Republic Day 2020: स्वतंत्रता सेनानी सत्य मित्र बख्शी बोले- कुछ लोग किस बात की मांग रहे आजादी
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Republic Day 2020: स्वतंत्रता सेनानी सत्य मित्र बख्शी बोले- कुछ लोग किस बात की मांग रहे आजादी

देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने वाले वीर सपूतों के बलिदानों को भुलाया नहीं जा सकता, क्योंकि उन्होंने देश की आन-बान और शान के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण दे दिए थे.

बख्शी का जन्म 18 फरवरी 1928 को हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना में हुआ था हुआ.

नई दिल्ली: देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने वाले वीर सपूतों के बलिदानों को भुलाया नहीं जा सकता, क्योंकि उन्होंने देश की आन-बान और शान के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण दे दिए थे. इनमें कुछ स्वतंत्रता सेनानी ऐसे भी हैं जो जिंदा हैं, इनमें से एक हैं स्वतंत्रता सेनानी सत्य मित्र बख्शी. बख्शी ने जी मीडिया से खास बातचीत की है. उन्होंने गुलामी के समय को याद करते हुए कहा कि आजाद भारत का जो सपना देखा था, वह अभी पूरा नहीं हुआ है. लाखों कुर्बानियां देने के बाद यह आजादी मिली है लेकिन देश में अभी भी गरीबी से लोग लड़ रहे हैं. 

उन्होंने कहा, "आज भारत विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है लेकिन कुछ लोग न जाने किस आजादी की मांग कर रहे हैं." 

सत्य मित्र बख्शी के पिता और माता भी स्वंत्रता सेनानी थे और उन्होंने भी देश की आज़ादी के लिए अपना जीवन देश के लिए कुर्बान कर दिया था. बख्शी का जन्म 18 फरवरी 1928 को हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना में हुआ था. 1940 में स्कूल के समय से ही वह भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हो गए थे.

इसके लिए उन्हें लाहौर में 9 महीने तक जेल में भी रहना पड़ा. बख्शी ने कहा, "देश आजाद है लेकिन एक तरफ झुग्गी झोपड़ी है और दूसरी तरफ महल-मीनार हैं. जो सपना देखा था, वह अभी अधूरा है. मकसद अभी पूरा नहीं हुआ है.  हमने लाखों कुर्बानियां दी हैं. हमने सोचा था कि देश आजाद होने के बाद गरीबी मुक्त होगा लेकिन आज देश वहीं खड़ा है. खुशी है कि देश बहुत सारे मामलों में आगे बढ़ गया है." 

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