मालेगांव विस्फोट मामले में पूर्व मेजर रमेश उपाध्याय को जमानत
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मालेगांव विस्फोट मामले में पूर्व मेजर रमेश उपाध्याय को जमानत

मालेगांव ब्लास्ट की फाइल फोटो

मुंबईः बंबई उच्च न्यायालय ने वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपी मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय को आज समता के आधार पर जमानत दे दी. यह हवाला देते हुए कि चूंकि इस मामले में अन्य मुख्य आरोपी को को उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय द्वारा जमानत दी जा चुकी है, न्यायमूर्ति रणजीत मोरे और न्यायमूर्ति साधना जाधव की पीठ ने उपाध्याय को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और उतनी ही राशि के दो अन्य जमानती पर जमानत दे दी.

वैसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी के वकील संदेश पाटिल ने जमानत अर्जी का विरोध किया लेकिन उच्च न्यायालय ने कहा समता पर शीर्ष अदालत के निर्देशों के मद्देनजर उसके हाथ बंधे हुए हैं. अदालत ने यह भी पूछा कि क्या विस्फोट में मुख्य अभियुक्त श्रीकांत पुरोहित से बडी उपाध्याय की भूमिका थी? श्रीकांत पुरोहित को अगस्त में शीर्ष अदालत से जमानत मिली थी. उपाध्याय के वकील ने इससे इनकार किया और कहा, ‘‘शीर्ष अदालत ने हाल में पुरोहित को जमानत दे दी है और मुंबई की निचली अदालत ने मामले के दो आरोपियों सुधाकर चतुर्वेदी और सुधाकर धर द्विवेदी को छोड़ दिया है.

इसलिए, उपाध्याय को भी जमानत दी जाए.’’ पाटिल ने कहा, ‘‘उपाध्याय ने विस्फोटों की साजिश रचने में भूमिका निभायी. वह अभिनव भारत की कई बैठकों में शामिल हुए. हमने ऐसी कुछ बैठकों में उनकी मौजूदगी साबित करने के लिए वीडियो रिकार्डिंग की है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यद्यपि उच्च न्यायालय ने जमानत अर्जी पर हमारा विरोध दर्ज किया लेकिन उसने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि कई अन्य आरोपी पहले से जमानत पर हैं. ’’ पिछले नवंबर में निचली अदालत ने उपाध्याय को जमानत देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद उन्होंने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.

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राष्ट्रीय जांच एजेन्सी ने अपने आरोप पत्र में दावा किया था कि उपाध्याय दक्षिणपंथी संगठन अभिनव भारत का हिस्सा थे और उन्होंने उन बैठकों में हिस्सा लिया था जिनमें विस्फोट की साजिश रची गयी थी.उत्तर महाराष्ट्र के नासिक जिले में सांप्रदायिक तौर पर संवेदनशील मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को बम विस्फोट किया गया था. इस विस्फोट में सात लोगों की मौत हो गई थी. मकोका की एक विशेष अदालत ने पहले कहा था कि एसटीएस ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, पुरोहित और नौ अन्य पर गलत तरीके से यह कानून लागू किया है.

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