कूनो नेशनल पार्क से आई अच्छी खबर, चीता आशा ने किया अपना पहला शिकार, बरती जा रही ये सावधानी
Madhya Pradesh: नामीबिया से लाए गए सभी आठ चीते अब बड़े बाड़े में शिकार कर रहे हैं लेकिन मादाओं में से किसी ने अभी तक सफल शिकार नहीं किया था.
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Kuno national park: नामीबिया से आए चीते अब भारत में अच्छे से रच-बस गए हैं. उन्हें यहां की आबो-हवा पसंद आने लगी है. इस बीच कूनो नेशनल पार्क से एक अच्छी खबर आई है. पीएम मोदी द्वारा नामित चीता आशा सफल शिकार करने वाली पहली मादा चीता बन गई है. आशा ने अपना पहला शिकार 29 नवंबर के शुरुआती घंटों में किया. दो दिन पहले आशा को बड़े बाड़े में स्थानांतरित किया गया था. अब उसने जंगल में पूरी आजादी के साथ शिकार करना शुरू कर दिया है.
चीता आशा ने किया पहला शिकार
नामीबिया से लाए गए सभी आठ चीते अब बड़े बाड़े में शिकार कर रहे हैं लेकिन मादाओं में से किसी ने अभी तक सफल शिकार नहीं किया था. जंगली चीता होने के बावजूद आशा निगरानी टीम के साथ बहुत निश्चिंत दिखाई देती है. 123 दिनों में आशा अन्य मादा चीता की तुलना में सबसे लंबे समय तक क्वारंटाइन में रही.
फरवरी में इन्हें खुले जंगल में छोड़ा जाएगा
अधिकारियों ने कहा कि आशा और त्बिलिसी को 27 नवंबर की दोपहर क्वारंटाइन पेन से उनके सॉफ्ट-रिलीज बोमा में ले जाया गया था. प्रोजेक्ट चीता के कर्मचारियों ने दो मादा चीता को भोजन के साथ क्वारंटाइन से बाहर किया गया था. बता दें कि इन पांचों मादा चीतों को नर चीतों से अलग रखा जा रहा है. फरवरी में इन्हें खुले जंगल में छोड़ा जाएगा, तब मादा और नर चीते साथ आ सकते हैं.
सभी तलाश रहीं अपना नया ठिकाना
कर्मचारियों ने अभी तक त्बिलिसी के शिकार की पुष्टि नहीं की है, लेकिन उन्होंने उसका शिकार देखा है और उम्मीद करते हैं कि यह बहुत जल्द होगा. बची हुई तीन मादा - सियाया, साशा, और सवाना 28 नवंबर की सुबह क्वारंटाइन पेन से उनके 120 हेक्टेयर के नए अहाते में क्रेट में ले जाया गया. तब से टीमों ने उन्हें अपना नया स्थान तलाशते हुए देखा है. अधिकारियों का कहना है कि वे सभी फिट और स्वस्थ हैं. उनके 90-प्लस-डे क्वारंटाइन अवधि से नकारात्मक प्रभावों का कोई संकेत नहीं दिख रहा है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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