लोकसभा में सरकार का जवाब, इन 28 कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने का हुआ फैसला
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लोकसभा में सरकार का जवाब, इन 28 कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने का हुआ फैसला

वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने की मुख्य वजह बताई.

लोकसभा में हुए एक सवाल के जवाब में सरकार ने सोमवार को यह जानकारी दी है.

नई दिल्ली: देश में इस वक्त कुल 28 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) में सरकार हिस्सेदारी बेचने में जुटी है. लोकसभा में हुए एक सवाल के जवाब में सरकार ने सोमवार को यह जानकारी दी है. सरकार ने बताया है कि इन कंपनियों में विनिवेश यानी हिस्सेदारी बेचने को लेकर सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की गई है.

दरअसल, तमिलनाडु के डीएमके सांसद पी वेलुसामी ने वित्त मंत्री से घाटे में चल रहीं उन कंपनियों का ब्योरा मांगा था, जिन्हें हिस्सेदारी बेचने के लिए चिह्न्ति किया गया है. जिस पर वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लिखित जवाब में बताया कि सरकार हानि और लाभ के आधार पर विनिवेश का फैसला नहीं करती, बल्कि उन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में विनिवेश का फैसला करती है जो प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में नहीं हैं.

वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि वर्ष 2019-20 के दौरान सरकार ने विनिवेश के लिए 65000 करोड़ का लक्ष्य रखा. इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार रणनीतिक बिक्री के साथ हिस्सेदारी बेचने आदि प्रक्रियाओं का सहारा लेती है.

इन कंपनियों में सरकार बेचेगी हिस्सेदारी
वित्तराज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लिखित जवाब में 28 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के नाम भी बताए, जिनमें विनिवेश यानी हिस्सेदारी बेचने की सैद्धांतिक मंजूरी मिली है. ये कंपनियां हैं- स्कूटर्स इंडिया लि., प्रोजेक्ट एंड डेवलपमेंट इंडिया लि., ब्रिज एंड रुफ कंपनी इंडिया लि, हिंदुस्तान न्यूज प्रिंट लि., भारत पंप्स एंड कम्प्रेसर्स लि, सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि., सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लि, भारत अर्थ मूवर्स लि. फेरो अर्थ मूवर्स लि., पवन हंस लिमिटेड, एयर इंडिया और उसकी पांच सहायक कंपनियां और एक संयुक्त उद्यम, एचएलएल लाइफकेयर, भारतय पर्यटन विकास निगम, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लि., शिपिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया, बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड.

इन कंपनियों में विनिवेश की सैद्धांतिक मंजूरी 2016 से जनवरी 2020 के बीच मिली है. नीलांचल इस्पात निगम लिमिडेट में विनिवेश की सैद्धांतिक मंजूरी बीते आठ जनवरी को दी गई.

 

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