Tractor Rally की मंजूरी के बाद किसानों ने रखी नई मांग, कहा- शर्तों के साथ रैली का मतलब नहीं
Farmers Protest: गणतंत्र दिवस (Republic Day 2021) पर दिल्ली पुलिस द्वारा ट्रैक्टर परेड (Tractor Parade) की मंजूरी मिलने के बाद किसानों ने रैली की टाइमिंग और रूट पर सवाल उठाया है.
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस (Republic Day 2021) पर शर्तों के साथ ट्रैक्टर परेड (Tractor Parade) निकालने की मंजूरी दे दी है. हालांकि मंजूरी मिलने के बाद अब किसानों ने ट्रैक्टर रैली की टाइमिंग और रूट पर सवाल उठाया है.
किसानों ने कहा शर्तों के साथ रैली मंजूर नहीं
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता सुखविंदर सिंह सभरा ने कहा, 'शर्तों के साथ ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) निकालने की बात हमें मंजूर नहीं है. 12 बजे रैली निकालने का कोई तुक नहीं है.' इसके साथ ही उन्होंने रूट को लेकर भी सवाल उठाया और कहा, 'किसान ओल्ड रिंग रोड से जाना चाहते थे, लेकिन रैली को जिन इलाकों से इजाजत दी गई है, वह ज्यादातर हरियाणा का हिस्सा हैं.'
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500 किलोमीटर का है किसानों का रूटमैप
किसान नेता हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा, 'हमारा रूटमैप कुल 500 किलोमीटर का है. हमने रूटमैप बना लिया है और नेट पर डाल देंगे. सरकार इंतजाम करे, ताकि कुछ गड़बड़ न हो. हमने 3,000 वॉलंटियर की फोर्स बनाई है, ताकि कुछ गड़बड़ ना हो. ट्रैक्टर रैली शांतिपूर्वक होगी.'
पुलिस ने शर्तों के साथ दी है रैली को मंजूरी
दिल्ली पुलिस ने शर्तों के साथ किसानों की ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) को तीन रूट पर निकालने की मंजूरी दी है. पहला रूट 62-63 किलोमीटर का होगा और रैली दिल्ली के सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) से निकलकर संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर, कंजावला, बवाना और चंडी बॉर्डर से गुजरते हुए केएमपी एक्सप्रेसवे पहुंचेगी. दूसरी रैली टिकरी बॉर्डर से निकलकर नागलोई, नजफगढ़ और जाड़ौदा होते हुए वेस्टर्न पेरीफैरियल एक्सप्रेसवे तक जाएगी. वहीं तीसरे रूट पर किसानों की रैली गाजीपुर से निकलकर रैली अप्सरा बॉर्डर, हापुड़ रोड होते हुए केजीटी एक्सप्रेसवे तक जाएगी.
61 दिनों से जारी है किसानों का प्रदर्शन
नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) पिछले 61 दिनों से जारी है और किसान लगातार तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी दी जाए और तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द किया जाए.
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