DNA: संभल से शाहीनबाग तक 'फ्री फिलिस्तीन'... गाजा पर हमले दिखे, मंदिर तोड़ने वाले खालिस्तानियों की करतूत नहीं दिखती?
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DNA: संभल से शाहीनबाग तक 'फ्री फिलिस्तीन'... गाजा पर हमले दिखे, मंदिर तोड़ने वाले खालिस्तानियों की करतूत नहीं दिखती?

Canada News: कनाडा में सरकार बदल गई. जस्टिन ट्रूडो की कुर्सी चली, मार्क कार्नी नए पीएम बन गए. लेकिन भारतीय हितों और प्रतीकों को निशाना बनाने वाले हालात नहीं बदले हैं. यहां खालिस्तानियों की भारत विरोधी कार्रवाई बेलगाम होती जा रही है.

DNA: संभल से शाहीनबाग तक 'फ्री फिलिस्तीन'... गाजा पर हमले दिखे, मंदिर तोड़ने वाले खालिस्तानियों की करतूत नहीं दिखती?

DNA: हमारे देश में गैरजरूरी चीजों और मुद्दों में उलझना बुरी आदत है. लेकिन देश की आबादी का बड़ा हिस्सा इसका शिकार है. मिसाल के लिए हमें जो करना चाहिए वो हम नहीं करते और जो नहीं करना वो करते रहते हैं. संभल से दिल्ली के शाहीनबाग तक ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है. पिछले 48 घंटे में संभल से शाहीन बाग तक इजरायली प्रोडक्ट के बॉयकॉट (Boycott Israeli products) को मुद्दा बनाने की कोशिश हो रही है. यूपी के संभल में 48 घंटे पहले, कई जगहों पर फ्री गाजा, फ्री फिलिस्तीन (Free Palestine) के पोस्टर लगाए गए थे. जिन्हें शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने हटा दिया, लेकिन अब वही पोस्टर दिल्ली के शाहीन बाग के इलाके की गली, मोहल्लों में भी दिखने लगे हैं.

हालात को ध्यान से समझने की जरूरत

दूसरी तरफ कनाडा में लगातार भारतीय हितों और सनातन प्रतीकों को खालिस्तानी टारगेट कर रहे हैं. कनाडा के सरे में लगातार तीसरी बार खालिस्तानियों ने लक्ष्मी नारायण मंदिर पर अटैक किया है. ये वो मुद्दा पर जिस पर बहस होनी चाहिए. लेकिन हमारे देश में इस समय गाजा पर इज़रायली हमले को मुद्दा बनाने की कोशिश हो रही है. संभल से इजरायल की दूरी 4200 किलोमीटर है. वहीं दिल्ली का शाहीन बाग इजरायल से करीब चार हजार किलोमीटर दूर है. लेकिन यहां बॉयकॉट पोस्टर्स के जरिए इज़रायली ब्रांड्स और प्रोडक्ट के बॉयकॉट की अपील की जा रही है. गाजा पर इजरायली सेना के अटैक को मज़हबी रंग देकर एक समुदाय में नफरत भरने की कोशिश की जा रही है.

खालिस्तानियों के हमले का विरोध ज्यादा जरूरी

हमें लगता है कि गाजा को मुद्दा बनाने की जगह, कनाडा में खालिस्तानियों के हमले का विरोध ज्यादा जरूरी है. खालिस्तानी सोच का परमानेंट इलाज वक्त की जरूरत है. 19 अप्रैल को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में मौजूद लक्ष्मी नारायण मंदिर में तीसरी बार तोड़फोड़ की गई. कनाडा के पत्रकार डेनियर बोर्डमैन ने सोशल मीडिया पर इसका वीडियो शेयर किया है. कनाडा में सिर्फ मंदिर नहीं गुरूद्वारे को भी निशाना बनाया जाता है. 19 अप्रैल को वैंकूवर के रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारे पर भी खालिस्तानियों ने तोड़फोड़ की. मतलब खालिस्तानी किसी के नहीं है, खासकर बीते कुछ समय से कनाडा के हिंदू मंदिर खालिस्तानियों के टारगेट रहे हैं.

हमलों की टाइमलाइन-

नवंबर 2024 में खालिस्तानी समर्थकों ने ब्रैम्पटन के हिंदू मंदिर पर हमला किया था.

जुलाई 2024 में एडमॉन्टन में श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी. 

2024 की शुरुआत में ब्रिटिश कोलंबिया के सबसे बड़े और पुराने मंदिर में 2 बार तोड़फोड़.

अप्रैल 2023 में खालिस्तानियों ने विंडसर के मंदिर पर हमला किया  था..

कनाडा में सरकार बदल गई. जस्टिन ट्रूडो की कुर्सी चली, मार्क कार्नी नए पीएम बन गए. लेकिन भारतीय हितों और प्रतीकों को निशाना बनाने वाले हालात नहीं बदले हैं. यहां खालिस्तानियों की भारत विरोधी कार्रवाई बेलगाम होती जा रही है.

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