Corona से एक ही परिवार के 4 लोगों की मौत, अब घर में बची हैं दो मासूम बच्चियां
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Corona से एक ही परिवार के 4 लोगों की मौत, अब घर में बची हैं दो मासूम बच्चियां

एक भरा पूरा परिवार देखते ही देखते कोरोना संक्रमण (Coronavirus) की भेंट चढ़ गया और परिवार में बची हैं बस दो मासूम बच्चियां, जिनके सवालों के जवाब किसी के पास नहीं है.

फाइल फोटो साभार: Reuters

गाजियाबाद: कोरोना वायरस (Coronavirus) ने कई हंसते खेलते परिवार तबाह कर दिए. हंसती खेलती जिंदगी देखते ही देखते ऐसे उजड़ गई, मानो कोई सपना सा हो. पूरी दुनिया कोरोना के कहर से कराह रही है लेकिन गाजियाबाद के दुर्गेश प्रसाद के परिवार की दर्दभरी दास्तां सुन आपकी आत्मा हिल जाएगी. एक भरा पूरा परिवार देखते ही देखते कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ गया और परिवार में बची हैं बस दो मासूम बच्चियां, जिनके सवालों के जवाब किसी के पास नहीं है.

दुर्गेश प्रसाद के परिवार पर टूटा कोरोना का कहर

दरअसल गाजियाबाद की क्रॉसिंग रिपब्लिक सोसाइटी में टावर-2 के फ्लैट नंबर 205 में दुर्गेश प्रसाद का परिवार रहता था. दर्गेश प्रसाद रिटायर्ड शिक्षक थे. सोसाइटी के लोग उनके परिवार पर टूटे कोरोना (Corona) के कहर की दास्तां बताते-बताते रो पड़ते हैं. हर कोई कहता है बेहद अच्छे स्वभाव के व्यक्ति थे दुर्गेश, हमेशा सामाजिक कामों में आगे रहते थे. कोरोना की दूसरी क्रूर लहर में वे संक्रमित हो गए. 

आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए दुर्गेश

कोरोना संक्रमित होने के बाद दुर्गेश घर में ही आइसोलेट (Home Isolation) थे और दवा ले रहे थे. लेकिन एक दिन उनकी तबियत बहुत बिगड़ गई. इसी दौरान उनकी पत्नी, बेटा और बहू भी कोरोना की चपेट में आ गए. 27 अप्रैल को दुर्गेश कोरोना से लड़ते हुए जिंदगी की जंग हार गए, घर पर ही उनकी मौत हो गई. इसके बाद सोसाइटी के लोगों ने बाकी तीनों सदस्यों को ग्रेटर नोएडा के शारदा अस्पताल में भर्ती करवा दिया. 

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कौन देगा मासूम बच्चियों के सवालों का जवाब 

इलाज के दौरान 4 मई को दुर्गेश के बेटे अश्वनी की मौत हो गई. दूसरे ही दिन 5 मई को अश्वनी की मां भी चल बसीं. काल का क्रूर चक्र यहीं नहीं रुका, दो दिन बाद 7 मई को अश्वनी की पत्नी की भी मौत हो गई. कुछ ही दिनों में कोरोना से पूरा परिवार खत्म हो गया. अब परिवार में सिर्फ 6 और 8 साल की दो बच्चियां बचीं हैं. बच्चियां बार-बार अपने माता-पिता और दादा-दादी के बारे में पूछ रहीं हैं, लेकिन किसी के पास कोई जवाब नहीं है कि कहां से लाएं उनके दादा-दादी और मां-पिता.

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