अब सैनिकों की मेंटल हेल्थ पर भी सरकार का फोकस, मिलेगी हेल्प.. रक्षा मंत्रालय का बड़ा कदम
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अब सैनिकों की मेंटल हेल्थ पर भी सरकार का फोकस, मिलेगी हेल्प.. रक्षा मंत्रालय का बड़ा कदम

NIMHANS: निम्हान्स और एएफएमएस मिलकर मानसिक स्वास्थ्य पर शोध करेंगे और विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएंगे. इसका लाभ सेना नौसेना और वायुसेना के जवानों के साथ उनके परिवारों को भी मिलेगा. यह पहल तनाव चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से निपटने में मदद करेगी.

अब सैनिकों की मेंटल हेल्थ पर भी सरकार का फोकस, मिलेगी हेल्प.. रक्षा मंत्रालय का बड़ा कदम

Mental Health of Soldiers: रक्षा मंत्रालय ने सैनिकों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निम्हान्स) और सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं (एएफएमएस) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है. इस सहयोग का मुख्य उद्देश्य रक्षा कर्मियों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराना है. सैनिकों की सेहत केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत होनी चाहिए और इसी दिशा में यह पहल की गई है.

विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएंगे..
इस समझौते के तहत निम्हान्स और एएफएमएस मिलकर मानसिक स्वास्थ्य पर शोध करेंगे और विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएंगे. इसका लाभ सेना नौसेना और वायुसेना के जवानों के साथ उनके परिवारों को भी मिलेगा. यह पहल तनाव चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से निपटने में मदद करेगी. साथ ही डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे सैनिकों की मानसिक परेशानियों को बेहतर तरीके से समझ सकें और उनका इलाज कर सकें.

शारीरिक सेहत जितना ही महत्वपूर्ण..
सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरिन ने कहा कि हमारे सैनिकों का मानसिक स्वास्थ्य उनकी शारीरिक सेहत जितना ही महत्वपूर्ण है. निम्हान्स के सहयोग से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जवान सेवा के दौरान आने वाली मानसिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हों. वहीं निम्हान्स की निदेशक, डॉ. प्रतिमा मूर्ति ने भी कहा कि यह साझेदारी एक सम्मानजनक पहल है. जिससे रक्षा बलों को बेहतरीन मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी.

यह समझौता न सिर्फ सैनिकों के मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने का काम करेगा बल्कि देशभर में इस तरह की और पहल को भी बढ़ावा देगा. सरकार का यह कदम दिखाता है कि वह केवल सैनिकों की शारीरिक सुरक्षा ही नहीं बल्कि उनके मानसिक कल्याण को भी प्राथमिकता देती है. इससे यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में सेना के जवान पहले से ज्यादा मजबूत और मानसिक रूप से संतुलित रहेंगे. एजेंसी इनपुट

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