गुजरात चुनाव: वराछा रोड सीट: कुमार कनानी vs धीरू गजेरा
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गुजरात चुनाव: वराछा रोड सीट: कुमार कनानी vs धीरू गजेरा

वराछा रोड सीट भी पटेल बहुल क्षेत्र है. उम्मीद के मुताबिक, कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने पाटीदार समाज के लोगों को टिकट दिया है. कांग्रेस ने जहां पाटीदार एक्टिविस्ट धीरू गजेरा को टिकट दिया है. 

वारछा रोड सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है

अहमदाबाद : वराछा रोड सीट भी पटेल बहुल क्षेत्र है. उम्मीद के मुताबिक, कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने पाटीदार समाज के लोगों को टिकट दिया है. कांग्रेस ने जहां पाटीदार एक्टिविस्ट धीरू गजेरा को टिकट दिया है. गजेरा दो बार विधायक रह चुके हैं और प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उनके प्रखर विरोधियों में से एक थे. इन सबके चलते पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. उधर, बीजेपी ने एक अन्य पाटीदार नेता कुमारभाई कनानी को चुनावी मैदान में उतारा है. मजेदार बात यह है कि वराछा रोड से कांग्रेस ने पहले प्रफुल्ल तोगड़िया को टिकट दिया था लेकिन ऐन वक्त पर उम्मीदवार बदल दिया और धीरूभाई गजेरा को टिकट दिया.

प्रफुल्ल तोगड़िया विश्व हिन्दू परिषद के फायरब्रांड नेता डॉ. प्रवीण तोगड़िया के चचेरे भाई हैं. कांग्रेस की लिस्ट आने के बाद इनके ऑफिस पर हार्दिक पटेल के कार्यकर्ताओं ने खूब हंगामा किया था. वराछा रोड असेंबली 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. 2012 में बीजेपी उम्मीदवार किशोरभाई कनानी ने गजेरा को भारी बहुमत से हराया था. इस पाटीदारों बहुल क्षेत्र में बीजेपी चाहेगी कि वही समीकरण बने रहें. धीरूभाई 1987 काउंसलर बने और फिर तीन बार बीजेपी का विधायक बने. हालांकि, गुजरात बीजेपी में मोदी का वर्चस्व बढ़ने के बाद उन्होंने 2002 चुनाव के समय पाला बदल लिया था. इस सीट पर पाटीदार वोटर निर्णायक हैं जिनका वोट काफी अहम माना जा रहा है. कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर होने की संभावना है. 

अक्टूबर में, चुनाव में दो माह पहले रूपाणी सरकार ने सूरत जिले के 600 पाटीदार युवाओं के खिलाफ दर्ज केस वापस ले लिए थे. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नवंबर की शुरुआत में पिछले दिनों वराछा में ही रैली करके पाटीदार मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की थी. सूरत के वराछा सीट पर कुल दो लाख वोटरों में से करीब डेढ़ लाख पाटीदार हैं. तोगड़िया के नाम के एलान के तुरंत बाद हार्दिक पटेल के समर्थकों ने जमकर हंगामा किया. उनका आरोप है कि कांग्रेस ने दमदार उम्मीदवार नहीं खड़ा किया. साल 2012 में ये सीट अस्तित्व में आई और बीजेपी के उम्मीदवार किशोर कनानी लगभग बीस हजार वोटों से जीते. कनानी एक बार फिर से आत्मविश्वास के साथ मैदान में हैं. 

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