ZEE NEWS WORLD EXCLUSIVE: जानें भारतीय सेना के 'गर्दन तोड़' पराक्रम की पूरी कहानी
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ZEE NEWS WORLD EXCLUSIVE: जानें भारतीय सेना के 'गर्दन तोड़' पराक्रम की पूरी कहानी

भारत के सैनिकों ने चार घंटे के अंदर ही जवाबी हमले में चीन के कई सैनिकों की गर्दन तोड़ दी, चीन के कई सैनिकों की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी.

ZEE NEWS WORLD EXCLUSIVE: जानें भारतीय सेना के 'गर्दन तोड़' पराक्रम की पूरी कहानी

नई दिल्ली: गलवान में भारतीय सेना ने 'पराक्रम' की जो पटकथा लिखी है वो चीन (China) को सदियों याद रहेगी. हमारे वीरों ने चीन के कई सैनिकों की गर्दन और रीढ़ की हड्डी तोड़ दी थी और चीन के 40-50 सैनिकों को मार गिराया था. इसके अलावा चीनी सेना के कर्नल को भी बंधक बना लिया था. 

  1. 15 जून की रात भारतीय सेना ने दिखाया था गर्दन तोड़ पराक्रम
  2. चीनी सेना के कर्नल को बंधक बना लिया था
  3. चीन के कई सैनिकों की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी थी

15 जून की रात क्या हुआ था? 

15 जून की रात को गलवान घाटी में एक बार नहीं बल्कि तीन बार, भारत और चीन के सैनिकों के बीच लड़ाई हुई थी. भारतीय जवानों पर चीन के सैनिकों ने धोखे से हमला किया, इसके बावजूद भारतीय सेना के बिहार रेजीमेंट, पंजाब रेजीमेंट और थ्री मीडियम रेजीमेंट के सैनिकों ने ऐसा जवाब दिया, जिसे चीन के सैनिक वर्षों तक याद रखेंगे. क्योंकि भारत के सैनिकों ने चार घंटे के अंदर ही जवाबी हमले में चीन के कई सैनिकों की गर्दन तोड़ दी, चीन के कई सैनिकों की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी. हमारे जवानों ने चीन के 40 से 50 सैनिकों को मार गिराया. सिर्फ यही नहीं, भारतीय सेना ने चीन की सेना के एक कर्नल को भी बंधक बना लिया था. 

भारत, चीन को सबक सिखाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सरकार ने LAC पर भारतीय सैनिकों को 'पूरी आजादी' दी है. विशेष परिस्थितियों में हथियारों के इस्तेमाल की छूट दी गई है. सेना के फील्ड कमांडरों को निर्णय लेना का अधिकार दिया गया है. इसके अलावा तीनों सेनाओं को 500 करोड़ रुपए का आपात फंड जारी किया गया है और सेना को हथियार और गोला- बारूद खरीदने की छूट दी गई है. 

चीन को इस बात का अहसास अब तक बहुत शिद्दत से हो चुका होगा कि भारतीय जवानों के सामने उनके अफसर को हाथ लगाने या उनके अपमान पर हिंदुस्तान के सैनिक कैसा जवाब देते हैं. कर्नल संतोष बाबू ने जब चीन के सैनिकों से पूछा कि जब पोस्ट को हटाने की बातचीत हो गई थी तो चीन के सैनिकों ने फिर से ये पोस्ट क्यों बना ली, इसी पर चीन के नए सैनिक उग्र हो गए. उनमें से चीन के एक सैनिक ने आगे आकर कर्नल संतोष बाबू को धक्का दे दिया. अपने कमांडिंग अफसर के साथ धक्का-मुक्की, भारतीय सैनिकों के लिए बर्दाश्त से बाहर थी, जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने अपने अफसर के अपमान का बदला लिया. 

सूत्रों के मुताबिक चीन के सैनिकों पर भारतीय जवानों के हड्डी तोड़ हमले पर एक भारतीय जवान ने कहा कि उन लोगों को सीओ साहब को हाथ नहीं लगाना चाहिए था. 

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15 जून की रात जब कर्नल संतोष बाबू को चीन के सैनिकों ने धक्का दिया, उसके बाद भारतीय सैनिकों का गुस्सा काबू से बाहर हो गया. 

भारतीय सैनिकों ने सीओ के साथ हुई बदतमीजी पर चीन के सैनिकों की पिटाई शुरू कर दी. चीन के सैनिकों को अंदाजा भी नहीं था कि भारतीय जवानों के मजबूत हाथ, जब उन पर पड़ेंगे तो उनका क्या हश्र होगा. 

अपने सीओ के साथ हुई बदतमीजी से भारतीय जवानों का खून खौल गया. भारत के सैनिकों ने मौजूद चीन की पोस्ट को नष्ट कर दिया. इस लड़ाई में चीन के कई सैनिक घायल हुए और भारत के भी कई सैनिक घायल हुए. चीन के कई सैनिक वहां से भाग गए थे. 

इसके बाद चीन के सैनिक घात लगाकर ज्यादा संख्या में आ गए. 15 जून की रात करीब 9 बजे तक चली लड़ाई में कर्नल संतोष बाबू शहीद हुए. जब ये खबर भारतीय सैनिकों को मिली, तो उनका गुस्सा भड़क गया. 

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कर्नल संतोष बाबू की शहादत की खबर के बाद ना सिर्फ 16 बिहार रेजीमेंट बल्कि आसपास के इलाके में जो दूसरी टुकड़ियां तैनात थी, वो भी टकराव की जगह पर पहुंच गईं. बहुत ही जल्द वहां पर 400 से 500 सैनिक इकट्ठा हो गए और फिर चीन के सैनिकों के साथ वो हिंसक टकराव हुआ, जिसमें हमारे 20 सैनिक शहीद हुए और चीन के 40 से 50 सैनिक मारे गए. इस तीसरी लड़ाई में दोनों देशों के कई सैनिक लड़ते लड़ते गलवान नदी में गिर गए. 

16वीं बिहार (रेजीमेंट) के कुछ सैनिक शाम को यह देखने गए थे कि क्या चीन नियमों का पालन कर रहा है. जब भारतीय सैनिक घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि चीन नियमों का पालन नहीं कर रहा है, और जब बातचीत हो रही थी, तभी चीन की सेना ने भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया.

इस बात की खबर जब 16वीं बिहार रेजीमेंट के यूनिट लोकेशन पर लगी तो कमांडिंग अफसर खुद कुछ सैनिकों के साथ आए. चीनियों ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया और उसके बाद धोखे से उन पर हमला करके उनको बहुत बेरहमी से मार डाला. जब ये खबर 16वीं बिहार (रेजीमेंट) के बटालियन हेडक्वॉटर में पहुंची तो भारतीय सैनिकों के गुस्से की कोई सीमा नहीं रही और ना केवल 16वीं बिहार (रेजीमेंट), बल्कि आसपास जो दूसरे सैनिकों की टुकड़ियां तैनात थीं, वो भी उस इलाके में पहुंचीं और बहुत जल्द ही वहां पर 400-500 सैनिक इकट्ठे हो गए और मारपीट होने लगी. 

चीन को अब तक ये समझ आ गया होगा कि एक भारतीय सैनिक के आगे, उसके अफसर का अपमान सबसे बड़ा अधर्म होता है. जिसे कोई भी हिंदुस्तानी जवान कभी बर्दाश्त नहीं करता है. चीन को ये सबक लंबे वक्त तक याद रहेगा. 

 

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