Karnataka Fearing hung House : कर्नाटक में नई सरकार चुनने के लिए जनता अपना फैसला लिख चुकी है. अगले कुछ घंटों में यह साफ हो जाएगा कि कर्नाटक का किंग कौन बनेगा? इस बीच एग्जिट पोल (Exit Poll) में त्रिशंकु विधानसभा के संकेत दिखाई देने के बाद बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों दलों के नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है. इसलिए अब पर्दे के पीछे से सरकार बनाने के समीकरण बनाए और बिठाए जा रहे हैं. वहीं पूरा देश जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव के आखिरी नतीजों का इंतजार कर रहा है, तब बीते ढाई दशकों में कर्नाटक की जनता ने किस तरह अपनी सरकार चुनी है उसके कुछ दिलचस्प आंकड़ों पर भी आगे नजर डालेंगे.


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जेडीएस से गठजोड़ के लिए बैकरूम ऑपरेशन


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जेडीएस (JDS) ने दावा किया है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने गठजोड़ के लिए संपर्क किया है. हालांकि, जेडीएस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि पार्टी ने यह तय कर लिया है कि वे किसके साथ गठबंधन करेंगे. जेडीएस नेता तनवीर अहमद ने कहा है कि पार्टी ने गठबंधन को लेकर फैसला कर लिया है, सही समय पर इसकी घोषणा कर दी जाएगी. 


कांग्रेस नेताओं ने साधा महासचिवों से संपर्क


साफ है कि अधिकांश एग्जिट पोल कर्नाटक में खंडित जनादेश की अटकलों को देखते हुए, कांग्रेस और बीजेपी ने त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में सरकार बनाने के लिए JDS के साथ गठबंधन करने की सारी संभावनाएं टटोल ली हैं. इस कड़ी में गुरुवार को कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख डीके शिवकुमार और पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल और रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ बातचीत की है.


वहीं सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने खंडित फैसले की स्थिति में संभावित परिदृश्यों पर बीजेपी के केंद्रीय नेताओं के साथ फोन पर चर्चा की है. क्योंकि अगर बीजेपी किसी तरह से जादुई आंकड़े को नहीं छू पाती है तो उसे भी निर्दलीयों या जेडीएस की जरूरत पड़ सकती है.


पिछले 5 विधानसभा चुनावों के नतीजे


1999 से 2018 तक कांग्रेस कर्नाटक में हर विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े वोट शेयर वाली पार्टी रही है. यहां तक ​​​​कि उन मौकों पर भी जब बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिलीं.


बीजेपी: 1999 में 44 से बढ़कर 2004 में 79, 2008 में 110 हो गई. 2013 मात्र 40 सीट मिली. 2018 में बाउंस बैक किया और 104 सीटों के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन गई.


कांग्रेस: 1999 में सबसे बड़ी जीत (132) मिली. 2018 में पार्टी 80 सीटों पर सिमट गई.


JD (S): जनता दल (S) 2008 में 28 सीटों से बढ़कर 2013 में 40 हो गई. 2018 में, उनकी संख्या कम हो गई उसे 37 सीट मिली. 2018 में किसी भी पार्टी को बहुमत न मिलने से JD (S) किंगमेकर बन गई थी.


कर्नाटक का चुनावी इतिहास देखें तो यहां साल 1985 के बाद से कोई भी राजनीतिक दल लगातार सत्ता में वापसी नहीं कर पाया है. 


'साल 2018 में जनता का मूड ऐसा था' 


2018 में बीजेपी को 13185384 मिले थे, इस तरह उसका वोट शेयर 36.2% था. कांग्रेस को 13824005 वोट के साथ 38% और जेडीएस को 6666307 वोट के साथ 18.3% वोट शेयर मिला था.


2018 के चुनावों में त्रिशंकु विधानसभा का जनमत मिलने के बाद कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन किया था. कांग्रेस ने जेडीएस के HD कुमारस्वामी को सीएम के रूप स्वीकार किया. लेकिन राज्यपाल वजुभाई वाला ने सबसे बड़ा दल होने के नाते BJP को सरकार गठन के लिए बुलाया था. उन्होंने पार्टी को बहुमत साबित करने के लिये 15 दिन का समय दिया था. इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस शपथ ग्रहण रोकने सुप्रीम कोर्ट गई थी. उनकी याचिका को तीन जजों की बेंच ने सुना लेकिन शपथ ग्रहण समारोह पर रोक नहीं लगाई. इस तरह बीजेपी के येदयुरप्पा ने 17 मई को राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. 


ऐसे में इस बार भी त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में JD (S) क्या करेगी? अगर कांग्रेस-JD (S) गठबंधन हुआ तो कांग्रेस उसे CM पद देगी या नहीं या फिर JD (S) भविष्य का राजनीतिक नफा नुकसान देखकर बीजेपी से हाथ मिलाएगी? ऐसे कई सवालों और राजनीतिक अटकलों की चर्चा पूरे कर्नाटक में जोर शोर से हो रही है.