Indian Politics: क्या देश की आबादी में हिन्दुओं की हिस्सेदारी का कम होना, और मुसलमानों की हिस्सेदारी का बढ़ना...यही इस तरह के झगड़े-फ़साद की जड़ है?..जब कोई कहता है कि हिन्दू इस देश में कम होते गये और मुसलमान बढ़ते गये तो ये देश के एक और विभाजन का आधार बनेगा..तो इस तर्क में कितना दम है?


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DNA में हमने आपको ख़बर दिखाई थी कि देश की आबादी में हिन्दुओं का हिस्सा 8 प्रतिशत घट गया है, और मुसलमानों का हिस्सा 43 प्रतिशत तक बढ़ गया है. हमने दिखाया था कि 65 वर्षों में आबादी में हिन्दुओं का हिस्सा 84.68 प्रतिशत से घटकर 78.06 हो गया और मुसलमानों का हिस्सा 9.84 प्रतिशत से बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गया.


इस रिपोर्ट के बाद ये मुद्दा फिर छिड़ा है कि संसाधनों पर पहले हक़ की बात हो, संपत्ति के बंटवारे की बात हो, और देश की डेमोग्राफ़ी बदलने के आंकड हो...क्या ये सब गज़वा-ए-हिंद का ही हिस्सा है?...क्योंकि अब बहस धार्मिक आरक्षण से होकर ग़ज़वा-ए-हिंद के डर तक पहुंच गई है.


 ग़ज़वा-ए-हिंद क्या है?
-इस्लाम में 'गज़वा' शब्द का अर्थ 'युद्ध' होता है.
-ग़ज़वा-ए-हिन्द का अर्थ है हिन्दुस्तान से युद्ध.
-चार हदीसों में ग़ज़वा-ए-हिन्द का ज़िक्र हुआ है.
-यहां युद्ध मतलब भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है.


चुनाव में मज़हबी रंग का घुलना..और उसके बीच इस रिपोर्ट का आना..इस टाइमिंग पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. ..पूछा जा रहा है कि क्या आबादी में हिस्से की रिपोर्ट बंटवारे को और बढ़ाने के लिये लाई गई है? देश के आम नागरिक इसपर क्या कहते हैं, आपको वो भी सुनना चाहिये.