नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली (Delhi) की सीमाओं पर डटे हजारों किसानों ने अपना आंदोलन (Farmers Protest) तेज कर दिया है. 5 दौर की वार्ता और 8 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है. किसान कानून रद्द करने की मांग कर रहे हैं जबकि सरकार बदलाव करते हुए इन्हें बरकरार रखने पर अड़ी हुई है. ऐसे में गुरुवार को केंद्र के तीन मंत्रियों ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की.


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बंगाल सरकार पर बोला हमला
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, कृषि सचिव संजय अग्रवाल के अलावा उपभोक्ता मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव निधि खरे मौजूद रहे. कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में कृषि मंत्री और वाणिज्य मंत्री ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (JP Nadda) पर हुए हमले की निंदा करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा 'बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगाल गए हुए हैं. वहां उनके कई कार्यक्रम हैं. लेकिन बहुत ही खेद के साथ ये कहना पड़ रहा है कि जो सुरक्षा वहां उन्हें मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली. उनकी गाड़ी पर पथराव हुआ. बंगाल में लोकतंत्र की हत्या का प्रयास किया गया है. ये अटैक केवल नड्डा पर नहीं, भारत के लोकतंत्र पर हमला है.


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किसानों को मनाती नजर आई सरकार
कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्र सरकार किसानों को मनाती हुई नजर आई. कृषि मंत्री ने कहा कि हम किसान यूनियन से बातचीत करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने बताया कि कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश पहुंचे इसकी संभावना लगभग पहले न के बराबर थी. ऐसे में भारत सरकार ने इसके लिए कदम उठाया. इस बात की अपेक्षा थी कि कानून के माध्यम से कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ावा मिलेगा. किसान को अपनी फसल के वाजिफ और अच्छे दाम मिल सकेंगे. कानून के कारण ही किसान अपनी फसल कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र हुए. लेकिन अगर किसानों को इसमें कुछ कमियां लगती हैं तो उसके लिए बातचीत कर मसले का समाधान निकालने का प्रयास करेंगे.


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लिखित में देंगे MSP की गारंटी- कृषि मंत्री
कृषि मंत्री ने कहा कि अगर किसानों को फसल बेचने से संबंधित कुछ समस्या आती है तो 30 दिन में क्षेत्र के SDM उस समस्या को दूर कर विवाद खत्म करेंगे. मंत्री ने आगे कहा कि कानून के चलते किसान नई टेक्नोलॉजी से जुड़ेगा. बुआई के समय मूल्य की गारंटी मिल जाएगी. कानून में सुरक्षा देने का काम किया जा रहा है. तोमर ने कहा कि नए कानूनों के अंतर्गत किसानों को फसल का तत्काल भुगतान मिला है. व्यापारी से किसान को बड़ी हुई कीमत मिली. लेकिन किसानों को MSP को लेकर आशंका बनी हुई है. इसलिए केंद्र सरकार लिखित में MSP पर गारंटी देने के लिए तैयार है.


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जवाब न मिलने पर असमंजस में सरकार
तोमर ने कहा कि कुछ किसान यूनियन आंदोलन की राह में आ गए हैं. 14 अक्टूबर को पंजाब के साथ कानूनों को लेकर चर्चा हुई थी. इसी बीच में आंदोलन की घोषणा हो गई. जिसके बाद किसान नेताओं के साथ 5 दौर की वार्ता भी हुई. बैठक में सभी कानूनों को खत्म करने की मांग करते रहे. हमने कहा चर्चा के जरिए एक्ट में बदलाव कर उसे बरकरार रखते हैं. लेकिन सभी के तेवर तल्ख थे. लिहाजा बैठक में कोई सहमति नहीं बनी. कुछ लोग कह रहे थे ये कानून वैध नहीं हैं. हमने उनको लिखकर भेजा कि सरकार को किन-किन कानून बनाने का अधिकार है. हम किसान नेताओं से बातचीत कर जल्द से जल्द आंदोलन को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन दूसरी तरफ से कोई जवाब नहीं मिल रहा है. हम लगातार बातचीत करने के लिए निमंत्रण दे रहे हैं. लेकिन जवाब न मिलने से असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है. 


आंदोलन खत्म होने पर ही कानून में बदलाव संभव
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के आखिर में कहा कि कानून प्रस्तावित सुधारों पर सरकार तभी आगे बढ़ेगी जब किसान अपना आंदोलन खत्म करेंगे. नहीं तो सरकार के तीनों कानून इसी तरह लागू रहेंगे और उनमें कोई बदलाव नहीं होगा.