Hyderabad Dog Attack: पशुओं के प्रति क्रूरता को जायज नहीं ठहराया जा सकता. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आवारा कुत्तों को सड़कों में घूमने को छोड़ दिया जाए. हर साल 20 हजार लोगों की जान रेबीज के संक्रमण के कारण जाती है. लेकिन इनके आतंक का शिकार बनने वाले लोगों के लिए कानून कुछ नहीं कहता.
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Four year old dies after mauled by street dogs: हमें जानवरों से प्यार करना चाहिए. जानवरों में भी भावनाएं होती हैं. लेकिन ये बातें कहने-सुनने में तबतक ही अच्छी लगती हैं, जबतक कि कोई आवारा जानवर या कुत्ता आप पर या आपके किसी अपने पर जानलेवा हमला ना कर दे. ये चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि हैदराबाद के अंबरपेट (Amberpet) में चार साल के एक मासूम बच्चे को आवारा कुत्तों के एक झुंड ने घेरकर मौत के घाट उतार दिया. इस दर्दनाक घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. मानवता, इंसानियत और ममता जैसी चीजों पर भरोसा करने वाला कोई भी शख्स इस वीडियो को देखने के बाद कुछ पलों के लिए सन्न रह जाएगा.
'परिवार को ढांढस बंधाने वाला कोई नहीं'
जिस मासूम को कुत्तों ने अपना शिकार बनाया, उसका नाम प्रदीप था. उसके पिता गंगाधर एक कार सर्विस सेंटर में सिक्योरिटी गार्ड हैं. वो अपने बेटे को रविवार के दिन अपने साथ लेकर काम पर गये थे. वो बेटे को केबिन में छोड़कर किसी काम से बाहर गये उसी दौरान मासूम प्रदीप बाहर आ गया तभी 3 कुत्तों ने उसपर हमला कर दिया. बाद में तीन कुत्ते और आ गये इस तरह 6 आवारा कुत्तों ने बच्चे को मार दिया. कुत्ते उसके शरीर को नोंचते रहे. हाथ-पैर, सिर और पेट हर जगह अपने पैने दांत गड़ाते रहे. कुत्ते मासूम की गर्दन पकड़कर घसीटते हुए ले गये और आवारा कुत्तों के हमले में एक मासूम दर्दनाक मौत का शिकार बन गया.
मासूम की मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा?
इस मासूम की मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा ? यकीन मानिये कोई नहीं . किसी को फर्क भी नहीं पड़ेगा क्योंकि हत्या एक गरीब सिक्योरिटी गार्ड के मासूम बच्चे की हुई है और देश की डॉग लवर्स की लॉबी इतनी स्ट्रॉन्ग है कि लोगों की जान लेने वाले आवारा कुत्तों का आजतक कभी बाल बांका भी नहीं हुआ है.
इन सवालों का जवाब कब मिलेगा?
हमारे देश का संविधान कहता है कि देश में रहने वाले हर इंसान और जानवर को जीवन जीने का अधिकार है. लेकिन सवाल ये है कि आवारा कुत्तों का अधिकार बड़ा है या लोगों का मानवाधिकार? आवारा कुत्तों की कीमत पर इंसानों की जिंदगी खतरे में डालना क्या सही है? सवाल ये भी कि क्या आवारा कुत्ते दया के पात्र होने चाहिए और हैदराबाद में जो हुआ वो सिलसिला कब रुकेगा?
अहिंसा के पुजारी का मत
अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी तक ने वर्ष 1926 में यंग इंडिया में लिखा था कि कुत्तों की कीमत पर इंसानों की जिंदगी खतरे में डालना महापाप है. गांधी जी ने बेहद स्पष्टता से कहा था कि आवारा कुत्तों को मारना पाप है लेकिन आवारा हिंसक कुत्तों को नहीं मारना ज्यादा बड़ा पाप है.
कुत्तों के प्रेम में पड़कर इंसानों की मौत पर चुप्पी की चादर ओढ़ लेने वाला डॉग लवर्स को ये बात समझ में नहीं आती. लेकिन दुनिया के कई देश सड़क के आवारा कुत्तों को समाज का दुश्मन मानते हैं और आवारा कुत्तों को समाज से दूर रखा जाता है.
दुनिया के बड़े देशों में कैसी है व्यवस्था?
अमेरिका में 3500 से ज्यादा डॉग रेस्क्यू सेंटर्स हैं. लोग वहां से आवारा कुत्तों को गोद भी लेते हैं. इसके बाद भी अमेरिका में हर साल डॉग रेस्क्यू सेंटर्स में करीब चार लाख कुत्तों को मार दिया जाता है. ऑस्ट्रेलिया में भी हर साल दो लाख कुत्तों को सरकारी डॉग शेल्टर होम्स में लाया जाता है. इनमें से ऐसे करीब 20% कुत्तों को मार दिया जाता है, जो हिंसक प्रवृत्ति के होते हैं. ब्रिटेन में हर साल 20000 आवारा कुत्तों को मार दिया जाता है पर भारत में
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