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नयी दिल्ली: वित्त मंत्री अरण जेटली ने मंत्रियों और नौकरशाहों को सोशल मीडिया पर अपनी राय जाहिर करने की खुली छूट देने की वकालत की ताकि सरकार के कामकाज को पारदर्शी बनाया जा सके।
उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जबकि मायगव ऐप की दूसरी वषर्गांठ मनाई जा रही है और कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय ने हाल ही में नौकरशाहों के लिये फेसबुक, ट्विटर और लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया वेबसाइटों पर खुलकर भागीदारी करने के प्रस्ताव से जुड़े सेवा नियमों का मसौदा जारी किया है हालांकि इसमें सरकार की आलोचना के लिये मनाही होगी।
उक्त नियमों के मसौदे में अधिकारियों के लिये टेलीविजन, सोशल मीडिया या संचार के अन्य माध्यमों पर व्यंगचित्र समेत किसी भी माध्यम से सरकार की आलोचना करने पर रोक होगी।
जेटली ने कहा, ‘सरकार के अंतिम फैसलों में आपको एक सुर से बोलना होता है और यह एक फैसला होना चाहिए। लेकिन सोशल मीडिया ने एक मजबूत जरिया दिया है कि किसी फैसले पर पहुंचने से पहले विभिन्न किस्म के विचार आएं।’
जेटली ने कहा कि सोशल मीडिया पर अलग-अलग विचार, आलोचना, टिप्पणियां और सुझाव आते हैं। उन्होंने कहा, ‘इसलिए पारदर्शी सरकार की प्रणाली में मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं दिखता कि नौकरशाह और मंत्री अपनी राय खुलकर रखें।’ परामर्श प्रक्रिया में खुलकर अपनी राय रखी जानी चाहिए। आखिरकार फैसला एक ही होगा।
सोशल मीडिया के फायदे के बारे में उन्होंने कहा कि इससे पहले राय या सुझावों के लिए बड़े महानगरों की ओर ही देखते थे लेकिन आज सोशल मीडिया के आने से स्कूल, कॉलेज, छोटे शहरों, कस्बों और इससे निचले स्तर से भी विचार आ रहे हैं। युवाओं के पास अब ज्यादा जानकारी है।
सरकार की फसल बीमा जैसी योजनाओं के प्रसार के तरीकों के बारे में जेटली ने कहा कि सरकार को मीडिया को कोई भी हिस्सा नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि इसकी लागत कम है और पहुंच काफी दूर तक है।
जेटली ने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में हमने दो महत्वपूर्ण कानून - जीएसटी और दिवाला एवं शोधन अक्षमता कानून - पारित किए हैं जिनकी विश्व भर में चर्चा हो रही है। ये दोनों कानून सर्वसम्मति से किए गए फैसले थे।’ इस सर्वसम्मपित के पीछे सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों के जरिए निर्मित जनता का दबाव और सार्वजनिक राय का दबाव था। राय तैयार करने में प्रिंट, इलेक्ट्रानिक एवं सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
मंत्री ने कहा सहायता योजनाओं का लाभ अंतिम छोर तक पहुंचना चाहिये, सभी माध्यमों का उपयोग होना चाहिये। ‘यदि इसमें सोशल मीडिया के इस्तेमाल का कोई रास्ता है तो स्थानीय प्रशासन की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।’ उन्होंने कहा कि सरकार को कोई भी माध्यम नहीं छोड़ना चाहिये और सोशल मीडिया इसमें लागत प्रभावी है।
जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया के जरिये अपनी बात पहुंचाने का बेहतर उदाहरण पेश किया है। वह प्रधानमंत्री बनने से पहले इसका इस्तेमाल करते रहे हैं।