ट्वविटर इंडिया के MD की पेशी मामले में Supreme Court पहुंची Ghaziabad Police, HC के फैसले को चुनौती
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ट्वविटर इंडिया के MD की पेशी मामले में Supreme Court पहुंची Ghaziabad Police, HC के फैसले को चुनौती

लोनी में एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति की कथित पिटाई मामले की जांच के लिए गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष माहेश्वरी को तलब किया था. लेकिन वह पेश नहीं हुए.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें हाई कोर्ट ने पुलिस को ट्विटर इंडिया के डायरेक्टर के खिलाफ सख्त कदम न उठाने के निर्देश दिए थे. गाजियाबाद पुलिस ने अपनी याचिका में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है.

  1. SC में गाजियाबाद पुलिस की याचिका
  2. कर्नाटक HC के फैसले को चुनौती
  3. लोनी में बुजुर्ग की पिटाई से जुड़ा केस

हाई कोर्ट ने दी थी राहत

दरअसल लोनी में एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति की कथित पिटाई मामले की जांच के लिए गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष माहेश्वरी को तलब किया था. लेकिन वह पेश नहीं हुए. इसके बाद कर्नाटक हाई कोर्ट ने गुरुवार को इस केस में माहेश्वरी को राहत देते हुए कहा कि गाजियाबाद पुलिस उनके खिलाफ कोई कठोर कदम न उठाए.

जस्टिस जी नरेंद्र की सिंगल बैंच ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि पुलिस डिजिटल तरीके से माहेश्वरी से पूछताछ कर सकती है. बैंच ने कहा, 'अगर पुलिस याचिकाकर्ता (मनीष माहेश्वरी) से पूछताछ करना चाहती है, तो वे डिजिटल तरीके से ऐसा कर सकते हैं.' अदालत ने कहा कि अगर इस मामले में विचार करने की जरूरत है, तो हम इसे 29 जून के लिए लिस्टेड करते हैं. इस बीच याचिकाकर्ता के खिलाफ एक्शन पर रोक है.

वर्चुअली पेश होना चाहते हैं माहेश्वरी

पीठ ने कहा, 'याचिकाकर्ता का यह कहना है कि उन्होंने डिजिटल तरीके से शामिल होने के लिए पुलिस के नोटिस का जवाब दिया है. प्रतिवादी (गाजियाबाद पुलिस) ने अनुरोध पर आपत्ति जताते हुए इसे अस्वीकार कर दिया और नोटिस जारी कर आरोपी की श्रेणी में डाल दिया.

बता दें कि ट्विटर इंडिया के एमडी बेंगलुरु में रहते हैं और गाजियाबाद पुलिस ने उन्हें 21 जून को नोटिस जारी किया था. इस मामले में अपना बयान दर्ज करने के लिए गुरुवार सुबह 10.30 बजे लोनी बॉर्डर थाने में उन्हें रिपोर्ट करने के लिए कहा था.

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माहेश्वरी की ओर से पेश वकील सी वी नागेश ने कोर्ट में दलील दी कि जब अदालत की कार्यवाही डिजिटल हो रही है, तो उनके मुवक्किल से गाजियाबाद पुलिस डिजिटल तरीके से पूछताछ क्यों नहीं की जा सकती. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ट्विटर के कर्मचारी हैं और वह बोर्ड के सदस्य नहीं है जो उस कथित वीडियो को अपलोड करने के लिए जिम्मेदार हैं जिसके आधार पर FIR दर्ज की गई है.

(भाषा के इनपुट के साथ)

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