‘पूर्वी राज्यों के पिछड़ेपन के लिए सरकारें जिम्मेदार’
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‘पूर्वी राज्यों के पिछड़ेपन के लिए सरकारें जिम्मेदार’

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों को देश के पिछड़ेपन की वजह बताने वाले नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत के बयान पर छिड़ी बहस के बीच पूर्ववर्ती योजना आयोग के सदस्य मिहिर शाह ने कहा है कि इन राज्यों के पिछड़ेपन के लिए अबतक की सारी सरकारें जिम्मेदार हैं.

सरकारों ने राज्यों के विकास पर नहीं दिया ध्यान (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों को देश के पिछड़ेपन की वजह बताने वाले नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत के बयान पर छिड़ी बहस के बीच पूर्ववर्ती योजना आयोग के सदस्य मिहिर शाह ने कहा है कि इन राज्यों के पिछड़ेपन के लिए अब तक की सारी सरकारें जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि इसका मुख्य कारण इन राज्यों में अबतक की सरकारों का शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर पर्याप्त ध्यान नहीं देना है. कांत ने पिछले सप्ताह जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्य देश के पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार हैं.

  1. पूर्वी राज्य पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों के मुकाबले विकास में पीछे
  2. देश की आजादी के 70 साल बाद भी पूर्वी राज्य नहीं सके विकास
  3. स्वास्थ्य पर जीडीपी का दो प्रतिशत भी खर्च नहीं किया जाता है

इस बारे में शाह ने ‘पीटीआई’ से बातचीत में अपनी राय दी. उनसे पूछे गये ‘भाषा’ के पांच सवाल...

सवाल 1. नीति आयोग के सीईओ कांत ने हाल में कहा है कि पूर्वी राज्यों के कारण देश में पिछड़ापन है. आप इससे कितना सहमत है?
जवाब : कांत ने कोई गलत बात नहीं कही है, कहने का तरीका जरूर गलत हो सकता है. इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है. आजादी के 70 साल बाद भी ये राज्य उतनी तरक्की नहीं कर पाए जितनी कि दक्षिण और पश्चिम क्षेत्र के राज्यों ने की है. स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे सामाजिक मोर्चे पर इन राज्यों का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा है.

सवाल 2. देश के पूर्वी राज्य पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों के मुकाबले सामाजिक व आर्थिक विकास में पीछे हैं. इसका क्या कारण है?
जवाब: इसका मुख्य कारण शिक्षा और स्वास्थ्य पर समुचित ध्यान नहीं देना है. देश के 70 साल के इतिहास को देखिए, आपको पता लग जाएगा कि सरकारों ने सामाजिक क्षेत्र की कितनी अनदेखी की है. स्वास्थ्य पर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का दो प्रतिशत भी खर्च नहीं किया जाता. शिक्षा का स्तर गिरा है. गांवों में अब भी एक-एक कमरे में आठ-आठ कक्षाएं चलती हैं. ‘लर्निंग आउटकम’ (संबंधित कक्षा के लिए बच्चों में वांछित शिक्षा का स्तर) घट रहा है. यह शर्मनाक है.

सवाल 3. देश के पिछड़ेपन के लिए इन राज्यों को जिम्मेदार ठहराना कितना उचित है?
जवाब: इसके लिए अबतक की केंद्र और संबंधित राज्यों की सभी सरकारें जिम्मेदार हैं, जिन्होंने इन राज्यों में पिछड़ेपन के कारणों पर ध्यान नहीं दिया. स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में इन्हें जो भूमिका निभानी थी, उन्होंने नहीं निभाई. सरकार को यह समझना होगा कि गरीबों के लिए वह ही शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएं दे सकती है न कि निजी क्षेत्र.

सवाल 4. इन पिछड़े राज्यों में विकास को गति देने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
जवाब: शिक्षा और स्वास्थ्य को बेहतर बनाना, पर्याप्त रोजगार सृजन तथा कृषि में उपयुक्त सुधार जैसे उपायों के जरिए हम इन राज्यों में विकास को तेज कर सकते हैं. यह गौर करना चाहिए कि अगर कोई गरीब बीमार पड़ता है, तब इलाज उसके पॉकेट से बाहर होता है. जब तक स्वास्थ्य की स्थिति नहीं सुधरेगी, गरीब और गरीब होता जाएगा. शिक्षा की स्थिति जब तक नहीं सुधरेगी, तब तक बेरोजगारी बनी रहेगी.

सवाल 5. नीति आयोग ने देश में 115 पिछड़े जिलों को विकास के रास्ते पर लाने के लिए एक विशेष पहल की है. इस प्रकार के कार्यक्रम कितना कारगर हैं?
जवाब: योजनाएं हमेशा से बनती रही हैं. पहले की सरकारों ने भी योजनाएं बनाईं लेकिन क्रियान्वयन एक बड़ा मुद्दा है. जो भी योजनाएं बने, उसमें यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उसका क्रियान्वयन सही तरीके से हो. यह भी सुनिश्चित किया जाए कि दूरदराज के गांवों में डॉक्टर और शिक्षक पर्याप्त संख्या में हों. शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाए बिना इन राज्यों के विकास में तेजी लाना संभव नहीं है.

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