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नई दिल्ली: कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन (Farmers Protest) कब खत्म होगा, ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन इस आंदोलन ने पंजाब की दूरसंचार व्यवस्था (Telecom Service) को बुरी तरह प्रभावित किया है. ऐसे में यह सवाल लाजमी हो गया है कि क्या आंदोलन की आड़ में असामाजिक तत्व अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं? अंबानी और अडानी समूह के विरोध के नाम पर पंजाब में कई जगहों पर रिलायंस जियो के टावर (Mobile Tower) को नुकसान पहुंचाया गया, जिससे दूरसंचार व्यवस्था पर असर पड़ा है.
किसान आंदोलन (Farmers Protest) शुरू होने के बाद से पंजाब (Punjab) में अब तक करीब 1400 टावर तोड़े जा चुके हैं. पिछले 24 घंटों में ही कई टावरों को नुकसान पहुंचाने की खबर सामने आई है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि अंबानी और अडानी से जुड़ी कंपनियां किसानों से अनाज नहीं खरीदतीं, इसके बावजूद टावरों को निशाना बनाया जा रहा है. यहां तक कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) की अपील का भी कोई खास असर नहीं हुआ है.
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आम जनता उठा रही खामियाजा
दूरसंचार टावरों को निशाना बनाने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि नए कृषि कानूनों से मुकेश अंबानी और गौतम अडानी जैसे उद्योगपतियों को लाभ होगा. विरोधियों का तो यहां तक कहना है कि भविष्य में उन्हें अपनी जमीन इन उद्योगपतियों को बेचने को मजबूर किया जाएगा. जबकि हकीकत ये है कि दोनों ही समूह की कंपनियां किसानों से अनाज नहीं खरीदतीं. रिलायंस जियो का दूरसंचार क्षेत्र में दबदबा है, ऐसे में उसके टावरों को नुकसान पहुंचाने से राज्य की दूरसंचार व्यवस्था लड़खड़ा गई है. जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.
पंजाब के मुख्यमंत्री की तरफ से दूरसंचार व्यवस्था को प्रभावित न करने की अपील की गई है. मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ‘आंदोलनकारी किसानों को राज्य की दूरसंचार सेवा को बाधित नहीं करना चाहिए, उन्हें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि आम लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो. किसान जिस संयम के साथ आंदोलन करते आए हैं, उन्हें उसे बरकरार रखना चाहिए’. हालांकि, ये बात अलग है कि प्रदर्शनकारियों पर इस अपील का कोई असर नहीं हुआ है. पिछले 24 घंटों में ही कई जगहों पर टावरों को निशाना बनाया गया है.
टावर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाडर्स एसोसिएशन (टीएआईपीए)ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से गुहार लगाई थी. एसोसिएशन से CM से आग्रह किया था कि वे किसानों से गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल न होने की अपील करें. इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने बयान जारी करके किसानों से संयम से काम लेने और टावरों को नुकसान न पहुंचाने की अपील की. बता दें कि नए कृषि कानूनों को लेकर किसान पिछले एक महीने से आंदोलन कर रहे हैं. सरकार के साथ पूर्व में उनकी बातचीत भी हुई है, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल सका है.