नई दिल्ली: सरकार ने मंगलवार को नए कृषि कानूनों (Farm Bill 2020) के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की मांगों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने की पेशकश की. सरकार के इस प्रस्ताव पर आंदोलनरत 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से ठंडी प्रतिक्रिया मिली. किसान संगठन तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. आइए आसान शब्दों में समझें कि आज की बैठक में किसानों और सरकार के बीत क्या बातचीत हुई...


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किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विज्ञान भवन में बैठक के लिए, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) के साथ रेलवे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश (जो पंजाब के एक सांसद भी हैं) उपस्थित थे.


किसानों की मांगें
आंदोलनरत किसानों की तरफ से बैठक में शामिल हुए किसान नेताओं की एक राय थी कि तीनों नए कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए. किसानों के प्रतिनिधियों ने इन कानूनों को कृषक समुदाय के हित के खिलाफ करार दिया. किसानों ने कहा कि समिति का कोई मतलब नहीं. सरकार की तरफ से ये मसले को हल करने की नहीं बल्कि टालने की कोशिश है. उन्होंने मांग की कि MSP को लिखित कानूनी जामा पहनाया जाए. उन्होंने कहा कि हम बातचीत से नहीं भाग रहे, लेकिन जब तक हल नहीं निकलता तब तक आंदोलन जारी रहेगा. 


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सरकार ने क्या कहा? 
सरकार की तरफ से कहा गया कि आपको बिल में जो खामियां लगती हैं उन्हें सिलसिलेवार ढंग से लिखकर दें. अगली बैठक में खामियां लेकर आएं फिर उस पर बात की जाएगी. सरकार चाहती है कि एक समिति बनाई जाए, जिसमें किसानों के 5 से 6 प्रतिनिधि हों और उसमें अधिकारी, कृषि विशेषज्ञ भी हों. सरकार का ये भी कहना है कि तीनों बिल किसानों के हित में हैं फिर भी यदि आपको लगता है कि बिल में खामियां हैं तो लिखित में लाइए. हम उसपर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. अगली बैठक 3 दिसंबर (गुरुवार) को होगी. 


किसानों को समझाने की कोशिश
किसानों और सरकार के बीच हुई बैठक के दौरान 3 कृषि कानूनों को लेकर सरकार की तरफ से प्रेजेंटेशन दिया गया. किसान नेताओं को पूरी जानकारी दी गई कि बिल में कहीं नहीं कहा गया है कि  MSP और मंडी खत्म हो रहे हैं. हालांकि किसानों का कहना है कि प्रेजेंटेशन में जो दिखाया गया वो हम देख चुके हैं. अब इससे आगे की बात की जाए.


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बेनतीजा नहीं रही बैठक
कुल मिलाकर ये नहीं कहा जा सकता कि बातचीत बेनतीजा रही. बल्कि दोनों पक्षों के बीच संवाद हुआ. बातचीत हुई. टेबल पर दोनों पक्ष आए. दोनों पक्ष आगे भी बातचीत के लिए तैयार हैं. 


किसान प्रतिनिधि ने कहा- हमारा भला मत कीजिए
बैठक में एक किसान संगठन के प्रतिनिधि ने कहा कि आप लोग ऐसा कानून लाए हैं जिससे हमारी जमीनें बड़े कॉरपोरेट ले लेंगे. अब समिति बनाने का समय नहीं है. आप कहते है कि आप किसानों का भला करना चाहते हैं, हम कह रहे हैं हमारा भला मत कीजिए. बैठक में एक और किसान संगठन के प्रतिनिधि ने कहा कि किसान कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर हैं और मांग किया कि सरकार को इसे वापिस लेने पर विचार करना चाहिए.


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किसान आंदोलन पर गृह मंत्री अमित शाह ने की बैठक
सरकार निरंतर यह कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और इनसे कृषि में नई तकनीकों की शुरुआत होगी. बैठक से कुछ घंटे पहले, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, तोमर और गोयल, भाजपा प्रमुख जे पी नड्डा के साथ, केंद्र के नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन पर विस्तारपूर्वक विचार विमर्श हुआ. 


जारी रहेगा किसानों का प्रदर्शन
बता दें कि पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा दिल्ली की सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर शांतिपूर्ण धरना जारी है. सोमवार को उत्तर प्रदेश से लगती गाजीपुर सीमा पर भी प्रदर्शनकारी किसान जुटे.