नयी दिल्ली : सरकार एक नयी शिक्षा नीति तैयार करने की दिशा में काम कर रही है जिसमें छात्रों, शिक्षकों समेत शिक्षा के सभी पक्षों के साथ सांसदों एवं जनप्रतिनिधियों समेत पंचायत एवं ग्रामीण स्कूलों तथा अन्य लोगों की राय ली जा रही है।


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मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि देश की शिक्षा व्यवस्था को बदलती जरूरतों के अनुरूप ठोस दिशा देने के लिए ‘नई शिक्षा नीति’ तैयार की जा रही है। नयी शिक्षा नीति कैसी हो, इसके बारे में 33 थीम तैयार की गईं हैं। इस बारे में विभिन्न पक्षों के साथ चर्चा की जा रही है। इस संदर्भ में ग्राम समिति की राय भी ली जा रही है।


उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति के बारे में सांसदों एवं जनप्रतिनिधियों से भी राय देने को कहा गया है। नयी शिक्षा नीति के बारे में अब तक करीब नौ हजार टिप्पणियां एवं राय प्राप्त हो चुकी हैं। इन सुझावों का संकलन किया गया है। सुझावों को एकत्रित करने का कार्य ग्राम पंचायत स्तर से शुरू कर ब्लाक, जिला और राज्य स्तर पर किया जा रहा है।


नयी शिक्षा नीति के बारे में सूचना प्रौद्योगिकी, श्रम, सामाजिक न्याय, आदिवासी मामलों, युवा मामलों समेत करीब एक दर्जन मंत्रालयों की राय को समाहित किया जा रहा है। सरकार द्वारा नयी शिक्षा नीति तैयार करने का उद्देश्य गुणवत्ता, अनुसंधान और नवाचार की कमी के कारण हमारी शैक्षणिक संस्थाओं को पेश आ रही चुनौतियों से निपटने की व्यवस्था करना और नये समय की जरूरतों को पूरा करने का आधार प्रदान करना है।  


मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्चतर शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 1992 में संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र सरकार की नीतियों के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज रहे हैं। विभाग के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में शिक्षा के परिदृश्य में प्राथमिक शिक्षा के प्रति अधिकार आधारित दृष्टिकोण माध्यमिक शिक्षा के प्रति सुलभता प्रदान करने के प्रयास, उच्च शिक्षा के पुनर्विन्यास तथा नवाचार परिवेश पर इसका प्रभाव और वैश्विक परिवेश में स्थापित तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था में नयी प्रौद्योगिकियों के आने के संदर्भ में नवोन्मेषी शिक्षा के माध्यम से कौशल विकास जैसे अनेक विषय सामने आने से महत्वपूर्ण परिवर्तन सामने आए हैं।


मंत्रालय ने कहा, सरकार एक नयी शिक्षा नीति तैयार करने की दिशा में काम कर रही है जिसका उद्देश्य गुणवत्ता, अनुसंधान और नवाचार की कमी के कारण हमारी शैक्षणिक संस्थाओं को पेश आ रही चुनौतियों का सामना करना है।