महावीर चक्र से सम्मानित होंगे Galwan Valley में शहीद कर्नल Santosh Babu
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महावीर चक्र से सम्मानित होंगे Galwan Valley में शहीद कर्नल Santosh Babu

जब गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प हुई थी तब कर्नल संतोष बाबू (Colonel Santosh Babu) ही वहां कमांडिंग ऑफिसर के पद पर तैनात थे. तब 16 बिहार रेजिमेंट के जवानों ने चीन के सैनिकों को उनकी कमजोरी का एहसास करा दिया था. 

शहीद कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र से सम्मानित किया जाएगा...

नई दिल्ली: लद्दाख (Ladakh) की गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीन (China) की सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में जान गंवाने वाले कर्नल संतोष बाबू (Colonel Santosh Babu) को इस साल महावीर चक्र (Maha Vir Chakra) से सम्मानित किया जाएगा. गणतंत्र दिवस के मौके पर हर साल देश की रक्षा के लिए जान की बाजी लगाने वाले सैनिकों को वीरता पुरस्कार दिया जाता है. यानी इस बार के गणतंत्र दिवस (Republic Day 2021) पर कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाजा जाएगा.

  1. महावीर चक्र से सम्मानित किए जाएंगे शहीद कर्नल संतोष बाबू 
  2. परमवीर चक्र के बाद महावीर चक्र सेना में सबसे बड़ा सम्मान
  3. गलवान घाटी में चीन से झड़प के दौरान शहीद हुए थे कर्नल 

भारतीय सेना ने की थी सिफारिश

भारतीय सेना (Indian Army) की ओर से इस बार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) से लेकर लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) तक के कई सैन्य ऑपरेशन में शामिल हुए जवानों को सम्मानित करने की सिफारिश हुई थी. इसे 72 वें गणतंत्र दिवस (72 Republic Day: 26 January, 2021) के विशेष अवसर पर देश के जवानों का सम्मान कर उनकी हौंसला अफजाई करने का प्रयास माना जा रहा है.

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परमवीर चक्र के बाद महावीर चक्र सबसे बड़ा सम्मान

भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास की बात करें तो परमवीर चक्र के बाद महावीर चक्र ही सेना में सबसे बड़ा सम्मान है. सरकार के सूत्रों की मानें, गलवान घाटी में हुई झड़प में चीनी सेना का मुकाबला करने वाले कई जवानों को इस बार गैलेंट्री अवॉर्ड से नवाजा जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक इस साल पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए ASI मोहन लाल को भी गैलेंट्री अवॉर्ड से नवाजा जाएगा. मोहन लाल ने ही आईईडी लगी कार को पहचाना और बॉम्बर पर गोली चलाई थी.

बताते चलें कि जब गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प हुई थी तब कर्नल संतोष बाबू (Colonel Santosh Babu) ही वहां कमांडिंग ऑफिसर के पद पर तैनात थे. तब 16 बिहार रेजिमेंट के जवानों ने चीन के सैनिकों को उनकी कमजोरी का एहसास करा दिया था. भारत माता के इन्हीं अमर सपूतों ने दुश्मन सेना के जवानों को भारतीय सीमा में दाखिल होने से रोक दिया था.

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