी यह कहा कि वे मारे गए हैं . इराक के विदेश मंत्री पिछले दिनों भारत आए थे और उन्होंने यह भरोसा दिया है कि अब वह जो भी जानकारी देंगे, सबूत के साथ ही देंगे.’‘ इराक में करीब तीन साल पहले लापता भारतीयों का मुद्दा 19 जुलाई 2017 को उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने उठाया था और पार्टी के दिग्विजय सिंह, अंबिका सोनी, रेणुका चौधरी , प्रमोद तिवारी तथा रिपुन बोरा सहित अन्य सदस्यों ने इससे स्वयं को संबद्ध किया था. इसी मुद्दे पर जवाब देते हुए सुषमा ने आज बयान दिया.

विदेश मंत्री ने कहा कि वह लगातार कहती आई हैं कि अपहृत भारतीय जीवित हैं या नहीं, इस बारे में कोई सबूत नहीं है. उन्होंने कहा ‘‘ बिना सबूत इन लोगों को मृत घोषित करना पाप है और निहायत गैर जिम्मेदाराना है. मैं न तो इस पाप की भागी बनूंगी, और न ही गैर जिम्मेदाराना काम करूंगी. ’’ उन्होंने सवाल किया ‘‘मुझे माफी क्यों मांगनी चाहिए ? इसलिए, क्योंकि मैंने उन्हें (अपहृत भारतीयों को) मृत घोषित नहीं किया ?’’ सुषमा स्वराज ने कहा ‘‘24 नवंबर 2014 को इसी सदन में चर्चा हुई थी और मैंने कहा था कि इन भारतीयों के जीवित होने या न होने के बारे में हमारे पास कोई ठोस सबूत नहीं है. हरजीत नामक व्यक्ति ने यह दावा किया है कि वह इन भारतीयों के साथ था और उसके सामने ही इन भारतीयों को गोली मारी गई है. अगर एक भी व्यक्ति हरजीत के इस दावे की पुष्टि कर दे तो हम मान लेंगे कि वह सही कह रहा है.’’ 

सुषमा स्वराज ने कहा कि 15 जून 2014 को जेएनबी में एक बैठक के दौरान मुझे सूचना दी गई कि हरजीत नामक एक लड़का फोन पर मुझसे बात करना चाहता है और वह कह रहा है कि वह उन 40 भारतीयों में से एक है जिन्हें मोसुल में आईएसआईएस ने बंधक बना लिया था. ‘‘ मैंने सूचना देने वाले से कहा कि जिस नंबर से फोन आया है उस पर कॉल बैक किया जाए. फोन करने पर पता चला कि फोन किसी दूसरे व्यक्ति का था. उससे पूछने पर उसने कहा कि हरजीत उसके पास ही बैठा है. मैंने उससे बात की. पूरी बात पंजाबी में हुई और उसने बताया कि वह लोग मोसुल में एक कंपनी में काम करते थे. वहां बांग्लादेशी भी थे. आईएसआईएस ने उन्हें बंधक बनाया और फिर अपने साथ ले गए.’’ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा ‘‘हरजीत ने दावा किया कि आगे जा कर आईएसआईएस के लोगों ने बांग्लादेशियों और भारतीयों को अलग अलग किया और उसकी आंखों के सामने भारतीयों को गोली मार दी. मैंने हरजीत से बार बार पूछा कि वह कैसे बच कर निकल पाया तो वह केवल यही कहता रहा कि मुझे बचा लीजिये वरना मुझे भी मार डाला जाएगा. मुझे लगा कि हरजीत ट्रॉमा में है और मैंने इरबिल स्थित भारतीय मिशन से हरजीत की मदद करने को कहा. ’’ 

उन्होंने कहा कि यह 15 जून की घटना है और बाद में इन 39 भारतीयों में से एक के भाई ने एक टीवी चैनल पर कहा कि उसकी 17 जून को उसके भाई से बात हुई है जिसने उसे बताया है कि वह आईएसआईएस के कब्जे में है और ठीक है. इससे हरजीत की बात में विरोधाभास का पता चलता है. सदन को गुमराह किए जाने के आरोपों को खारिज करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि वह पुख्ता सबूत मिलने के बाद ही इन भारतीयों के परिजनों को जानकारी देंगी. उन्होंने साथ ही कहा कि वह इस मसले को लेकर इन परिवारों से 12 बार मुलाकात कर चुकी हैं. ‘‘सदन को गुमराह कर मुझे या मेरी सरकार को क्या मिलेगा ?’’ 

विदेश मंत्री ने कहा कि इस साल 9 जुलाई को इराक सरकार ने ऐलान किया कि मोसुल को आईएसआईएस के कब्जे से मुक्त करा लिया गया है. इसके अगले ही दिन विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह को लापता भारतीयों का पता लगाने के लिए वहां भेजा गया. इराक के एक बड़े अधिकारी ने उन्हें बताया कि इन भारतीयों को तीन साल पहले मोसुल एयरफील्ड से पकड़ा गया था. उन्होंने सिंह को यह भी बताया कि इन भारतीयों को कुछ समय जेल में रखा गया , फिर उन्हें अस्पताल में और फिर खेतों में काम पर लगाया गया. इसके बाद साल 2016 के शुरू में बदरुस जेल ले जाया गया और उसके बाद से इन लोगों के बारे में इराकी प्रशासन को कोई जानकारी नहीं है.

