Indian Rape Laws: आरोपी ने दलील दी कि उनका रिश्ता सहमति पर आधारित था और इसे बलात्कार नहीं कहा जा सकता. उन्होंने पूर्व के मामलों का हवाला देते हुए कहा कि सहमति के साथ बना रिश्ता भले ही शादी का वादा किया गया हो तब तक अपराध नहीं माना जा सकता जब तक वादा शुरू से झूठा न हो.
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Kerala High Court: केरल हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार का मामला रद्द करने से इनकार कर दिया. आरोप है कि उसने पीड़िता से शादी का झूठा वादा करके उससे शारीरिक संबंध बनाए और बाद में शादी से मुकर गया. हाईकोर्ट ने कहा कि सेक्स किसी वादे का हिस्सा नहीं हो सकता. जस्टिस ए बदरुद्दीन की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने कहा कि अगर यह प्रमाणित होता है कि पीड़िता से शादी के वादे पर, बिना किसी ईमानदार इरादे के शारीरिक संबंध बनाए गए, तो यह सहमति भ्रामक तथ्यों पर आधारित मानी जाएगी. ऐसी स्थिति में सहमति वैध नहीं होती.
आखिर मामला क्या है..
दरअसल, आरोप है कि आरोपी, जो पुलिस विभाग का सदस्य है और पीड़िता के दोस्त का भाई है, ने 2019 में पीड़िता से तब दोस्ती की, जब उसकी शादी एक अन्य व्यक्ति से तय हो चुकी थी. कोरोना महामारी के कारण शादी टल गई. इस दौरान आरोपी ने पीड़िता को शादी का वादा किया और कई बार शारीरिक संबंध बनाए.
बाद में आरोपी ने शादी से इंकार कर दिया. पीड़िता ने 9 जनवरी 2022 को पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई. शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि आरोपी ने पीड़िता के कार्यस्थल अस्पताल जाकर उसे शिकायत वापस लेने के लिए धमकी दी और उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें सार्वजनिक करने की धमकी दी.
फिर आरोपी के क्या दी दलील
आरोपी ने दलील दी कि उनका रिश्ता सहमति पर आधारित था और इसे बलात्कार नहीं कहा जा सकता. उन्होंने पूर्व के मामलों का हवाला देते हुए कहा कि सहमति के साथ बना रिश्ता भले ही शादी का वादा किया गया हो तब तक अपराध नहीं माना जा सकता जब तक वादा शुरू से झूठा न हो.
सरकारी पक्ष की दलील
लोक अभियोजक ने तर्क दिया कि आरोपी ने शादी का झूठा वादा कर पीड़िता से सहमति प्राप्त की, जिससे वह सहमति वैध नहीं रही. साथ ही आरोपी द्वारा धमकी देना और पीड़िता की तस्वीरें सार्वजनिक करने की बात, मामले को और गंभीर बनाती है.
अब हाईकोर्ट के क्या कहा..
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर शादी का वादा शुरू से ही झूठा हो और इस आधार पर सहमति प्राप्त की जाए, तो यह आईपीसी की धारा 90 के तहत अवैध मानी जाएगी. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सहमति का मतलब है महिला की स्पष्ट और स्वैच्छिक स्वीकृति. कोर्ट ने कहा कि यदि सहमति डर, चोट, या भ्रामक तथ्यों के आधार पर प्राप्त की गई हो, तो वह सहमति वैध नहीं मानी जाएगी." इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी की याचिका खारिज कर दी और मामले को आगे बढ़ाने का आदेश दिया. Photo: AI