Google पर ऐसी जानकारी आपको कर सकती है बर्बाद! Invest करने से पहले कर लें पूरी जांच
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दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने ऋषिका गर्ग की शिकायत के बाद एक ऐसा ठगी का मामला दर्ज किया है जो लोगों से हल्दीराम और अमूल जैसी ब्रांड्स के नाम पर करोड़ों की ठगी कर चुका है. 

फर्जी Websites से रहें सावधान

नई दिल्ली: अपना व्यापार शुरू करना हर किसी का सपना होता है. लेकिन अगर बिना जांचे परखे सिर्फ गूगल में दी हुई जानकारी और नंबरों पर भरोसा करके आप निवेश करने का सोच रहे हो तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. दरअसल दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो बड़े-बड़े ब्रांड्स की नकली वेबसाइट (Fake Website) बनाकर उनकी फ्रेंचाइजी देने के नाम पर लोगों से ठगी करने में लगा हुआ था. 

  1. हल्दीराम के नाम पर बड़ा फ्रॉड
  2. फ्रेंचाइजी के लिए 12 लाख का भुगतान
  3. पढ़े-लिखे लोग लगा रहे चपत

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने इस गैंग का पर्दाफाश करते हुए कुल 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. इन लोगों ने 16 राज्यों में ठगी की 126 वारदातों को अंजाम दिया है. दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के डीसीपी अनियेश रॉय के मुताबिक ऋषिका गर्ग (बदला हुआ नाम) नाम की महिला ने शिकायत दी थी कि वो हल्दीराम का आउटलेट खोलना चाहती थी और जब वो ऑनलाइन, हल्दीराम का दावा करने वाली एक वेबसाइट देख रही थी तो वेबसाइट के माध्यम से उसे आउटलेट खोलने के लिए हल्दीराम की फ्रेंचाइजी और डीलरशिप देने की पेशकश की गई. ऋषिका तुरंत वेबसाइट में दिए गए मोबाइल नंबर पर कनेक्ट हो गई और अगले कुछ दिनों में फॉर्म भरने, दस्तावेज जमा कराने के लिए कहा गया. 

करीब 12 लाख की ठगी का शिकार

ऋषिका ने फ्रेंचाइजी खोलने के नाम पर सिक्योरटी फीस (Security Fees) और दूसरे भुगतान मिलाकर कुल 11.74 लाख रुपए दिए, जिसमें उसे बार-बार 'हल्दीराम' अधिकारियों आशीष कुमार और रवि कुमार ने दिशा निर्देश दिए, जब उसे 1.6 लाख रुपये का भुगतान और करने के लिए कहा गया तो उसे एहसास हुआ कि हल्दीराम डीलरशिप के नाम पर इन धोखेबाजों ने उसे ठग लिया है.

ऋषिका ने खटखटाया साइबर सेल का दरबाजा

ऋषिका गर्ग ने तुरंत ऑनलाइन धोखाधड़ी की सूचना साइबर सेल से की. केस दर्ज करने के बाद जब साइबर सेल ने जांच शुरू की तो जांच के दौरान, यह पाया गया कि हल्दीराम के नाम से बड़ी संख्या में कई वेबसाइट्स चल रही हैं. ये सभी वेबसाइट्स हल्दीराम की फ्रेंचाइजी की पेशकश कर रही हैं.

4 लोगों की हुई गिरफ्तारी

जांच के दौरान सामने आए टेक्निकल इनपुट के आधार पर यह भी पता चला कि देश भर में बड़ी संख्या में लोग इन फर्जी वेबसाइट्स के शिकार हुए हैं. धोखाधड़ी करने के लिए ऐसे जालसाज लोग कई बैंक खातों और बड़ी संख्या में फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इन्हीं के आधार पर पुलिस ने संदिग्धों की पहचान की. जांच के बाद 27 अगस्त की रात नालंदा, फरीदाबाद, लुधियाना और दिल्ली सहित कई जगहों पर छापेमारी कर पुलिस ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया. जिनमें इसके मास्टरमाइंड विकास मिस्त्री और तकनीकी सहायक (Technical Assistant) विनय विक्रम सिंह के नाम शामिल हैं. 

अमूल और पतंजलि के नाम पर भी करते थे ठगी

गिरफ्तार आरोपियों के पास से बरामद उपकरणों की जांच और हल्दीराम की फर्जी वेबसाइटों से संबंधित आंकड़ों से पता चला कि आरोपी अमूल और पतंजलि जैसे फेमस ब्रांड्स की फर्जी साइट भी चला रहे थे. इन वेबसाइट्स का इस्तेमाल पूरे भारत में लोगों को ठगने के लिए किया जा रहा था. 

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पढ़े-लिखे लोगों की हरकत

गिरफ्तार विनय विक्रम सिंह फरीदाबाद का रहने वाला है, उसने MBA किया है और गुरुग्राम में एक डिजिटल मार्केटिंग कंपनी में सीईओ है. इसका काम था गिरोह के निर्देश पर हल्दीराम की फर्जी वेबसाइट डिजाइन करना और गूगल विज्ञापनों के जरिए फर्जी वेबसाइटों को बढ़ावा देना. साथ ही यह भी पता चला कि आरोपी विकास मिस्त्री बिहार का रहने वाला है. वो गिरोह का मास्टरमाइंड है और हल्दीराम का अधिकारी बनकर लोगों से बात करता था. एक और आरोपी विनोद कुमार, पंजाब का रहने वाला है, उसने BCA किया है, जबकि आरोपी संतोष कुमार भी पंजाब का ही रहने वाला है और वो भी इस गोरखधंधे में सहयोगी है.

ठगी से कमाए करोड़ों

पूछताछ करने पर, आरोपी विकास ने खुलासा किया कि वह अपने सहयोगियों के साथ हल्दीराम, अमूल, पतंजलि आदि जैसे बड़े ब्रांड्स के डोमेन नाम (Domain Name) खरीदता था. वह वेबसाइटों को इस तरह से डिजाइन करवाता था कि वह बड़े ब्रांड्स की वास्तविक वेबसाइट के जैसी दिखें. वेबसाइट पर एक फोन नंबर भी दिया जाता था. गिरफ्तार आरोपियों के बैंक खातों, मोबाइल नंबरों और बरामद उपकरणों की जांच से पता चला है कि ये लोग 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इसी तरह की धोखाधड़ी के 126 मामलों में शामिल हैं. इस गिरोह ने ठगी के जरिए अब तक 1.1 करोड़ रुपये  से ज्यादा कमाए हैं. ठगी की वारदातों के इस तरीके को जानकर साइबर सेल अब लोगों को यही सलाह दे रहा है कि सिर्फ गूगल की वेबसाइट पर दिए नंबरो पर कभी भरोसा ना करें.

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