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नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) एक महीने से जारी है और 33वें दिन भी किसान दिल्ली की तमाम सीमाओं पर टिके हुए है. किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाए. इस बीच सरकार के साथ किसान संगठनों की होने वाली बैठक से पहले किसान नेता आज (सोमवार) अहम बैठक करेंगे, जिसमें वार्ता की रणनीति तैयार होगी.
नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई सहमति नहीं बन पाई है. आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार के बीच अगले दौर की बातचीत 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे बैठक होगी. इस बीच किसान संगठनों ने मांग रखी है कि बैठक में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी दर्जा देने पर बात की जाए.
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आंदोलन को तेज करते हुए हरियाणा के किसान संगठनों का कहना है कि उनकी मांगें पूरी नहीं होने तक राज्य से गुजरने वाले सभी हाईवे को टोल फ्री रखेंगे. इससे पहले किसानों ने कहा था कि 25 से 27 दिसंबर तक हाईवे पर बने टोल नाकों को फ्री करेंगे.
हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, 'आज हम कई टोल प्लाजा पर गए थे. वहां लोगों का विचार था कि टोल प्लाजा को हमेशा के लिए फ्री कर देना चाहिए. हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी हमने वाहनों के लिए टोल प्लाजा फ्री करने का फैसला लिया है. सभी टोल प्लाजा पर चल रहे आंदोलनों पर नजर रखने के लिए एक समिति बनाई जाएगी. यही समिति अधिकारियों से बात करेगी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने केंद्र सरकार पर किसानों के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार किसानों से उनकी खेती जमीन छीनना चाहती है. केजरीवाल ने कहा, "मैं केंद्र सरकार से अपील करता हूं, इनकी बातें सुनकर कृषि के तीनों कानूनों को वापस ले लीजिए. किसानों को राष्ट्रद्रोही कहा जा रहा है, अगर किसान राष्ट्रद्रोही हो गया तो तुम्हारा पेट कौन भरेगा? किसानों की खेती चली गई तो किसान कहां जाएगा? किसानों के पास क्या बचेगा?
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि ये दुष्प्रचार किया जा रहा है कि किसानों की जमीन कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से छीन ली जाएगी. कोई भी मां का लाल किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकता है. ये मुकम्मल व्यवस्था कृषि कानूनों में की गई है. उन्होंने कहा कि जब भी कभी सुधार लागू किए जाते हैं, तब इसके सकारात्मक परिणाम दिखना शुरू होने में कुछ साल लग जाते हैं.