विदेश मंत्री ने कहा कि इराक की सरकार का कहना है कि वर्ष 2016 के बाद से उन्हें इन लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं है . हमारे पास यही अंतिम जानकारी है जिससे हमने पीड़ितों के परिजनों को अवगत करा दिया है. मीडिया के सामने भी हमने यही बात कही. सुषमा ने कहा कि जिस जेल में इनके बंद होने की बातें कही जा रही हैं , उसके बारे में भारत सरकार ने इराक से कहा है कि वह जेल के नष्ट होने से पूर्व वहां से निकलने वाले जेल के वार्डन से पूछताछ कर कैदियों के नामों की सूची में भारतीय कैदियों के वहां कभी मौजूद रहने के बारे में जानकारी हासिल करे.

सुषमा स्वराज ने कहा कि इन लोगों के बारे में अभी तक ऐसी कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली है कि इन्हें आतंकी संगठन आईएसआईएस ने मार दिया है या ये अभी जिंदा हैं . इसलिए अभी सरकार किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. उन्होंने इन खबरों को भी गलत बताया कि उन्होंने इन कैदियों के बदरूस जेल में होने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि जेल की तस्वीर भी केवल यह बताती है कि यह जेल अब ढह चुकी है लेकिन ऐसी किसी सवाल का जवाब इससे नहीं मिलता कि जेल के ध्वस्त होने से पहले कैदियों को कहां भेजा गया,यदि वे मारे गए तो 20 हजार की क्षमता वाली जेल के कैदियों का क्या हुआ? 

उन्होंने बताया कि मोसूल के आईएसआईएस के कब्जे से मुक्त होने की सूचना मिलते ही विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह को वहां भेजा गया ताकि लापता भारतीयों के बारे में कोई जानकारी मिल सके और उसके बाद इराक सरकार से मिली उपरोक्त जानकारी को परिजनों के साथ साझा किया गया. उन्होंने सदन को गुमराह करने और झूठ बोलने के आरोपों को नकारते हुए कहा कि संसद में खड़े हो कर झूठ बोलना अपराध है और वह यह अपराध नहीं करतीं.

सुषमा ने कहा ‘‘हम हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठे हैं. एक ट्वीट पर ही हम मदद करते हैं. पिछले तीन साल में हम करीब 80 हजार भारतीयों को संकट से निकाल कर भारत वापस ले कर आए हैं. यह वह लोग हैं जिनके लिए हमने टिकट का इंतजाम अपने पैसों से किया. हम फादर प्रेम कुमार को और जूडिथ को लेकर आए हैं. हम फादर टॉम को लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. सोमालिया सहित अन्य देशों में अपहृत लोगों को अपनी कोशिशों से रिहा कराने और वापस लाने में हम सफल रहे हैं. जरूरत के समय जो भी देश मदद कर सकते हैं, उनसे हमने मदद मांगी है.’’ 

सुषमा ने कहा कि इन लोगों को मृत घोषित करना तो बहुत आसान है क्योंकि इससे सारे सवाल अपने आप समाप्त हो जाएंगे लेकिन बिना सबूत के किसी को मृत घोषित करना पाप है. और यह पाप मैं नहीं करूंगी. सुषमा ने कहा कि इन लोगों में से कोई भविष्य में जिंदा आकर खड़ा हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा. उन्होंने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि जो यह कह रहे हैं कि भारतीय नागरिकों के बारे में मैं सच को छुपा रही हूं तो वे लोग जाकर उनके परिजनों को अरदासा करने के लिए कह दें लेकिन बाद में जिम्मेदारी मेरी नहीं, उनकी होगी. विदेश मंत्री ने पुन: इस बात को दोहराया कि सरकार इराक में लापता 39 भारतीयों की तलाश जारी रखेगी.

आज सुषमा के बयान के बाद बाजवा ने उनसे जानना चाहा कि किन स्रोतों से उन्हें जानकारी मिली है. इस पर सुषमा ने कहा ‘‘मेरे स्रोत एक देश के प्रमुख हैं और एक विदेश मंत्री हैं. ’’ बाजवा ने यह भी कहा कि एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को इराक भेज कर स्थिति की जानकारी लेना चाहिए.

उन्होंने कहा ‘‘मेरे पास सबूत नहीं है, जानकारी है और जानकारी तथा सबूत में अंतर होता है. ’’ सुषमा ने कहा कि इराक में लापता इन भारतीयों के बारे में एक भी सबूत मिलने पर वह तत्काल इस बारे में जानकारी देंगी. उन्होंने कहा ‘‘अगर तब संसद सत्र चल रहा होगा तो मैं संसद में जानकारी दूंगी और अगर सत्र न चल रहा हो तो ट्विटर पर इसकी जानकारी देंगी. अगर खबर अच्छी हुई तो पीड़ितों के परिवारों की खुशियों में शामिल होउंगी और खबर बुरी हुई तो उनका दुख बांटूंगी.’’ 

साथ ही विदेश मंत्री ने कांग्रेस सदस्य पर इराक में लापता भारतीयों के बारे में बहस को जानबूझकर राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाते हुए कहा ‘‘आपने एजेंडा तय कर रखा है कि आप अपनी विदेश मंत्री को झूठा और हरजीत को सही साबित करेंगे .’’ 

कांग्रेस की ही अंबिका सोनी के सवाल पर सुषमा ने कहा कि इराक में लापता भारतीयों के बारे में वह कम से कम 20 सवालों के जवाब दे चुकी हैं और यही कहा है कि उनके पास अभी सबूत नहीं हैं. गोपनीयता के सवाल पर उन्होंने कहा कि पूरा मसला ही गोपनीय है. सदन में बैठे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर संकेत करते हुए सुषमा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री बताएं कि क्या ऐसे मामलों में स्रोत का खुलासा किया जा सकता है ? उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि इराक में लापता ये भारतीय जीवित हों और सरकार उनकी तलाश जारी रखे.

 

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