राज्यसभा में सरकार की किरकिरी, विपक्ष का संशोधन पारित
राज्यसभा में मंगलवार को सरकार की उस समय किरकिरी हुयी जब भ्रष्टाचार एवं कालाधन के मुद्दे पर राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विपक्ष के एक संशोधन को सदन में मंजूर कर लिया गया।
नई दिल्ली : राज्यसभा में मंगलवार को सरकार की उस समय किरकिरी हुयी जब भ्रष्टाचार एवं कालाधन के मुद्दे पर राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विपक्ष के एक संशोधन को सदन में मंजूर कर लिया गया।
माकपा सदस्यों सीताराम येचुरी और पी राजीव ने यह संशोधन पेश किया था। सदन ने मत विभाजन के बाद इसे मंजूर कर लिया। इसके पहले सरकार ने विपक्ष से अपील की थी कि वह अपना संशोधन वापस ले ले और मत विभाजन पर जोर नहीं दे।
संशोधन में कहा गया है कि अभिभाषण में उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार पर काबू पाने और कालाधन वापस लाए जाने के मामले में सरकार की नाकामी का कोई जिक्र नहीं किया गया है।
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने येचुरी को संशोधन पर जोर नहीं देने का अनुरोध किया और कहा कि कालाधन का जिक्र किया गया है। उन्होंने कहा कि उनकी चिंताओं को नोट किया गया है और इसलिए इसे वापस ले लेना चाहिए।
येचुरी ने कहा कि सामान्य स्थिति में वह ऐसे अनुरोध को स्वीकार कर लेते लेकिन वह संशोधन पर जोर दे रहे हैं क्योंकि सरकार ने कोई चारा नहीं छोड़ा है और विपक्ष को प्रधानमंत्री के जवाब पर स्पष्टीकरण मांगने का मौका नहीं दिया गया।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपना जवाब देने के तुरंत बाद सदन से बाहर जाने पर आपत्ति जतायी। राज्यसभा में यह चौथा मौका है जब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर विपक्ष द्वारा लाए गए संशोधन को सदन ने मंजूरी प्रदान की है।
पहली बार जनता पार्टी के शासन काल में 30 जनवरी 1980 को ऐसा हुआ था। उसके बाद 1989 में ऐसा हुआ जब वीपी सिंह नीत राष्ट्रीय मोर्चा सरकार थी। तीसरी बार 12 मार्च 2001 को ऐसा हुआ था जब अटल बिहारी वाजपेयी नीत राजग सरकार सत्ता में थी।
संशोधन को 57 के मुकाबले 118 मतों से मंजूर कर लिया गया। ताजा घटनाक्रम ने इस बात को रेखांकित किया कि सरकार को अपने प्रमुख आर्थिक सुधार विधेयकों को उच्च सदन से पारित कराने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
इसके पहले संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने येचुरी को संशोधन पर जोर देने से रोकने की कोशिश की और कहा कि सरकार काला धन लाने का प्रयास कर रही है और इस मुद्दे पर कोई दो राय नहीं है।
नायडू ने येचुरी से अनुरोध किया, ‘आपको अधिकार है। आपकी चिंताएं को समझा जा सकता है.. लेकिन आप मत विभाजन पर जोर नहीं दीजिए।’ लेकिन येचुरी ने इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि सामान्य स्थिति में वह सहमत हो जाते। उन्होंने कहा कि वह संशोधन पर जोर दे रहे हैं क्योंकि सरकार ने कोई चारा नहीं छोड़ा है और विपक्ष को प्रधानमंत्री के जवाब पर स्पष्टीकरण मांगने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि विपक्ष के नेता को भी मौका नहीं दिया गया..।’
हंगामे के बीच कांग्रेस के रामचंद्र राव ने अपने स्थान पर खडे होकर एक बैनर दिखाया। इस पर सभापति हामिद अंसारी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्हें सदस्य को बाहर जाने को कहने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। बाद में राव मान गए और अपनी सीट पर बैठ गए।
केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि जहां तक स्पष्टीकरण का सवाल है, इसके लिए कभी अनुमति नहीं दी गयी। इस पर येचुरी ने जवाब दिया कि एक सदस्य के नाते उन्हें अपने अधिकार के बारे में जानकारी है। अंसारी ने कहा कि अगर सदस्य मत विभाजन पर जोर देते हैं तो आसन इंकार नहीं कर सकता।