फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जब पीडीपी बीजेपी के साथ गठबंधन में थी तो यह टेरर-फ्रेंडली नहीं था. लेकिन जैसे ही पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस की गठबंधन की बात चली तो यह टेरर फ्रेंडली हो गया.
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नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें राज्यपाल से बहुत उम्मीदें थी लेकिन वह भी केंद्र के दूसरे गुलामों की तरह निकलें. फारूक अब्दुल्ला ने कहा बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब पीडीपी बीजेपी के साथ गठबंधन में थी तो यह टेरर-फ्रेंडली नहीं था. लेकिन जैसे ही पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस की गठबंधन की बात चली तो यह टेरर फ्रेंडली हो गया.
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, मुझे राज्यपाल से बहुत उम्मीद थी, लेकिन यह बहुत दुख की बात है कि वह भी केंद्र के दूसरे गुलामों की तरह निकले. राज्यपाल को इस पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने विधानसभा को भंग करने के लिए पांच महीने का इंतजार क्यों किया?
बता दें बीजेपी महासचिव राम माधव ने आरोप लगाया था कि पीडीपी-एनसी ने पिछले महीने निकाय चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया था, वह आदेश भी उन्हें सीमा पार से आया था. हालांकि भाजपा नेता ने एनसी नेता उमर अब्दुल्ला की आरोप साबित करने की चुनौती के बाद अपने शब्द वापस ले लिए थे.
राज्यपाल ने किया अपने फैसले का बचाव
वहीं जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने गुरुवार को दावा किया कि व्यापक खरीद-फरोख्त” हो रही थी और “विपरीत राजनीतिक विचारधाराओं” वाली पार्टियों के लिए एक स्थिर सरकार बना पाना असंभव होता.
मलिक ने कहा कि उन्होंने राज्य के हित में और उसके संविधान के मुताबिक काम किया. उन्होंने उन आरोपों को खारिज किया कि वह केंद्र के निर्देशों पर काम कर रहे थे और कहा कि अगर ऐसा होता तो सरकार बनाने के लिए उन्हें (भाजपा, पीपल्स कॉन्फ्रेंस) बुलाया गया होता. अदालत जाने की विपक्ष की धमकी पर उन्होंने कहा कि जो कोई भी अदालत जाना चाहता है वह जा सकता है क्योंकि यह उनका अधिकार है.
(इनपुट - भाषा)