DNA Analysis: Brazil के मशहूर उपन्यासकार Paulo Coelho (पाओलो कोएल्हो) की किताब 'The Alchemist' में एक मशहूर लाइन है. 'When you want something, all the universe conspires in helping you achieve it''. हिंदी में इसका मतलब है...''जब आप कुछ चाहते हैं तो पूरी कायनात उसे आपको दिलाने की साजिश करती है.''


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इस लाइन का इस्तेमाल फिल्मों में भी हुआ है. लेकिन क्या आपको पता है कि हमारा system भी इसका इस्तेमाल,अपने तरीके से करता है. यूपी के Greater Noida की करोड़ों की ज़मीन को कौड़ियों में नीलाम करने की कोशिश की जा रही है. सारा system इस एक काम को करने में जुटा हुआ है. आइये आपको इस ज़मीन के इतिहास और इसको नीलाम करने के खेल के बारे में बताते हैं.


दक्षिण कोरिया की कार कंपनी Daewoo Motors की कारें करीब 20 साल पहले भारत में बिका करती थीं. आपमें से कई लोगों के पास Daewoo Matiz... Daewoo Cielo रही होगी. लेकिन वर्ष 2001 आते-आते ये कंपनी दिवालिया होने के कगार पर आ गयी. इसके बाद इस कंपनी अमेरिकी कार कंपनी General Motors ने खरीद लिया. लेकिन इस कंपनी की भारत वाली यूनिट को General Motors ने नहीं खरीदा. इस वजह से Daewoo Motors का भारत वाला कारोबार भी पूरी तरह से खत्म हो गया, वो दिवालिया हो गई, लेकिन Daewoo Motors की संपत्ति भारत में रह गईं.


यूपी के ग्रेटर नोएडा में Daewoo Motors के पास करीब 204 एकड़ की जमीन थी, जिस पर उसका प्रोजेक्ट था. कंपनी दिवालिया हुई तो जिन बैंकों ने उसे कर्ज दिया था. उन्होंने वसूली का काम शुरू किया. पूरी खबर समझाने के लिए हम आपको सबसे पहले, इस ज़मीन से जुड़ी कुछ खास बातें बताना चाहते हैं, जैसे Daewoo Motors ने 20 मार्च 1989 को सूरजपुर में एक जमीन खरीदी. जिसके लिए उसने 75 लाख 44 हजार 788 रुपये UPSIDC यानी U.P. State Industrial Development Authority को चुकाए.


इस ज़मीन पर अपनी इंडस्ट्री लगाने के लिए उसने State Bank Of India, Yes Bank, ICICI,IDBI जैसे कुछ बैंकों से लोन किया था. कंपनी जब वर्ष 2001 में दिवालिया हुई तो वो कर्ज से डूबी हुई थी. जिसकी वजह से Daewoo Motors की इस जमीन को जब्त कर लिया था. Daewoo Motors से 777 करोड़ की कर्ज वसूली के लिए UPSIDC ने DEBTS RECOVERY TRIBUNAL MUMBAI को पत्र लिखा. DRT ने Daewoo Motors की जमीन को नीलाम किया, जिसे 28 जून 2010 को PAN INDIA MOTORS ने खरीद लिया.


PAN INDIA MOTORS ने इस जमीन को 750 करोड़ में खरीदा था. यानी जमीन को मार्केट वैल्यू के हिसाब से बेचा गया था. PAN INDIA MOTORS ने इस ज़मीन के शुरुआती 250 करोड़ रुपये चुका दिए और अगले एक वर्ष के अंदर 500 करोड़ रुपये चुकाने की बात कही. PAN INDIA MOTORS भी अगले एक साल में बकाया रकम नहीं चुका पाया, जिसकी वजह से एक बार फिर ये जमीन नीलाम होने की कगार पर आ गई.


दोबारा नीलाम होने की स्थिति आने पर इस जमीन पर कई लोगों की नजरें आ गईं. सभी को ये जमीन चाहिए थी. PAN INDIA MOTORS भी इस जमीन को नहीं जाने देना चाहती थी. इसके लिए वो मुंबई हाईकोर्ट तक गई. लेकिन हाई कोर्ट के निर्णय पर PAN INDIA MOTORS के 250 करोड़ रुपये जब्त कर लिए गए और उसने PAN INDIA MOTORS को मालिकाना हक़ से बेदखल करने का फैसला सुनाया. यहां नीलामी को किसी खास को बेचने का खेल शुरू हुआ.


अब आप खेल देखिए कि जो ज़मीन तकनीकि रूप से PAN INDIA MOTORS के नाम थी, उसको Daewoo Motors की बताकर नीलामी प्रक्रिया में डाला गया. जबकि होना ये चाहिए कि पहले तो जमीन से मालिकाना हक हटाना चाहिए था. उसके बाद नीलामी प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए थी. इस ज़मीन से संबंधित एक RTI डाली गई थी, जिससे पता चलता है कि जमीन अभी भी PAN INDIA MOTORS के नाम थी. अब सवाल ये है कि इसमें खेल क्या हुआ, तो खेल ये हुआ कि अरबों रुपये की ज़मीन बेचने की इतनी जल्दी थी, कि जमीन किसी और के नाम पर ही थी, लेकिन पूरा सिस्टम उसे किसी और की बताकर, किसी खास को बेचकर निकल गया.


