3 शुभ मुहूर्त में बप्पा के विसर्जन से बनेंगे 3 काम
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3 शुभ मुहूर्त में बप्पा के विसर्जन से बनेंगे 3 काम

27 सितंबर को गणपति बप्पा, अपने भक्तों की आंखें नम कर जायेंगे। अनंत चतुर्दशी पर बप्पा के विसर्जन के साथ ही, 10 दिन का गणेशोत्सव संपन्न हो जायेगा। लेकिन बप्पा के जाने से आप निराश न हों। अगर आप 27 सितंबर को, 3 शुभ मुहूर्त में विसर्जन करेंगे, तो बप्पा आपको कम से कम 3 वरदान तो देकर जायेंगे ही। सबसे पहले बताते हैं आपकी 3 मनोकामना पूरी करने वाले 3 शुभ मुहूर्त के बारे में 

फाइल फोटो

दिल्ली: 27 सितंबर को गणपति बप्पा, अपने भक्तों की आंखें नम कर जायेंगे। अनंत चतुर्दशी पर बप्पा के विसर्जन के साथ ही, 10 दिन का गणेशोत्सव संपन्न हो जायेगा। लेकिन बप्पा के जाने से आप निराश न हों। अगर आप 27 सितंबर को, 3 शुभ मुहूर्त में विसर्जन करेंगे, तो बप्पा आपको कम से कम 3 वरदान तो देकर जायेंगे ही। सबसे पहले बताते हैं आपकी 3 मनोकामना पूरी करने वाले 3 शुभ मुहूर्त के बारे में 

27 सितंबर को गणपति विसर्जन के 3 शुभ मुहूर्त
-चर,लाभ और अमृत मुहूर्त- सुबह 08:01 AM से 12:30 PM तक
-दोपहर में शुभ मुहूर्त- दोपहर 1:59 PM से 3:28 PM तक
-शाम को शुभ,अमृत और चर मुहूर्त-शाम 6:27 PM से रात 10:59 PM तक

कैसे करें गणपति विसर्जन?
-सबसे पहले गणपति को, सिंदूर और 21 दूर्वा दल, उनके 10 नाम बोलते हुये चढ़ायें।
-ऊँ गणाधिपताय नम: 
-ऊँ उमापुत्राय नम:
-ऊँ विघ्ननाशनाय नम: 
-ऊँ विनायकाय नम:
-ऊँ ईशपुत्राय नम: 
-ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:
-ऊँ एकदन्ताय नम: 
-ऊँ इभवक्त्राय नम:
-ऊँ मूषकवाहनाय नम: 
-ऊँ कुमारगुरवे नम: 

इसके बाद बप्पा को, 21 लड्डुओं का भोग लगायें। इनमें से 5 लड्डू, बप्पा के पास रखें। 5 लड्डु ब्राह्नमण को दान करें। बाकी के 11 लड्डू प्रसाद में बांटें। इसके बाद बप्पा की पीठ पर गुलाल लगायें। गणपति की पीठ में ज्येष्ठा का वास होता है। बाद में गणपति की आरती करें। उसके बाद इस मंत्र से, उनसे क्षमा मांगते हुए उन्हें जल में प्रवाहित करें।

गणपति का विससर्जन मंत्र
-विसर्जन! यान्तु देवगण: सर्वे पूजामादाय पार्थिवीम। इष्टकामप्रसिध्र्यथ पुनरागमनायच।। अगर आप नदी या तालाब को प्रदूषित नहीं करना चाहते, तो सिर्फ नदी का जल लेकर,प्रतिमा पर छिड़ कर, उसे किसी पीपल के वृक्ष के नीचे रख दें। विसर्जन के बाद, तालाब या नदी का जल घर लाकर, चारों दिशाओं में छिड़कें। ऐसा करने से, आपके जीवन में साल भर, सुख-समृद्धि बनी रहेगी। ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रायश्चित खंड के अनुसार, गंगा में जो 13 कार्य निषिद्ध किये गये हैं उनमें प्रतिमा का विसर्जन भी एक है। जबकि धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु में नदी में विसर्जन करने की बात लिखी है।  

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