Madurai में Covid की दूसरे कोविड लहर में पिता-पुत्र ने किए 64 अंतिम संस्कार
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Madurai में Covid की दूसरे कोविड लहर में पिता-पुत्र ने किए 64 अंतिम संस्कार

मदुरै के एक पिता-पुत्र की जोड़ी अपनी जान की परवाह किए बिना कोविड-19 मरीजों का अंतिम संस्‍कार कर रही है. कोरोना की दूसरी लहर में अब तक वे 64 शवों को सम्‍मानजनक तरीके से अंतिम विदाई दे चुके हैं. 

(फाइल फोटो)

मदुरै: कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के डर से जब इस बीमारी से मरने वालों का अंतिम संस्‍कार करने में परिजन भी पीछे हट रहे हैं, तब मदुरै (Madurai) का एक शख्‍स अपने बेटे के साथ कोविड मरीजों को सम्‍मानजनक विदाई देने में जुटा हुआ है. द्रमुक (DMK) के पदाधिकारी  ए.अयूब खान शिवगंगा (Sivaganga) में कोविड मरीजों को उनके धर्म के मुताबिक सम्मानजनक तरीके से दफन कर रहे हैं या उनका दाह संस्कार कर रहे हैं. 

  1. मदुरै के पिता-पुत्र कर रहे कोविड मरीजों का अंतिम संस्‍कार 
  2. दूसरी लहर में 64 मरीजों का कर चुके हैं अंतिम संस्‍कार 
  3. पहली लहर में 16 मरीजों को दी थी सम्‍मानजनक विदाई 

दूसरी लहर में किए 64 अंतिम संस्‍कार 

संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान शिवगंगा की द्रमुक यूथ विंग के सचिव ए.अयूब खान अब तक 64 लोगों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. महामारी का प्रकोप होने के बाद से ही वे लोगों की मदद करने लगे थे. पहली लहर के दौरान जब उन्‍होंने देखा कि कई परिवार किसी न किसी कारण के चलते अपने परिजनों का अंतिम संस्‍कार नहीं कर पा रहे हैं, तभी से अयूब ने यह काम करना शुरू कर दिया था. पहली लहर में उन्‍होंने 16 लोगों का अंतिम संस्‍कार किया था. 

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कई परिवारों में केवल महिलाएं बचीं 

खान बताते हैं, 'ऐसे कई उदाहरण हैं जब मृतक के परिवार में केवल महिलाएं बची हैं, ऐसे में उनके लिए अपने पति या बेटे का अंतिम संस्‍कार करना बहुत मुश्किल हो जाता है. समय कम होने के कारण कई बार वे किसी को बुला भी नहीं पाती हैं. ऐसे में हम उनकी मदद करते हैं. दाह संस्‍कार करने या दफन करने में करीब ढाई हजार रुपये का खर्च आता है. जिन लोगों के पास पैसे होते हैं वे दे देते हैं. वहीं कई बार कोविड निगेटिव होने के बाद भी मरीज की मौत हो तब भी परिजन उनका अंतिम संस्‍कार करने में हिचकते हैं.' 

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खुद उठाते हैं पीपीई किट आदि का खर्च 

खान अपने, बेटे के और 2 अन्‍य सहयोगियों खादर और गणेशन द्वारा अंतिम संस्‍कार के दौरान पहने जाने वाले ग्‍लब्‍स, पीपीई किट आदि का खर्च खुद उठाते हैं. वह कहते हैं, 'कोविड ने पारिवारिक संबंधों की गहराई भी खत्‍म कर दी है. कई बार लोग ऐसे भी मिले जिन्‍होंने केवल अंतिम संस्‍कार का पैसा दिया और कब्रिस्‍तान में आए भी नहीं. जब मेरे 19 साल के बेटे ए.राजा ने मुझसे यह सब सुना तो उसने भी इस काम में मदद करने की इच्‍छा जताई.'

बता दें कि पिछले साल तत्‍कालीन विपक्ष के नेता और मौजूदा मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन ने शिवगंगा दौरे के दौरान खान के काम की सराहना करते हुए उन्‍हें सम्‍मानित भी किया था.

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