कागज़ों में PAN INDIA MOTORS की जमीन को Daewoo Motors की बताकर SHAKUNTALAM LANDCRAFT PRIVATE LIMITED को महज 359 करोड़ में बेच दी गई है. अगर मुंबई हाईकोर्ट के फैसले को आधार बनाकर जमीन बेचीं गई तो उस आदेश का पालन 2016 से अबतक क्यों नहीं किया गया. इस ज़मीन को दोबारा बेचने के लिए नीलामी की एक और प्रक्रिया शुरू की गई थी. इसमें एक अलग तरह का खेल हुआ. अब जो नीलामी प्रक्रिया होती हैं, वो ऑनलाइन प्रक्रिया होती है. इसमें जो भी लोग हिस्सा लेते हैं, उनके नाम छुपाकर रखे जाते हैं, ताकि नीलामी प्रक्रिया पारदर्शी हो. लेकिन इस जमीन के लिए जो नीलामी हुई, वो कितनी पारदर्शी थी, इसको समझने के लिए हम आपको नीलामी प्रक्रिया का खेल बताते हैं.


Daewoo Motors की 204 एकड़ जमीन को 28 जून 2010 में PAN INDIA MOTORS को 750 करोड़ में बेचा गया था. इसी जमीन को अगस्त 2023 यानि कुछ दिन पहले ही महज 359 करोड़ में बेच दिया गया. मतलब ये है कि करीब हजार करोड़ रुपये की जमीन, किसी खास को बहुत ही कम दामों में बेचा दिया गया. अब आप समझ सकते हैं कि नीलामी में क्या खेल हुआ. पहली बात ये रही कि किसी और के नाम पर दर्ज ज़मीन को किसी और का बताकर बेचा गया. दूसरी बात, हजारों करोड़ की जमीन किसी खास को कौड़ियों के दाम में बेच दी गई.


नीलामी प्रक्रिया भी संदेह पैदा करती थी. हमने आपको बताया कि नीलामी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है और इसमें बोली लगाने वालों के नाम भी गुप्त रखे जाते हैं. लेकिन इस मामले में इस नियम का पालन नहीं हुआ. अब ये जानबूझकर नहीं किया गया, या फिर गलती से हुआ, इसकी जांच होनी चाहिए. DRT कोर्ट के निर्देशों के बाद जमीन के लिए ऑनलाइन नीलामी की अंतिम तारीख 17 अगस्त 2023 रखी गई थी. इस नीलामी में तीन कंपनियों ने अपनी-अपनी बोलियां लगाई थीं.


जिसमें पहली कंपनी थी- SHAKUNTALAM LANDCRAFT PRIVATE LIMITED
दूसरी कंपनी थी- TRIVESH REAL ESTATE PVT LIMITED
और तीसरी कंपनी थी - CHANDRA LAXMI ENTERPRISES PVT LIMITED


DRT कोर्ट के निर्देशों पर बोली लगाने वाली कंपनियों की त्रुटियां सही करके, ज़मीन की बोली 355 करोड़ रुपये से शुरू होनी थी. इस काम को पूरा करने के लिए नीलामी की तारीख को बढ़ाकर 28 अगस्त 2023 कर दिया गया. तारीख बढ़ाई गई तो एक नई कंपनी Authum Investment & Infrastructure ltd ने भी आवेदन करने की कोशिश की, लेकिन उसे ऑनलाइन नीलामी में शामिल नहीं होने दिया गया. तकनीकि रूप से उसका आवेदन लेना चाहिए था, ताकि बोली ज्यादा लग सके. मुख्य रूप से जमीन की नीलामी के लिए 3 कंपनियां थी. लेकिन सिस्टम ने यहां से एक नया खेल शुरू किया.


नीलामी में शामिल कंपनियों के नाम सार्वजनिक कर दिए गए, तो नियमों को उल्लंघन था. दरअसल नाम गुप्त रखना, नीलामी में शामिल लोगों को सुरक्षित रखने के लिए भी किया जाता है. इस नीलामी में ऐसा नहीं किया गया. जिसका खामियाज़ा एक कंपनी को भुगतना पड़ा. नीलामी में शामिल कंपनियों के नाम का खुलासा होने पर धमकियां का सिलसिला शुरू हो गया. इस जमीन की नीलामी में बोली लगाने वाली CHANDRA LAXMI ENTERPRISES PVT LIMITED के मालिक डॉक्टर मुकेश अग्रवाल को बाइक सवार बदमाशों ने जान से मारने की धमकी दी और नाम वापस लेने के लिए कहा.


धमकी मिलने के बाद डॉक्टर मुकेश ने नीलामी से नाम वापस ले लिया. इस नीलामी में मात्र दो कंपनियां ही रह गई थीं. लेकिन जैसे ही नीलामी शुरू हुई तो SHAKUNTALAM LANDCRAFT PRIVATE LIMITED ने पहली बोली, 359 करोड़ रुपये की लगाई, जिसके बाद दूसरी बोली किसी कंपनी ने लगाई ही नहीं. यानी ज़मीन की नीलामी तय रकम से मात्र 4 करोड़ रुपये ऊपर की लगी. जिसके बाद किसी और कंपनी ने पैसा बढ़ाकर बोली लगाई ही नहीं, सब पीछे हट गए. करीब 1 हजार करोड़ रुपये की जमीन, जिसको इसलिए बेचा जा रहा था ताकि उस पर लिया गया, करीब 777 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया जा सके. उसपर मात्र 355 करोड़ रुपये से नीलामी शुरू हुई. यही नहीं केवल एक आवेदक ने ही बोली लगाई और उसे ही जमीन बेच दी गई. वो भी मात्र 4 करोड़ रुपये ज्यादा की बोली लगाने की वजह से. इस नीलामी में पीछे हट चुके आवेदकों का आरोप है कि इसमें पूरा सिस्टम किसी खास के इशारे पर काम कर रहा था. उनका आरोप है कि नाम, जानबूझकर सार्वजनिक किए और कम कीमत पर जमीन नीलाम कर दी गई.