नई दिल्ली: गुलमर्ग में शीतकालीन खेल गतिविधियों (Winter Sports Activities) में जुटी देश भर की महिलाएं इस बात का संकेत देती हैं कि खेल अब सिर्फ पुरुषों का वर्चस्व नहीं रहा. देश के 11 राज्यों में महिला एथलीट गुलमर्ग में कैंप कर रही हैं और विभिन्न शीतकालीन खेल गतिविधियों में भाग ले रही हैं. एक दशक पहले कोई भी महिला खिलाड़ी को गुलमर्ग में देखने के बारे में सोच भी नहीं सकता था. सभी तरह के खेलों में पुरुष ही भाग लेते थे और कम्पीट करते थे. लेकिन अब स्थिति बदल गई है. अब महिलाएं भी सभी तरह के खेलों को अपने करियर के रूप में अपना कर उनमें सर्वश्रेष्ठ साबित हो रही हैं.


महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है


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पहले कोई महिला स्कीयर, स्नोबोर्डर या स्नोशू रेसर नहीं थी लेकिन इस साल सभी बाधाओं को तोड़कर शीतकालीन खेलों का हिस्सा बनने के लिए सैकड़ों महिलाएं कश्मीर के खूबसूरत स्की रिसॉर्ट गुलमर्ग (Gulmarg) पहुंचीं. बता दें कि एक महिला खिलाड़ी भिवानी 4 साल से गुलमर्ग आ रही हैं. वह देश के शीर्ष स्कीयरों में शामिल हैं. वह कहती हैं कि जब उन्होंने शुरुआत की थी तब शायद ही कोई महिला शीतकालीन खेलों में भाग लेती थी, लेकिन अब यह संख्या काफी बढ़ गई है.


सरकार से और ज्यादा समर्थन की आवश्यकता


स्कीयर (Skier) भवानी रचना ने कहा, 'स्थिति बदल गई है. मैं यहां कई सालों से आ रही हूं और जब हमने शुरू किया तो शायद ही यहां कोई लड़की थी. महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा हुआ करते थे. लेकिन पिछले कुछ सालों में हम अधिक महिलाओं को भाग लेते हुए देख सकते हैं. महिलाओं के लिए कई प्रतियोगिताएं चल रही हैं. बदलाव आ रहा है और यह अच्छा है कि हमें समर्थन भी मिल रहा है. मेरा मानना है कि हमें सरकार से और ज्यादा समर्थन (Government Support) की आवश्यकता है. सरकार ने विशेष रूप से शीतकालीन खेलों के लिए महिलाओं का समर्थन करने की कई पहल की हैं और मुझे यकीन है कि आने वाले शीतकालीन ओलंपिक (Winter Olympics) में हमारी कई महिलाएं भाग लेंगी. अगर कल कोई कहे कि मैं भवानी जैसी बनना चाहती हूं तो यह मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि होगी.'


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महिला एथलीट्स के लिए प्रेरणा


भवानी जैसी लड़कियां कई युवा महिला एथलीट्स (Female Athletes) के लिए प्रेरणा बन रही हैं. कश्मीर की एक स्थानीय महिला एथलीट ने हाल ही में गुलमर्ग में आयोजित स्नोशू रेस (Snowshoe Race) जीती है. वह ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने की योजना बना रही है. कश्मीरी एथलीट सारा ने कहा, 'मैं बेहद खुश हूं कि मुझे जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के लिए पहला पुरस्कार मिला. मैं देश भर के एथलीट्स के साथ कम्पीट कर रही थी. यह एक अच्छा अवसर है और लड़कियों को इन अवसरों का उपयोग करना चाहिए. लड़कियों के लिए विशेष खेल आयोजन होते हैं और यह बहुत अच्छी बात है. मैं ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूं और इसके लिए तैयारी करूंगी.' 


जम्मू-कश्मीर सरकार की योजना


एथलीट प्रिया डिंपी ने कहा, 'मैं बेहद खुश हूं. इतने सारे लोगों को मुझ पर भरोसा था और मुझे खुशी है कि मैंने उन्हें मेडल दिलाया. पहले लड़कियों को इन चीजों की अनुमति नहीं थी लेकिन अब लड़कियां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हैं और वे हमें प्रेरित करती हैं कि हम भी ऐसा कर सकते हैं. आसपास इतनी सारी लड़कियों को देखकर मैं बहुत खुश हूं. मेरे माता-पिता भी सपोर्टिव हैं. अगर मुझे मौका मिलता है तो मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर (International Level) पर भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूं.' जम्मू और कश्मीर सरकार विभिन्न शीतकालीन ऐडवेंचर खेलों में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं की भागीदारी (Women's Participation) की योजना बना रही है. सरकार महिलाओं के लिए विशेष खेल आयोजन कर रही है ताकि युवा महिला एथलीट खेलों को अपना करियर बना सकें.


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'महिलाएं हैं राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी'


असिस्टेंट निदेशक पर्यटन जीशान खान ने कहा, 'महिलाएं राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी हैं. महिलाओं की भागीदारी पर हमारा बहुत जोर है. हम उन्हें सबसे अच्छा समर्थन प्रदान कर रहे हैं और हमें यकीन है कि भविष्य में हमारे पास शीतकालीन खेलों में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं शामिल होंगी. हाल ही में एक युवा एथलीट ने देश के लिए वुशु चैंपियनशिप जीती थी. महिलाओं को बाधाओं से लड़ना चाहिए और जीतना चाहिए और कश्मीर की महिलाओं का चेहरा बनना चाहिए.' महिला एथलीट्स को अब उम्मीद है कि सरकार उनका और समर्थन करेगी और इन लड़कियों को अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भारत (India) का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक मंच प्रदान कर हर खेल के लिए एक महिला टीम बनाएगी.


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